NEW DELHI. पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की मांग को लेकर 'पेंशन शंखनाद महारैली' का आयोजन रविवार, 1 अक्टूबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में किया गया। जिसमें देशभर के हजारों सरकारी कर्मचारियों ने भागीदारी की। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के तत्वावधान में कर्मचारियों ने केंद्र के समक्ष अपनी मांग उठाने के लिए इस रैली का आयोजन किया। उनकी मांग है कि मौजूदा राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के बजाय पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाए।
एनपीएस सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अन्याय- केजरीवाल
केजरीवाल ने X पर एक पोस्ट में कहा, 'हम ओपीएस को वापस लाने संबंधी सरकारी कर्मचारियों की मांग का पुरजोर समर्थन करते हैं। नई पेंशन योजना (एनपीएस) कर्मचारियों के खिलाफ अन्याय है। हमने पंजाब में ओपीएस लागू की है और दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के लिए इसे लागू करने के लिए केंद्र को पत्र लिखा है। कुछ अन्य गैर-भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकारों ने भी ओपीएस लागू की है।'
समर्थन में आए केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लेकर समर्थन जताया और कहा कि उन्होंने केंद्र से इसे दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के लिए लागू करने का अनुरोध किया है। पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए 20 से अधिक राज्यों से केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा यहां रामलीला मैदान में व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बीच उनकी यह टिप्पणी आई है।
केंद्र क्यों नहीं लागू कर सकता पुरानी पेंशन
रैली के आयोजकों ने मीडिया से कहा कि चार राज्य पहले ही ओपीएस लागू करने की घोषणा कर चुके हैं तो केंद्र इसे लागू क्यों नहीं कर सकता। यह रैली तब आयोजित की जा रही है, जब केंद्र इस साल मार्च में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को चुनने का एकमुश्त विकल्प लेकर आया था। कार्मिक मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार, जो कर्मचारी 22 दिसंबर 2003, जिस दिन एनपीएस अधिसूचित किया गया था, से पहले विज्ञापित या अधिसूचित पदों पर केंद्र सरकार की सेवाओं में शामिल हुए, वे केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 (अब 2021) के तहत पुरानी पेंशन योजना में शामिल होने के लिए पात्र हैं। सरकारी कर्मचारियों का चुनिंदा समूह 31 अगस्त, 2023 तक इस विकल्प को चुन सकता है। मंत्रालय ने कहा था कि एक बार इस्तेमाल किया गया विकल्प अंतिम होगा। इस संबंध में विभिन्न अभ्यावेदन, संदर्भ और अदालती फैसलों के बाद यह कदम उठाया गया है।
आदेश में क्या है?
आदेश में कहा गया है कि अब यह फैसला लिया गया, 'उन सभी मामलों में जहां केंद्र सरकार के सिविल कर्मचारी को किसी पद या रिक्ति के विरुद्ध नियुक्त किया गया है, जिसे एनपीएस के लिए अधिसूचना की तारीख यानी 22 दिसंबर 2003 से पहले भर्ती/नियुक्ति के लिए विज्ञापित/अधिसूचित किया गया था और 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद सेवा में शामिल होने पर एनपीएस के तहत कवर किया गया है, सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 (अब 2021) के तहत कवर करने के लिए एक बार विकल्प दिया जा सकता है।' आदेश में कहा गया था कि वे सरकारी कर्मचारी जो विकल्प का प्रयोग करने के पात्र हैं, 'लेकिन जो निर्धारित तिथि तक इस विकल्प का प्रयोग नहीं करते हैं', उन्हें राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली द्वारा कवर किया जाना जारी रहेगा।
क्या है ओपीएस?
ओपीएस के तहत कर्मचारियों को एक तय पेंशन मिलती है। एक कर्मचारी पेंशन के रूप में अंतिम आहरित वेतन की 50 प्रतिशत राशि का हकदार है। ओपीएस को एनडीए सरकार ने 2003 में 1 अप्रैल 2004 से बंद कर दिया था। वहीं एनपीएस के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन के लिए योगदान करते हैं जबकि सरकार 14 प्रतिशत का योगदान करती है।