कांग्रेस अध्यक्ष के लिए मतदान शुरू, राहुल ने कर्नाटक तो सोनिया-प्रियंका ने दिल्ली में वोट डाले, 4 बजे तक डेलिगेट्स डालेंगे वोट

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Atul Tiwari
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कांग्रेस अध्यक्ष के लिए मतदान शुरू, राहुल ने कर्नाटक तो सोनिया-प्रियंका ने दिल्ली में वोट डाले, 4 बजे तक डेलिगेट्स डालेंगे वोट

NEW DELHI. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए आज यानी 17 अक्टूबर को वोटिंग हो रही है। मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच मुकाबला है। वोटिंग सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक होगी। इसमें 9000 से ज्यादा कांग्रेस डेलिगेट्स वोट कर सकेंगे। 19 अक्टूबर को मतगणना होगी और नतीजे का ऐलान हो जाएगा। कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में पांचवीं बार अध्यक्ष पद के लिए चुनावी मुकाबला होने जा रहा है। ये मतदान पूरी तरह से गुप्त होगा और यहां तक कि ये भी पता नहीं लग पाएगा कि किस राज्य किसको कितने वोट मिले। वोटिंग बैलट पेपर से होगी यानी डेलिगेट्स का फैसला मतपेटी में बंद होगा। वोटिंग के लिए देशभर में 36 पोलिंग स्टेशन और 67 बूथ बनाए गए हैं।





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— Congress (@INCIndia) October 17, 2022





19 अक्टूबर को मतगणना के दिन सभी राज्यों से आई मतपेटियों के मतों को एक साथ मिला दिया जाएगा। इसके बाद काउंटिंग होगी ताकि ये भी सामने न आ पाए कि किस राज्य से किसको किने वोट मिले हैं। मतदान पूरी तरह से गुप्त होगा और इसमें प्रदेश अध्यक्ष या मुख्यमंत्री को निर्देश देने का अधिकार नहीं होगा। नेता अपने मन से अपना वोट डालेंगे और इसका पता किसी को नहीं चलेगा। 





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— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 17, 2022





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किसने कहां वोट डाले?





कांग्रेस मुख्यालय के साथ-साथ देशभर में मौजूद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तरों में वोटिंग होगी। पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी 24 अकबर रोड यानी कांग्रेस हेडक्वॉर्टर में वोट डाला। राहुल गांधी समेत 47 डेलिगेट्स कर्नाटक के बेल्लारी में वोट डाला। राहुल के साथ कई नेता भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हैं। थरूर ने केरल के तिरुवनंतपुरम में मतदान किया। वहीं खड़गे ने कर्नाटक के बेंगलुरु में मतदान किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में अध्यक्ष पद के लिए मतदान किया। मध्यप्रदेश के पूर्व CM कमलनाथ ने इंदिरा भवन भोपाल में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए वोट डाला। राजस्थान के CM अशोक गहलोत जयपुर कांग्रेस ऑफिस में अध्यक्ष पद के लिए वोट डाला।





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थरूर ने मुझे शुभकामनाएं दीं: खड़गे





कांग्रेस के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे ने बेंगलुरु में कहा, 'यह हमारा आंतरिक चुनाव है। हमने एक-दूसरे से जो कुछ भी कहा वह दोस्ताना ढंग से रहा। हमें मिलकर पार्टी को मजबूत करना है। शशि थरूर ने मुझे फोन किया और शुभकामनाएं दीं। मैंने भी उन्हें शुभकामनाएं दीं।'





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कांग्रेस का 137 साल का इतिहास 





कांग्रेस के 137 साल के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि ज्यादातर समय अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से हुआ यानी दो या इससे अधिक उम्मीदवारों के बीच चुनावी मुकाबले की स्थिति पैदा नहीं हुई। पहली बार 1939 में कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ। यह ऐतिहासिक था। इसमें महात्मा गांधी समर्थित उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया को नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में बोस को 1,580 वोट मिले थे तो सीतारमैया को 1,377 ही वोट हासिल हुए थे।







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दूसरी बार कांग्रेस अध्यक्ष पद का 1950 में हुआ। आचार्य जेबी कृपलानी और पुरुषोत्तम दास टंडन के बीच चुनावी मुकाबला हुआ, टंडन जीते। टंडन को 1,306 वोट मिले तो कृपलानी को 1,092 वोट हासिल हुए। बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ मतभेदों की वजह से टंडन ने इस्तीफा दे दिया। फिर नेहरू ने पार्टी की कमान संभाली। उन्होंने 1951 और 1955 के बीच पार्टी प्रमुख और प्रधानमंत्री के रूप में काम किया। नेहरू ने 1955 में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया और यूएन ढेबर कांग्रेस अध्यक्ष बने।







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1950 के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 47 साल तक चुनावी मुकाबला नहीं हुआ। 1997 में तीसरी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए। इसमें पहली बार त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला हुआ। सीताराम केसरी, शरद पवार और राजेश पायलट ने चुनाव लड़ा और इसमें केसरी जीते। केसरी को 6,224 तो पवार को 882 और पायलट को 354 वोट हासिल हुए थे। इस चुनाव के एक साल बाद ही कांग्रेस कार्यसमिति ने एक प्रस्ताव पारित कर केसरी को हटा दिया था। 







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22 साल पहले सोनिया के सामने थे जितेंद्र प्रसाद





चौथी बार कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 2000 में चुनाव हुआ। सोनिया गांधी के सामने उत्तर प्रदेश के दिग्गज ब्राह्मण नेता जितेंद्र प्रसाद खड़े हुए। कभी राजीव गांधी के राजनीतिक सचिव रहे प्रसाद को इस चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी और उन्हें सिर्फ 94 वोट हासिल हुए। सोनिया को 7,400 डेलिगेट का समर्थन मिला था। आजादी के बाद अब तक पार्टी की कमान 16 लोग संभाल चुके हैं, जिसमें गांधी परिवार के पांच अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में सोनिया कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष हैं और वह कांग्रेस के इतिहास में सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष पद पर रहने वाली महिला नेता हैं।





कांग्रेस में अध्यक्ष पद पर 4 दशक तक रहा गांधी परिवार का दबदबा





स्वतंत्र भारत में गांधी परिवार के सदस्य करीब चार दशक तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं। नेहरू ने 1951 और 1955 के बीच पार्टी प्रमुख के रूप में काम किया। नेहरू ने 1955 में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया और यूएन ढेबर ने पार्टी की कमान संभाली। इसके बाद इंदिरा गांधी 1959, 1966-67, 1978-1984 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं। बाद में कांग्रेस का कई मौकों पर विभाजन भी हुआ, हालांकि पार्टी का प्रमख हिस्सा गांधी परिवार के साथ रहा। 





के. कामराज 1964-67 तक अध्यक्ष रहे। एस निजलिंगप्पा 1968-69 में कांग्रेस अध्यक्ष रहे। इसके बाद जगजीवन राम 1970-71 में कांग्रेस अध्यक्ष बने। फिर डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा 1972-74 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे। 1975-77 में देवकांत बरुआ कांग्रेस अध्यक्ष बने। इंदिरा गांधी की हत्या के 1985 से 1991 तक उनके बेटे राजीव गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली। इस दौरान पांच साल तक वे प्रधानमंत्री भी रहे। 1992-96 के बीच पीवी नरसिंहराव कांग्रेस अध्यक्ष रहे।





जिस उम्मीदवार को वोट दे रहे हैं, उसके आगे लगाना होगा टिक मार्क 





कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री के मुताबिक, दोनों उम्मीदवारों के लिए एक समान नजरिया है। बैलट पेपर उम्मीदवार के आगे टिक मार्क लगाना होगा। मतदान के बाद सीलबंद बक्सों को दिल्ली ले जाया जाएगा। वहां कांग्रेस मुख्यालय के एक स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाएगा और 19 अक्टूबर को मतगणना शुरू होने से पहले सभी मतपत्रों को मिलाया जाएगा।





किस कैंडिडेट को गांधी परिवार को सपोर्ट?





मल्लिकार्जुन खड़गे को गांधी परिवार से उनकी कथित निकटता और वरिष्ठ नेताओं के समर्थन की वजह से पसंदीदा माना जा रहा है। वहीं, शशि थरूर ने खुद को बदलाव लाने वाले उम्मीदवार के तौर पर पेश किया है। हालांकि, दोनों उम्मीदवारों और पार्टी ने साफ किया है कि अध्यक्ष पद के चुनाव में गांधी परिवार तटस्थ है, कोई आधिकारिक उम्मीदवार नहीं है और ना ही किसी को समर्थन दिया गया है। वहीं, दोनों उम्मीदवारों ने इस बात पर जोर दिया है कि वे गांधी परिवार से नजदीकियां बनाए रखेंगे। खड़गे ने कहा कि गांधी परिवार पार्टी में एक विशेष स्थान रखता है। थरूर ने  भोपाल में कहा था कि कोई भी कांग्रेस अध्यक्ष गांधी परिवार से दूरी बनाकर काम नहीं कर सकता। 



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