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नई दिल्ली. सिंघु बॉर्डर पर लखबीर सिंह हत्या मामले में 4 आरोपी निहंग समर्पण (Surrender) कर चुके हैं। 16 अक्टूबर को पुलिस ने भगवंत सिंह और गोबिंद सिंह नाम के 2 निहंगों ने कुंडली बॉर्डर पर सरेंडर किया। सरेंडर से पहले दोनों ने डेरे में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सामने अरदास की। सरेंडर करने वाले निहंगों को लेने के लिए सोनीपत पुलिस की एक टीम रात करीब साढ़े 8 बजे सिंघु बॉर्डर पर निहंगों के डेरे में पहुंची थी।
एक निहंग का 15 अक्टूबर को ही सरेंडर
चार आरोपियों में से एक सरबजीत सिंह ने हत्या के 15 घंटे बाद 15 अक्टूबर की शाम को ही सिंघु बॉर्डर पर सरेंडर कर दिया था, जबकि 3 निहंगों ने 16 अक्टूबर को सरेंडर किया। कल नारायण सिंह ने अमृतसर में और भगवंत सिंह और गोबिंद सिंह ने खुद को सिंघु बॉर्डर पर कुंडली पुलिस के हवाले कर दिया।
निहंग नारायण सिंह ने कबूली लखबीर का पैर काटने की बात
निहंग नारायण सिंह ने कबूल किया कि उसने मरने वाले लखबीर सिंह का पैर काटा। निहंग ने बताया कि वह दशहरा मनाने के लिए अमृतसर से निकला था। 15 अक्टूबर सुबह करीब 5 बजे सिंघु बॉर्डर पर पहुंचा। वहां जुटे लोगों ने उसकी गाड़ी पर हाथ मारा। बाहर निकलने पर लोगों ने बताया कि लखबीर ने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की है। उसने वहां मौजूद लोगों से पूछा कि क्या लखबीर अभी तक जिंदा है। उसने जब लखबीर को देखा, तो उसका हाथ कटा हुआ था। इसके बाद नारायण ने तलवार से लखबीर का पैर काट दिया। आधे घंटे बाद उसकी मौत हो गई।
जो किया, ठीक किया
निहंग नारायण सिंह ने कहा, 'लखबीर सिंह ने गुरु का अपमान किया था, इसलिए मैंने जो किया, ठीक किया। अगर सरबजीत सिंह कसूरवार है, तो मैं भी कसूरवार हूं। मैंने भी सरबजीत सिंह का उतना ही सहयोग किया। 2014 से गुरुओं का अपमान हो रहा है। गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान की कितनी घटनाएं सामने आईं, लेकिन पुलिस ने सहयोग नहीं दिया। एक भी आरोपी पर कार्रवाई नहीं की गई। इस घटना में आरोपी को सरेआम पकड़ लिया गया और उस समय जो ठीक लगा, निहंग जत्थेबंदियों ने वही किया।