BHOPAL. केंद्र की मोदी सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को 5 साल के लिए बैन कर दिया है। PFI को प्रतिबंधित करने की मांग कई राज्यों ने की थी। हाल ही में NIA, कई राज्यों की पुलिस और एजेंसियों ने पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी कर सैकड़ों गिरफ्तारियां की थीं। गृह मंत्रालय ने पीएफआई को 5 साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित किया। पीएफआई के अलावा टेरर फंडिग के आरोप में 8 सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है। इन संगठनों के नाम रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल वुमंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन है।
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2006 में हुई थी स्थापना
पीएफआई की स्थापना 2006 में केरल में की गई थी और वह भारत में हाशिये पर पड़े वर्गों के सशक्तिकरण के लिए नव सामाजिक आंदोलन चलाने का दावा करता है। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि पीएफआई कट्टर इस्लाम का प्रचार कर रहा है। इस संगठन की स्थापना केरल में की गई थी और इसका मुख्यालय दिल्ली में है।
5 दिन पहले भी हुआ था एक्शन
कट्टर इस्लाम का प्रसार करने के आरोपों का सामना कर रहे पीएफआई के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई पांच दिन पहले भी की गई थी। छापेमारी की कार्रवाई कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, असम और मध्य प्रदेश की राज्य पुलिस ने की। NIA की अगुआई में विभिन्न एजेंसियों की टीमों ने 22 सितंबर को देश में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के आरोप में पीएफआई के खिलाफ 15 राज्यों में छापेमारी की थी और उसके 106 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। एनआईए, पीएफआई से जुड़े 19 मामलों की जांच कर रही है।
आपत्तिजनक दस्तावेज और सबूत जुटाए
एडीजी (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार के अनुसार छापे में कई आपत्तिजनक दस्तावेज और सबूत मिले हैं। इन सबूतों के आधार पर आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी।
निरंकुश सत्ता में ऐसा स्वाभाविक
पीएफआई ने कहा, हमें निशाना बनाने की केंद्र सरकार की कार्रवाई के खिलाफ लोकतांत्रिक विरोध को रोकने का यह प्रयासभर है और इस निरंकुश सत्ता में ऐसा होना स्वाभाविक ही है।