चंडीगढ़ ननि चुनाव: AAP कैंडिडेट ने BJP के मेयर को हराया; पंजाब चुनाव में दमखम दिखाएगी आप

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चंडीगढ़ ननि चुनाव: AAP कैंडिडेट ने BJP के मेयर को हराया; पंजाब चुनाव में दमखम दिखाएगी आप

चंडीगढ़. नगर निगम चुनाव की मतगणना शुरू हो गई है। नगर निगम की 35 सीटों के लिए 24 दिसंबर को वोटिंग कराई गई थी। चुनाव में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच मुख्य मुकाबला चल रहा है। अभी तक हुई काउंटिंग के मुताबिक, आम आदमी पार्टी ने 11, बीजेपी ने 8 और कांग्रेस ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की है। पंजाब और हरियाणा (Haryana) की राजधानी चंडीगढ़ में नगर निगम चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) ने भी खाता खोलते हुए एक सीट जीती है। बीजेपी के मेयर (Mayor of BJP) रहे रविकांत शर्मा (Ravikant Sharma) आम आदमी पार्टी के हाथों चुनाव हार गए हैं।

चंडीगढ़ नगर निगम में कुल कितने वार्ड हैं?

चंडीगढ़ नगर निगम (Chandigarh Municipal Corporation) में कुल 35 वार्ड हैं। मतगणना के लिए 9 काउंटिंग सेंटर बनाए गए हैं। मतगणना का काम सुबह 9 बजे शुरू हुआ। 

आप और बीजेपी के बीच मुकाबला

नगर निगम चुनाव में नतीजों के अलावा 3 सीटों पर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party), एक पर बीजेपी और 2 पर कांग्रेस आगे चल रही है। मतगणना केंद्रों की सुरक्षा के लिए पेरामिलिट्री फोर्स और चंडीगढ़ पुलिस तैनात है। मतगणना केंद्रों के बाहर पुलिस तैनात हैं और केवल उम्मीदवार और पोलिंग एजेंट को ही अंदर जाने की अनुमति है। 

60 फीसदी वोटिंग हुई थी

नगर निगम चुनाव (municipal elections) में इस बार 60 फीसदी वोटिंग (voting) हुई थी। इस बार कुल 6 लाख 33 हजार 475 मतदाताओं ने मतदान किया था। यह पिछले चुनाव से थोड़ा ज्यादा है। साल 2016 के चुनाव में 59.5 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था। साल 2016 में चंडीगढ़ (Chandigarh) में कुल 26 वार्ड थे। इन्हें अब बढ़ाकर 35 कर दिया गया है।

पंजाब की सत्ता पर काबिज होना चाहती है- आप

पंजाब में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव (Punjab assembly elections 2022) होने हैं और वहां राजनीतिक सरगर्मियां काफी बढ़ चुकी हैं। दिल्ली में सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi party) पंजाब में सत्ता पर काबिज होने की कोशिशों में लगी हुई है, इस बीच पार्टी ने 24 दिसंबर को उम्मीदवारों की अपनी एक और लिस्ट जारी कर दी। AAP की ओर से जारी तीसरी लिस्ट में 18 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। आम आदमी पार्टी 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा के लिए अब तक 58 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है। इससे पहले दो लिस्टों में क्रमशः 10 और 30 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया था। 

चंडीगढ़ पर भी है विवाद

चंडीगढ़ पंजाब का ही होना चाहिए क्योंकि जब पंजाब व हरियाणा अलग अलग राज्य बने थे तो देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि कुछ समय के लिए चंडीगढ़ साझा राजधानी रहेगी और बाद में पंजाब को मिल जाएगी। फिर 1985 में राजीव-लौंगोवाल समझौते के तहत चंडीगढ़ को पंजाब के सुपुर्द किए जाने की पूरी तैयारी हो चुकी थी, लेकिन 26 जनवरी 1986 को राजीव गांधी सरकार ने ऐन वक्त पर हाथ खींच लिए और चंडीगढ़ के पंजाब के पास जाने की पूरी कवायद धरी रह गई। आज भी पंजाब चंडीगढ़ पर अपना पूरा हक जताता है। पंजाब की यह मांग हर बार चुनाव में जोर शोर से उठती है। इस बार भी यह मांग जोर पकड़ने लगी है।

केजरीवाल को चुनाव में खलेगी चेहरे की कमी?

पंजाब में क्या केजरीवाल को चेहरे की कमी खल रही है, इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार मोनिका शर्मा ने बताया, 'निश्चित रूप से चेहरे की कमी है। लेकिन अगर आप देखेंगे तो नवजोत सिद्धू ने लगातार बयानबाजी करके अपना कद ही छोटा कर लिया है। इस समय कोई चेहरा नहीं है। चन्नी एक नया फेस हैं। सिद्धू के साथ ट्रस्ट फैक्टर नहीं है। वह अपनी पार्टी में ही स्थिर नहीं दिखते हैं। मुझे लगता है कि चेहरे की बजाए इस बार लोग विचारधारा को वोट करेंगे। हो सकता है कि 22 किसान संगठनों की पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा के बलवीर सिंह राजेवाल भी केजरीवाल के साथ आ जाएं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अंत तक सीएम कैंडिडेट की घोषणा नहीं करते। आखिर में वो अपने पत्ते खोलते हैं। हो सकता है कि किसान समुदाय से किसी को वह आगे कर दें। चंडीगढ़ के चुनाव को देखें तो जाने-माने चेहरे हारे हैं। आम आदमी पार्टी के जितने भी लोग जीते हैं, वे सभी नए चेहरे हैं। मैंने इतने दिन नगर निगम कवर किया है, कभी इतने सारे नए फेस जीतते नहीं देखे।'

पंजाब चुनाव से पहले बहुत बड़ा संकेत

पंजाब चुनाव पर एबीपी-सी वोटर्स के ताजा सर्वे में आम आदमी पार्टी 32 प्रतिशत वोटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है। ऐसे में क्या अरविंद केजरीवाल विधानसभा चुनाव में कमाल कर सकते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स के लिए काम कर चुकीं चंडीगढ़ की वरिष्ठ पत्रकार मोनिका शर्मा कहती हैं, 'आम आदमी पार्टी का ये डेब्यू था। इन्होंने बीजेपी के इतने दिग्गज हरा दिए। इनमें मेयर और पूर्व मेयर शामिल हैं। पंजाब चुनाव से पहले ये बहुत बड़े संकेत हैं। चंडीगढ़ के लोग हमेशा बुद्धिमानीपूर्ण फैसले के लिए जाने जाते हैं। इसका एक उदाहरण देवेंद्र बबला की पत्नी हैं, जो कांग्रेस कैंडिडेट के रूप में तीन हजार वोटों से जीती हैं। वह कांग्रेस के सिटिंग काउंसिलर थे। पिछली बार बीजेपी का क्लीन स्वीप था। पंजाब के लिए एक संकेत हो सकता है कि इस बार भी वहां आम आदमी पार्टी तेजी से उभर रही है। जो चंडीगढ़ में होता है, उसका असर पंजाब के चुनाव पर जरूर पड़ता है।'

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