DELHI: नेशनल हेराल्ड से जुड़े 14 ठिकानों पर ED का छापा; सोनिया-राहुल से भी हो चुकी है पूछताछ, देशभर में कांग्रेस कर चुकी प्रदर्शन

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Atul Tiwari
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DELHI: नेशनल हेराल्ड से जुड़े 14 ठिकानों पर ED का छापा; सोनिया-राहुल से भी हो चुकी है पूछताछ, देशभर में कांग्रेस कर चुकी प्रदर्शन

NEW DELHI. प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने 2 अगस्त दिल्ली स्थित नेशनल हेराल्ड के दफ्तर में छापा मारा। जानकारी के मुताबिक, ईडी के अधिकारी नेशनल हेराल्ड के दफ्तर में मौजूद हैं और तलाशी अभियान चल रहा है। इस मामले में पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी पूछताछ हो चुकी है। जानकारी के मुताबिक, नेशनल हेराल्ड मामले में देशभर में 14 लोकेशन पर छापेमारी की गई। इसमें नेशनल हेराल्ड का दफ्तर भी शामिल है। 







— ANI (@ANI) August 2, 2022





क्या है नेशनल हेराल्ड?





देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL का गठन किया था। इसका उद्देश्य अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशित करना था। तब AJL के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित हुए। भले ही AJL के गठन में पं. जवाहर लाल नेहरू की भूमिका थी, लेकिन इस पर मालिकाना हक कभी भी उनका नहीं रहा। क्योंकि, इस कंपनी को 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वही इसके शेयर होल्डर भी थे। 90 के दशक में ये अखबार घाटे में आने लगे। 2008 तक AJL पर 90 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया। तब AJL ने फैसला किया कि अब अखबारों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद AJL प्रॉपर्टी बिजनेस में उतरी। 





राहुल गांधी ने 1 अगस्त को किया था ट्वीट







— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 1, 2022





ऐसे शुरू हुआ विवाद





2010 में AJL के 1057 शेयरधारक थे। घाटा होने पर इसकी होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड यानी YIL को ट्रांसफर कर दी गई। यंग इंडिया लिमिटेड की स्थापना उसी वर्ष यानी 2010 में हुई थी। इसमें तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के महासचिव राहुल गांधी डायरेक्टर के रूप में शामिल हुए। कंपनी में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के पास रखी गई। शेष 24% कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस (दोनों का निधन हो चुका है) के पास थी। 





शेयर ट्रांसफर होते ही AJL के शेयर होल्डर्स सामने आ गए। पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण, इलाहाबाद व मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडेय काटजू सहित कई शेयरधारकों ने आरोप लगाया कि जब YIL ने AJL का अधिग्रहण किया था, तब उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था। यही नहीं, शेयर ट्रांसफर करने से पहले शेयर होल्डर्स से सहमति भी नहीं ली गई। शांति भूषण और मार्कंडेय काटजू के पिता के नाम पर AJL में शेयर था। 



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