JHARKHAND: CJI रमना मीडिया से नाराज, कहा- वो कंगारू कोर्ट लगा लेते हैं, इससे जजों को सही-गलत का फैसला लेने में मुश्किल होती है

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Atul Tiwari
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JHARKHAND: CJI रमना मीडिया से नाराज, कहा- वो कंगारू कोर्ट लगा लेते हैं, इससे जजों को सही-गलत का फैसला लेने में मुश्किल होती है

RANCHI. चीफ जस्टिस एनवी रमना ने मुद्दों पर मीडिया ट्रायल पर नाराजगी जताई है। झारखंड के दौरे पर गए CJI ने कहा कि मीडिया कंगारू कोर्ट लगा लेता है। ऐसे में एक्सपीरियंस्ड जजों को भी फैसला लेने में मुश्किल आती है। प्रिंट मीडिया में अभी भी जवाबदेही है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जिम्मेदारी नहीं दिखती। कंगारू कोर्ट यानी कोर्ट के बाहर ही कुछ लोग या एक वर्ग नियमों के इतर अपने आप से ही फैसला ले लेता है।



CJI की चिंता



चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि किसी भी केस को लेकर मीडिया ट्रायल शुरू हो जाता है। न्याय देने से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा चलाने वाली बहस लोकतंत्र की सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रही है। अपनी जिम्मेदारियों से आगे बढ़कर आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं।



जज सामाजिक वास्तविकताओं से आंखे नहीं मूंद सकते। जजों को समाज को बचाने और संघर्षों को टालने के लिए ज्यादा दबाव वाले मामलों को प्राथमिकता देनी होगी। मौजूदा समय में न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक निर्णय के लिए मामलों को प्राथमिकता देना है।



‘पॉलिटिक्स में आना चाहता था, लेकिन’



चीफ जस्टिस रमना ने बताया कि मैं सक्रिय राजनीति में आना चाहता था, लेकिन नियति कुछ और ही चाहती थी। जिस चीज के लिए मैंने इतनी मेहनत की थी, उसे छोड़ने का फैसला बिल्कुल भी आसान नहीं था।



जजों को नहीं मिलती समान सिक्योरिटी



चीफ जस्टिस ने ये भी कहा कि राजनेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों को अक्सर रिटायरमेंट के बाद भी सुरक्षा दी जाती है। विडंबना यह है कि जजों को उनके समान सुरक्षा नहीं मिलती। हाल के दिनों में जजों पर हमले बढ़ रहे हैं। जजों को उसी समाज में बिना सुरक्षा के रहना होता है, जिसमें उनके द्वारा दोषी ठहराए गए लोग रहते हैं। 



ज्यूडिशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार हो



सीजेआई के मुताबिक, लोग अक्सर भारतीय न्यायिक प्रक्रिया में लंबे समय से पेंडिंग मामलों की शिकायत करते हैं। कई मौकों पर खुद मैंने लंबित मामलों के मुद्दे को उजागर किया है। मैं जजों को उनकी पूरी क्षमता से काम करने में सक्षम बनाने के लिए भौतिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के बुनियादी ढांचे को सुधारने की जरूरत की पुरजोर वकालत करता हूं। लोगों ने एक गलत धारणा बना ली है कि जजों का जीवन बहुत आसान है। यह सच नहीं है।



48वें CJI हैं जस्टिस रमना

27 अगस्त 1957 को कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में एक किसान परिवार में जन्मे जस्टिस एनवी रमना ने 24 अप्रैल 2021 को भारत के 48वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली थी। वे हैदराबाद में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में केंद्र सरकार के वकील और रेलवे के वकील भी रहे हैं। वे आंध्र प्रदेश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रहे।



उन्होंने 10 मार्च 2013 से 20 मई 2013 तक आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एग्जीक्यूटिव चीफ जस्टिस के रूप में काम किया। उन्हें 27 जून 2000 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में परमानेंट जज अपॉइंट किया गया था।


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