New Delhi. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीशों को सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियां समाज को विकसित करने के लिए पुराने कानूनी सिद्धांतों को फिर से तैयार कर सकें। उन्होंने कहा, जहां अमेरिकी संविधान में न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की कोई उम्र नहीं है, वहीं भारत में न्यायाधीश एक विशेष आयु के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं। सीजेआइ चंद्रचूड़ ने शनिवार (4 नवंबर) को दिल्ली में हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु पर अपना दृष्टिकोण साझा किया।
अमेरिकी संविधान का जिक्र?
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, जहां अमेरिकी संविधान में न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की कोई उम्र नहीं है, वहीं भारत में,न्यायाधीश एक विशेष आयु के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं। सीजेआई ने कहा, यह महत्वपूर्ण है कि न्यायाधीशों को अवश्य ही सेवानिवृत्त होना चाहिए क्योंकि यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि किसी इंसान पर अपनी स्वयं की अचूकता के संदर्भ में यह धारणा थोप दी जाए कि उन्हें अपने कार्यालय से सेवानिवृत्त नहीं होना चाहिए।
सीजेआई बोले- आने वाली पीढ़ियों को सौंपी जाए जिम्मेदारी
सीजेआई ने कार्यक्रम में आगे कहा, हमने उस मॉडल का अनुसरण किया है, जहां न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो जाते हैं, लेकिन एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो एक न्यायाधीश के रूप में 23 वर्षों से सिस्टम में है, मेरी राय अलग है।
क्यों कहा ऐसा, बताई वजह
सीजेआई चंद्रचूड़ ने युवाओं को मौका देने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा, न्यायाधीश इंसान होते हैं जिनमें गलतियां होने की संभावना होती है और समाज विकसित होता है। आपको यह दायित्व आने वाली पीढ़ियों को सौंपना चाहिए, जो अतीत की त्रुटियों को इंगित करने और समाज के विकास के लिए कानूनी सिद्धांतों में बदलाव करने में सक्षम होंगी।
भारत में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बताई
सीजेआई ने इसका कारण बताते हुए कहा, भारतीय संदर्भ में, अनिर्वाचित न्यायाधीशों को जीवन भर पद पर बने रहने के लिए इस प्रकार की शक्ति देना, बुद्धिमानी से भारतीय संविधान द्वारा नहीं अपनाया गया है। वर्तमान में, भारत में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु निचली अदालतों में 60 वर्ष, उच्च न्यायालयों में 62 वर्ष और उच्चतम न्यायालय में 65 वर्ष है।
सेवानिवृत्ति की आयु को लेकर देश में कब-क्या हुआ?
एक संसदीय समिति ने उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के कार्यकाल को मौजूदा सेवानिवृत्ति की आयु से आगे बढ़ाने के लिए एक प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणाली की सिफारिश की थी। यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल के दौरान, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु को शीर्ष अदालत के बराबर लाने के लिए लोकसभा में एक विधेयक पेश किया गया था, लेकिन यह कभी भी विचार के लिए नहीं आया और समाप्त हो गया।