DELHI:नूपुर के बयान पर ‘सुप्रीम’ टिप्पणी के बाद अंबेडकर के हवाले से कट्टरपंथियों पर निशाना,बाबा साहेब ने अपनी बुक में क्या लिखा?

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Atul Tiwari
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DELHI:नूपुर के बयान पर ‘सुप्रीम’ टिप्पणी के बाद अंबेडकर के हवाले से कट्टरपंथियों पर निशाना,बाबा साहेब ने अपनी बुक में क्या लिखा?

NEW DELHI. नूपुर शर्मा के दिए बयान पर हंगामा जारी है। 1 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने नुपूर को फटकार लगाते हुए कहा कि उनके बयान ने भड़काने की कोशिश की। उनके बयान ने देश में आग लगा दी। उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। शीर्ष कोर्ट ने एफआईआर के बावजूद नूपुर को गिरफ्तार ना किए जाने पर भी नाराजगी जताई थी।



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इस सारे घटनाक्रम के बीच कई मीडिया रिपोर्ट्स में बाबा साहेब अंबेडकर की किताब के हवाले से कट्टरपंथियों पर निशाना साधा जा रहा है। आइए जानते हैं, अंबेडकर की किस किताब में क्या लिखा गया है...



अंबेडकर की किताब 



बाबा साहेब अंबेडकर ने अपनी किताब थॉट्स ऑन पाकिस्तान (Thoughts on Pakistan) में कट्टरपंथियों को लेकर कई खुलासे किए हैं।



क्या लिखा है किताब में?  



थॉट्स ऑन पाकिस्तान (Thoughts on Pakistan) के पेज 152 पर लिखा है- ये तथ्य है कि कई प्रसिद्ध हिंदू, जिनके लेखों या शुद्धि आंदोलन में हिस्सा लेने से मुस्लिमों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। इसके चलते मुस्लिम कट्टरपंथियों ने उनकी हत्या कर दी। सबसे पहले स्वामी श्रद्धानंद को अब्दुल रशीद ने 23 दिसंबर 1926 को गोली मारी। उस समय श्रद्धानंद बीमार थे और बिस्तर पर थे। इसके बाद दिल्ली में आर्यसमाजी लाला नानकचंद की हत्या की गई।



6 अप्रैल 1929 को इल्मुद्दीन ने राजपाल की तब हत्या कर दी, जब वे अपनी दुकान पर बैठे थे। 

सितंबर 1934 को नाथूरामल शर्मा की कोर्ट में हत्या कर दी गई, जब वे इस्लाम के खिलाफ एक पैम्फलेट के प्रकाशन के खिलाफ केस के दौरान सुनवाई का इंतजार कर रहे थे।

1938 में हिंदू महासभा के सचिव खन्ना पर जानलेवा हमला हुआ और वे बाल-बाल बच गए।



ये भी कहते हैं बाबा साहेब?



अंबेडकर ये भी लिखते हैं कि ये बहुत छोटी लिस्ट है, जिसे काफी आगे बढ़ाया जा सकता है। अहमियत इस बात की नहीं है कि कितनी कम या ज्यादा संख्या में प्रमुख हिंदुओं का कत्ल मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा किया गया। महत्व ये है कि इन हत्यारों के पीछे सोच क्या है। हत्यारों को तो कानून के मुताबिक सजा मिली, लेकिन मुस्लिम समाज के लोगों ने इनकी कोई निंदा नहीं की। उल्टे इन कट्टरपंथियों को शहीद बताया गया और इन्हें रिहा करने के लिए प्रदर्शन किए गए। 



इसका एक उदाहरण लाहौर के बरकत अली है, जो नाथूरामल के हत्यारे अब्दुल कयूम का केस लड़ रहे थे। बरकत अली ने कहा था- नाथूरामल की हत्या का दोषी कयूम नहीं है, क्योंकि उसने जो किया, वो कुरान के नियमों के तहत जायज है। 



सवाल क्या...?



मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया कि जिस समय बाबा साहेब अंबेडकर की ये किताब आई, तब ना तो बीजेपी थी, ना मोदी-शाह और ना ही आज जैसी बयानबाजियों का दौर। फिर कट्टरपंथियों द्वारा हत्याएं या हमले क्यों किए गए? आज हिंसा भड़कने के पीछे एक महिला के बयान को जिम्मेदार बताया जा रहा है। 



आखिर नुपूर शर्मा ने कहां और क्या कह दिया?



वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर देशभर में चर्चा छिड़ी थी। 27 मई को बीजेपी स्पोक्सपर्सन के तौर पर नूपुर एक नेशनल टेलीविजन न्यूज चैनल की डिबेट में पहुंचीं। बहस के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग हिंदू आस्था का लगातार मजाक उड़ा रहे हैं। अगर यही है तो वह भी दूसरे धर्मों का मजाक उड़ा सकती हैं। नूपुर ने इसके आगे इस्लामी मान्यताओं का जिक्र किया, जिसे कथित फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया और नूपुर पर पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप लगाया।



नूपुर पर कार्रवाई



5 जून को पहले बीजेपी महासचिव अरुण सिंह ने एक बयान जारी किया। इसमें उन्होंने नूपुर का नाम तो नहीं लिया, लेकिन शब्दों से साफ पता चल रहा था कि वे नूपुर की बात कर रहे हैं। अरुण सिंह ने अपने बयान में कहा, 'पार्टी किसी भी संप्रदाय या धर्म का अपमान करने वाली किसी भी विचारधारा के खिलाफ है। पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है और किसी भी धार्मिक व्यक्तित्व के अपमान की कड़ी निंदा करती है। बीजेपी ऐसे लोगों या विचारों को बढ़ावा नहीं देती।' अरुण के इस बयान के चंद घंटे बाद ही नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल पर कार्रवाई हो गई। दोनों को पार्टी के सभी पदों से हटाते हुए प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया गया। 


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