NEW DELHI. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) ला सकती है। इसके संकेत मोदी सरकार के मंत्री अजय मिश्रा ने दिए हैं। यूपी के ठाकुरनगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए बीजेपी नेता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मित्रा ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम यानी CAA का फाइनल ड्राफ्ट अगले साल 30 मार्च तक तैयार होने की उम्मीद है। मिश्रा ने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में सीएए को लागू करने की प्रक्रिया में तेजी आई है। फिलहाल कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिसे सुलझाया जा रहा है।
गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 2020-21 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 एक सहानुभूतिपूर्ण और सुधारात्मक कानून है और यह किसी भी भारतीय को नागरिकता से वंचित नहीं करता है। अब अजय मिश्रा के बयान से साफ है कि अब अगले साल देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया जाएगा। इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर यह कानून क्या है और इसका विरोध क्यों किया जाता रहा है।
क्या है नागरिकता कानून अधिनियम
सरल भाषा में समझे तो सीएए के तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम प्रवासी, इनमें भी 6 समुदाय (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है। नागरिकता संशोधन अधिनियम से पहले किसी भी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम 11 साल तक देश में रहना जरूरी था। हालांकि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत इस नियम को आसान बनाया गया और भारत की नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 से 6 साल कर दिया गया। यानी भारत के इन तीनों पड़ोसी देशों के 6 धर्मों के लोग पिछले एक से छह सालों में भारत आकर बसे हैं तो उन्हें भी भारत की नागरिकता मिल सकेगी।
नागरिकता कानून 1955 के तहत अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती है। इस कानून के तहत वो लोग अवैध प्रवासी हैं जो बिना किसी पासपोर्ट या वीजा के भारत में घुस आए है। या पासपोर्ट, वीजा या वैध दस्तावेज लेकर आए हैं लेकिन वह तय किए गए समय से ज्यादा दिनों तक यहां रुके हो।
मोदी सरकार ने 19 जुलाई 2016 को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया था। जिसकी रिपोर्ट 7 जनवरी, 2019 को सौंपी गई। कमेटी के रिपोर्ट सौंपने के एक दिन बाद 8 जनवरी 2019 को इस बिल को लोकसभा में पास कर दिया गया। लेकिन उस वक्त यह विधेयक राज्यसभा में पेश नहीं हो सका। इसके बाद सीएए को 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा में पेश किया गया। यहां से पास होने के बाद 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया जिसमें विधेयक के पक्ष में 125 वोट पड़े थे और इसके खिलाफ में 99 वोट पड़े थे। इसके बाद 12 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति द्वारा इसे मंजूरी दे दी गई और भारी विरोध के बीच यह बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद कानून की शक्ल ले चुका था। हालांकि, कानून अभी लागू होना बाकी है क्योंकि सीएए के तहत नियम बनाए जाने अभी बाकी हैं।
क्यों होता रहा इस कानून का विरोध
नागरिकता संशोधन कानून का विपक्षी दल सबसे ज्यादा विरोध करते आए हैं। विपक्ष के अनुसार इस पूरे कानून के तहत मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है। विपक्ष का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है।
अब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के सीएए को लेकर दिए बयान पर TMC के राज्यसभा सांसद शांतनु सेन कहा कि भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ चुनाव के दौरान मतुआ और सीएए की याद आती है। उन्होंने कहा कि बीजेपी पश्चिम बंगाल में कभी भी नागरिक संशोधन कानून को लागू नहीं कर पाएगी। इस पार्टी के झूठे दावे मतुआ और बाकी जनता के सामने साफ हो चुके हैं। अगले साल के चुनावों में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ेगा।