Delhi:नूपुर शर्मा के BJP से निलंबन के पीछे इंटरनेशनल प्रेशर है या कुछ और? जानें

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Atul Tiwari
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Delhi:नूपुर शर्मा के BJP से निलंबन के पीछे इंटरनेशनल प्रेशर है या कुछ और? जानें

New Delhi. बीजेपी ने 5 जून को प्रवक्ता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) और नवीन जिंदल (Naveen Jindal) को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता (Primary Membership) से निलंबित कर दिया। दोनों पर पैगंबर हजरत मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। इस कार्रवाई को लेकर कई तरह की चर्चाएं है। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार पर इंटरनेशनल, खासतौर पर गल्फ देशों के दबाव के चलते बीजेपी ने एक्शन लिया। क्या सिर्फ अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते ही नूपुर और नवीन पर ये कार्रवाई हुई या कुछ और भी है जिसके चलते पार्टी को इतना बड़ा फैसला लेना पड़ा, आइए जानते हैं...



मामला सीमा पार पहुंच गया...



कतर, कुवैत और ईरान ने भारतीय राजदूतों को तलब कर विरोध जताया। कतर और कुवैत ने भारत सरकार से इस बयान पर माफी की मांग की है। वहीं, सऊदी अरब ने भी इस बयान पर ऐतराज जताया है। इस बीच 57 मुस्लिम देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने भी निंदा की है। संगठन ने सोशल मीडिया पोस्ट कर कहा- भारत में बीते दिनों में मुस्लमानों के खिलाफ हिंसा के मामले बढ़े हैं। कई राज्यों में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब में बैन के साथ मुस्लिमों पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं।



भारत ने OIC का बयान खारिज किया



भारतीय विदेश मंत्रालय ने OIC के बयान पर ऐजराज जताया है। विदेश मंत्रालय ने कहा- भारत OIC सचिवालय की गैरजरूरी और छोटी सोच वाली टिप्पणियों को साफ तौर पर खारिज करता है। भारत सरकार सभी धर्मों को सम्मान देती है।



आखिर नुपूर शर्मा ने कहां और क्या कह दिया?



वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर देशभर में चर्चा छिड़ी हुई है। 27 मई को बीजेपी स्पोक्सपर्सन के तौर पर नूपुर एक नेशनल टेलीविजन न्यूज चैनल की डिबेट में पहुंचीं। बहस के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग हिंदू आस्था का लगातार मजाक उड़ा रहे हैं। अगर यही है तो वह भी दूसरे धर्मों का मजाक उड़ा सकती हैं। नूपुर ने इसके आगे इस्लामी मान्यताओं का जिक्र किया, जिसे कथित फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया और नूपुर पर पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप लगाया।




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अब नूपुर ने ट्वीट कर टीवी डिबेट ने दिया बयान वापस ले लिया है।




FIR और फिर संघ प्रमुख का बयान 



नूपुर का वीडियो वायरल होते ही 1 जून को महाराष्ट्र में नूपुर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में पहला केस दर्ज हुआ। 2 जून को महाराष्ट्र में ही दूसरा मामला दर्ज हुआ। 3 जून को संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने मंदिर मस्जिद को लेकर बड़ा बयान दे दिया। उन्होंने कहा, ‘इतिहास वह है, जिसे हम बदल नहीं सकते। इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, यह उस समय घटा.. हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों तलाशना है? यह ठीक नहीं है। हम विवाद क्यों बढ़ाना चाहते हैं? हर दिन हमें नया मामला नहीं लाना चाहिए।’ 



पहले सफाई और फिर कार्रवाई



5 जून को पहले बीजेपी महासचिव अरुण सिंह ने एक बयान जारी किया। इसमें उन्होंने नूपुर का नाम तो नहीं लिया, लेकिन शब्दों से साफ पता चल रहा था कि वे नूपुर की बात कर रहे हैं। अरुण सिंह ने अपने बयान में कहा, 'पार्टी किसी भी संप्रदाय या धर्म का अपमान करने वाली किसी भी विचारधारा के खिलाफ है। पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है और किसी भी धार्मिक व्यक्तित्व के अपमान की कड़ी निंदा करती है। बीजेपी ऐसे लोगों या विचारों को बढ़ावा नहीं देती।' अरुण के इस बयान के चंद घंटे बाद ही नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल पर कार्रवाई हो गई। दोनों को पार्टी के सभी पदों से हटाते हुए प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया गया। 



नूपुर पर क्यों हुआ एक्शन?



27 मई को नूपुर का बयान आने के बाद से 5 जून की सुबह तक बीजेपी के तमाम नेता, सांसद और प्रवक्ता उनका बचाव करते दिखे। बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा तो नूपुर से मिलने उनके घर भी पहुंचे थे। ऐसे में अचानक ऐसा क्या हो गया कि पार्टी ने पहले नुपुर के बयान से किनारा किया और फिर नूपुर से? राजनीतिक विश्लेषक इसके 3 कारण बताते हैं...



1. इंटरनेशनल प्रेशर: शुरुआत में ये मामला केवल भारतीय मुसलमानों तक सीमित था। इसके चलते बीजेपी लगातार नूपुर शर्मा को डिफेंड कर रही थी, लेकिन जब ये इंटरनेशनल मुद्दा बना तो सरकार के लिए मुसीबतें बढ़ने लगीं। खासतौर पर अरब देशों में इसको लेकर काफी आक्रोश था। केंद्र सरकार नहीं चाहती थी कि विवाद बढ़े और इसका असर इंटरनेशनल रिलेशंस पर पड़े। 

 

2. भारतीय नागरिकों की जान खतरे में थी: ऐसा नहीं है कि सिर्फ इंटरनेशनल प्रेशर के चलते नूपुर शर्मा पर ये कार्रवाई हुई। सबसे बड़ा कारण ये है कि अरब देशों में इस बयान को लेकर भारतीय हिंदुओं के खिलाफ कट्टरपंथियों ने गुट बना लिए थे। कतर, कुवैत, ओमान, बहरीन जैसे देशों में रहने वाले भारतीय हिंदू खतरे में आ गए थे। इन्हें खुलेआम धमकियां मिलने लगीं थीं। कई जगहों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ी जाने लगीं। ऐसे में भारत सरकार अगर खुलकर स्टेंड नहीं लेती तो हालात भयावह हो सकते थे। 

 

3. सांप्रदायिक हिंसा बढ़ने का डर था: नूपुर शर्मा के बयान के बाद कानपुर में सांप्रदायिक हिंसा हो चुकी है। अच्छी बात ये है कि समय रहते इसे पुलिस ने संभाल लिया, लेकिन ये तो एक शुरुआत थी। अगर नूपुर के खिलाफ बीजेपी कार्रवाई नहीं करती तो इस तरह की सांप्रदायिक हिंसा देश के दूसरे राज्यों और शहरों में होने का खतरा बढ़ने लगा था। सांप्रदायिक तनाव को कम करने के लिए बीजेपी ने ये फैसला लिया।   



गल्फ में 76 लाख भारतीय प्रवासी



भारत और खाड़ी देशों के बीच रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं। भारत अपनी जरूरत के ऑयल एक बहुत बड़ा हिस्सा इन्हीं देशों से इम्पोर्ट करता है, इसके अलावा विदेश मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, लगभग 76 लाख भारतीय मिडिल ईस्ट (पश्चिम एशिया) देशों में काम करते हैं। कोरोना की चोट से अभी तक भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह उबर नहीं पाई है। ऐसे में अगर यह मामला ज्यादा तूल पकड़ता है, इससे देश की आर्थिक सेहत को काफी नुकसान पहुंच सकता है। भारत अपनी जरूरत का कुल 52.7% तेल इन्हीं देशों से इंपोर्ट करता है। इसके अलावा भारत को विदेश मुद्रा (Foreign Reserve) का एक बड़ा हिस्सा यहीं से मिलता है।



अब नूपुर ने क्या किया?



नूपुर शर्मा ने ट्वीट कर टीवी टीवी डिबेट में दिया गया बयान वापस ले लिया है।




— Nupur Sharma (@NupurSharmaBJP) June 5, 2022


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