AURAIYA: फूलन का अपहरण करने वाला डकैत 24 साल बाद गिरफ्तार, सतना में साधु बनकर रह रहा था 50 हजार का इनामी दस्यु

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Vivek Sharma
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AURAIYA: फूलन का अपहरण करने वाला डकैत 24 साल बाद गिरफ्तार, सतना में साधु बनकर रह रहा था 50 हजार का  इनामी दस्यु

Auraiya. दस्यु सुंदरी फूलन देवी को विक्रम मल्लाह के गैंग से अपहरण करने वाले डकैत को पुलिस ने 24 साल के बाद उप्र के औरैया से गिरफ्तार किया है। एक लंबे समय से पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहे इस डकैत का नाम छिंद्दा सिंह है जोकि मप्र के सतना में नाम और पहचान छुपाकर साधु के भेष में रह रहा था। उसके भाई ने भी पूर्व में उसे मृत घोषित कर पूरी जमीन अपने नाम कर ली थी ताकि पुलिस को विश्वास हो जाए कि वह मर चुका है लेकिन पुलिस को यकीन था कि वह जीवित है और और लगातार उसकी तलाश करती है। आखिकरकार उसे पुलिस ने पकड़ ही लिया। छिद्दा सिंह किसी जमाने में लालाराम श्रीराम गिरोह का खास सदस्य था। इस गिरोह द्वारा की गईं वारदातों में छिद्दा सिंह की भी संलिप्तता रही थी जिसके चलते वह हमेशा पुलिस के राडार पर था। उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने कई राज्यों में छापेमारी की लेकिन वह हाथ नहीं आया, लेकिन 24 साल बाद पुलिस ने उसे पकड़ लिया है। चंबल(Chambal) की कुख्यात दस्यु सुंदरी फूलन देवी(Notorious bandit beauty Phoolan Devi) से जुड़ी अनेक कहानियां आज भी लोगों को याद है। किसी जमाने में आतंक का पर्याय(synonym of terror) कही जाने वाली डकैत फूलन देवी(Dacoit Phoolan Devi) के नाम से लोग थर-थर कांपते थे। चंबल के बीहड़ों में आज भी उसके कई किस्से लोगों की जुबानी सुने जा सकते हैं। फूलन देवी से जुड़ा एक मामला सामने आया है। फूलन की किडनैपिंग के आरोपी डकैत छिद्दा सिंह(Dacoit Chhidda Singh accused of kidnapping of Phoolan) को औरैया से पकड़ लिया गया है। वह 24 साल से फरार चल रहा था। उस पर 50 हजार का इनाम भी था। वह मध्यप्रदेश के सतना में साधू बनकर रह रहा था। छिद्दा सिंह पर आरोप है कि 1981 में बेहमई कांड से पहले जब फूलन देवी का अपहरण विक्रम मल्लाह( Vikram Mallah) के ठिकाने से किया गया था तो छिद्दा सिंह उसमें शामिल था। छिद्दा सिंह बीमार है, इसलिए वह औरैया में अपने घर आया था। उसकी उम्र 69 साल है। किसी ने पुलिस को सूचना दे दी और वह पकड़ा गया। छिद्दा सिंह लालाराम के गिरोह का मुख्य सदस्य(Main member of Lalaram's gang) था। वह लालाराम के लिए अपहरण उद्योग( kidnapping industry) भी चलाता था। पुलिस के अनुसार छिद्दा सिंह के पास लालाराम  गिरोह से जुड़ी अनेक जानकारियां थी। वह कई मुठभेड़ों का गवाह था। 



तबीयत बिगड़ी तो घर आया



दो दशक पहले जब चंबल में डकैतों का सफाया हुआ तो छिद्दा सिंह सतना पहुंच गया था। इन दिनों उसकी तबीयत बिगड़ी तो उसे अपने घर की याद आई। छिद्दा सिंह अविवाहित है, लेकिन घर में अन्य सदस्य हैं। छिद्दा सिंह​​ अपने सहयोगी संन्यासी के साथ बोलेरो गाड़ी से शुक्रवार को अपने गांव भसोन लौटा था। इस समय वह ठीक से चल भी नहीं पा रहा है। फिलहाल गांव से ही पुलिस को सूचना मिली। जिसके बाद शनिवार को पहले उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। तबीयत सही होने के बाद उसे आज अरेस्ट कर लिया गया है। ​​​​​



बृजमोहन दास महाराज रखा था नाम




डकैती करने वाला छिद्दा सिंह एमपी के सतना में साधू बृजमोहन दास महाराज जी के नाम से रह रहा था। वह भगवद् आश्रम से जुड़ा हुआ है। उसने नए नाम और पते पर आधार कार्ड और पैन कार्ड तक बनवा रखा है।



20 साल की उम्र में भाग गया था 




छिद्दा सिंह 20 साल की उम्र में वह घर से भाग गया था। चंबल में उसने लालाराम का गिरोह जॉइन कर लिया था। धीरे-धीरे छिद्दा सिंह कुख्यात हो गया। आगे चलकर उसने लालाराम के लिए चंबल में अपहरण उद्योग खड़ा कर दिया। छिद्दा सिंह तब चर्चा में आया जब 1998 में अपहरण के मामले में ही पुलिस की मुठभेड़(police encounter) छिद्दा सिंह से हुई। तब से छिद्दा सिंह फरार ही रहा।



भाई ने मृत घोषित किया  




गांव वाले कहते हैं कि जब पुलिस ने छिद्दा सिंह​​ की तलाश तेजी से शुरू की तो उसके भाई ने एक चाल चली। छिद्दा सिंह​​ को मृत दिखाकर उसकी जमीन अपने नाम करवा ली। इस तरह छिद्दा सिंह​​ दस्तावेजों में मृत घोषित हो गया, लेकिन पुलिस उसे जिंदा मान रही थी। तभी 2015 में पुलिस ने इसके ऊपर 50 हजार इनाम घोषित(50 thousand reward announced) कर दिया गया था। 



24 से अधिक मुकदमे दर्ज



छिद्दा के ऊपर 24 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। लालाराम के साथ मिलकर 1980 में उसने फूलन देवी का अपहरण किया था। इसके 2 साल बाद 1984 में औरेया के अस्ता गांव में आग लगाकर 12 लोगों को लाइन में खड़ा कर गोली मार दी थी। दरअसल, फूलन ने अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए 21 ठाकुरों को मार डाला था। इसे बेहमई कांड कहा जाता है। लालाराम ने इसका बदला लेने के लिए अस्ता गांव में 12 मल्लाहों को मारकर गांव जला दिया था। इस मामले की रिपोर्ट तक नहीं दर्ज हुई थी। गांव वालों ने वहां स्मारक बनवा रखा है।



कौन थी फूलन देवी



फूलन देवी 1980 के दशक के शुरुआत में चंबल के बीहड़ों में सबसे ख़तरनाक डाकू मानी जाती थीं। फूलन देवी के डकैत बनने की कहानी किसी के भी रोंगटे खड़ी कर सकती है। फूलन देवी का जन्म उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के एक गांव पूरवा में 1963 में हुआ था। इसी गांव से उसका कहानी भी शुरू होती है। गांव के दबंगों ने एक दस्यु गैंग को कहकर फूलन का अपहरण करवा दिया। बस यहीं से शुरू हुआ फूलन के डकैत बनने की कहानी और उसने 14 फ़रवरी 1981 को बहमई में 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा करके मारी गोली मार दी। 1994 में जेल से रिहा होने के बाद वे 1996 में सांसद चुनी गईं। वह दो बार लोकसभा के लिए चुनी गईं। लेकिन 2001 में केवल 38 साल की उम्र में दिल्ली में उनके घर के सामने फूलन देवी की हत्या कर दी गई थी।



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