छत्तीसगढ़ सरकार ने कर्चचारियों के हितों का ध्यान रखते हुए फाइव डे वर्किंग तय किया है लेकिन अब कर्मचारी ही इस फैसले के खिलाफ नजर आने लगे हैं। लेटलतीफी को अपनी आदत बना चुके कर्मचारी इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। एक कर्मचारी नेता ने तो यहां तक कह दिया कि वे सुबह 10 बजे कार्यालय नहीं आ सकते।
सुबह 10 बजे आना स्वीकार नहीं: छत्तीसगढ़ तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय झा ने कहा, पहले कार्यालयों के लिए सुबह 10.30 बजे से शाम 5 बजे तक की कार्य अवधि निर्धारित थी। सरकार ने इसे 10 बजे से 5.30 कर दिया। महिलाओं को पति बच्चों और घर को भी देखना होता है। वे सुबह 10 बजे कार्यालय कैसे पहुंच पाएंगी। हमने पांच दिन का कार्य दिवस तो मांगा नहीं था। 10 बजे कार्यालय आने की बात स्वीकार्य नहीं है। सरकार शाम को 6 बजे तक वर्किंग ऑवर कर लें लेकिन 10 बजे नहीं आ सकते, सरकार चाहे तो पांच दिन का वर्किंग डे वाला आदेश वापस ले ले।
कर्मचारियों ने विरोध के अजीब तर्क दिए: छत्तीसगढ़ संचालयीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र सिंह ठाकुर एक नई ही मांग पेश करने की तैयारी मे हैं। ठाकुर कहते हैं नवा रायपुर से निकलने वाली पहली बस अब 5.40 पर रवाना हो रही है। कामकाज के समय 5.30 है ऐसे में इससे रायपुर पहुंचने में एक घंटे लग जाते हैं। घर पहुंचने में तो रात हो जा रही है। इसलिए समय 5 बजे तक ही रखा जाए।
इसलिए बढ़ी कर्मचारियों की छटपटाहट: शासकीय कर्मचारियों की कार्य क्षमता और उत्पादकता बढ़ाने के नाम पर सरकार ने सप्ताह में पांच कार्य दिवस की प्रणाली लागू की है। सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिकारियों-कर्मचारियों की देर से आने और जल्दी जाने की शिकायतों कलेक्टरों को निर्देश जारी कर कड़ाई करने को कहा है। इसपर एक्शन शुरू होते ही लेटलतीफ कर्मचारियों की छटपटाहट बढ़ गई है।