संसद सत्र: आंदोलन में किसानों की मौत का रिकॉर्ड नहीं तो मुआवजा कैसा- LS में केंद्र

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संसद सत्र: आंदोलन में किसानों की मौत का रिकॉर्ड नहीं तो मुआवजा कैसा- LS में केंद्र

नई दिल्ली. तीन कृषि कानूनों के विरोध के दौरान करीब 700 किसानों की मौत हो गई थी। अब उनके परिजन को मुआवजा देने के सवाल पर केंद्र सरकार ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है। लोकसभा (LS) में सरकार से सवाल किया गया था कि मृतक किसानों के परिजन को वित्तीय मदद देने का कोई प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है या नहीं? इस पर केंद्र ने लोकसभा में जवाब दिया कि कृषि मंत्रालय के पास किसानों की मौत का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। लिहाजा उन्हें (किसान) मुआवजा देने या फिर इस संबंध में कोई सवाल ही नहीं उठता।

विपक्ष कर रहा मुआवजे की मांग

तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए देश में करीब 700 किसानों की मौत हो गई। इन किसानों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की मांग भी उठ रही है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। यहां तक कि कांग्रेस नेताओं की ओर से इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव भेजकर चर्चा करने को भी कहा गया था। 

सरकार लगातार किसानों के संपर्क में- कृषि मंत्री

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने जवाब में कहा, सरकार लगातार आंदोलन कर रहे किसानों से बातचीत कर रही है, ताकि आंदोलन खत्म किया जा सके। इसके लिए सरकार और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच 13 स्तर की बातचीत भी हुई। 

सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को संसद के शीतकालीन सत्र में वापस ले लिया। इसके अलावा सरकार ने कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट्स एंड प्राइस की सलाह पर 22 फसलों की MSP घोषित की है। MSP पर खरीद के लिए केंद्रीय और राज्य स्तर की एजेंसियां सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत फसलों की खरीद कर रही हैं।

किसानों का दावा सरकार के दावे से उलट 

सरकार ने भले ही कृषि आंदोलन के दौरान एक भी किसान की मौत न होने का दावा किया हो, लेकिन किसान संगठनों का दावा है कि पिछले 1 साल से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान करीब 700 किसानों की मौत हुई। इतना ही नहीं किसान संगठन अपनी शर्तों में इन किसानों के परिजन को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं। 

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