कुतुब मीनार का नाम विष्णु स्तंभ करने की मांग, जानें 824 साल पुरानी इमारत का सच

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Atul Tiwari
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कुतुब मीनार का नाम विष्णु स्तंभ करने की मांग, जानें 824 साल पुरानी इमारत का सच

New Delhi. इन दिनों नाम बदलने की राजनीति जोरों पर है। बीजेपी ने दिल्ली के कई गांवों के नाम बदलने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है। इसी बीच 10 मई को हिंदू संगठन महाकाल मानव सेवा कुतुब मीनार पर प्रदर्शन के लिए पहुंचा और इसके नाम बदलने की मांग की।



हालांकि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कुतुब मीनार पहुंचने से पहले ही रोक लिया और सबको हिरासत में ले लिया। संगठन के कार्यकर्ता कुतुब मीनार परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले थे, पुलिस ने पहले ही उन्हें रोकने के लिए चारों ओर बैरिकेडिंग कर दी थी। प्रदर्शनकारी तमाम बैनर और पोस्टर लेकर नारेबाजी कर रहे थे कि कुतुब मीनार नहीं विष्णु स्तंभ कहा जाना चाहिए।




— ANI (@ANI) May 10, 2022



परिसर में पूजा के लिए लगाई गई थी याचिका



मार्च 2021 में कुछ हिन्दू संगठनों का कहना था कि क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद वास्तव में एक मंदिर है और हिन्दुओं को यहां पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने मंदिर की बहाली के लिए अदालत में याचिका भी दायर की थी। 



तोमरों ने बसाई थी दिल्ली



दिल्ली 700 ईसवी के आसपास तोमरों ने बसाई थी। तब इसे ढिल्लिका कहा जाता था। अनंगपाल तोमर इस वंश के बड़े शासकों में से थे। अनंगपाल, पृथ्वीराज चौहान III के नाना थे। जिस जगह पर कुतुब मीनार बनी है, इसे आज कुतुब परिसर कहा जाता है। इस परिसर को भी तोमरों ने ही बनवाया था, जिसे लाल कोट कहा जाता था।



कुतुबुद्दीन ऐबक ने कराया था निर्माण



मुईजुद्दीन या शहाबुद्दीन गौरी (मोहम्मद गौरी) ने 1192 में तराइन के दूसरे युद्ध पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया था। इसके बाद एक तरह से भारत में तुर्क सत्ता की स्थापना का रास्ता साफ हो गया था। हालांकि, गौरी की खोखरों के हमले में जल्दी ही मौत हो गई थी। लेकिन इससे पहले गौरी ने अपने तीन गुलामों कुतुबुद्दीन ऐबक, ताजुद्दीन यल्दौज और कुबाचा में इलाके बांट दिए। दिल्ली ऐबक को मिली। 1198 में ऐबक ने दिल्ली में कुतुब मीनार का निर्माण शुरू कराया। मीनार का निर्माण निर्माण उसी लाल कोट परिसर में शुरू कराया गया था। इसी परिसर में ही ऐबक ने कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण भी कराया। 



इतिहासकारों का कहना है कि लाल कोट (कुतुब परिसर) में 27 हिंदू और जैन मंदिर थे, जिन्हें तुड़वाया गया। इन मंदिरों की ईंटों का इस्तेमाल ही वहां इस्लामिक भवनों में किया गया।



एक ही मंजिल बनवा पाया ऐबक



कुतुबुद्दीन ऐबक की 1210 में चौगान (पोलो जैसा खेल) खेलते समय मौत हो गई। इसके पहले वह कुतुब मीनार की एक मंजिल ही बनवा पाया। ऐबक ने तब सूफी संत रहे कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के सम्मान में मीनार बनवाई थी। मीनार की दो मंजिलें ऐबक के बाद शासक रहे इल्तुतमिश ने बनवाईं। ऊपर की दो मंजिलें फिरोज तुगलक ने बनवाई। 5 मंजिला मीनार 72.5 मीटर ऊंची है। कुतुब परिसर में ही अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) भी कुतुब मीनार जैसी ही दूसरी मीनार बनवा रहा था, लेकिन वह बनवा नहीं पाया।  



ये पिटीशन भी लगाई गई



कुतुब मीनार में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों की हालात को लेकर राज्यसभा के पूर्व सांसद और भाजपा नेता तरुण विजय ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को पत्र लिखा था। उन्होंने कुतुब मीनार परिसर में भगवान गणेश की उल्टी प्रतिमा और एक जगह उनकी प्रतिमा को पिंजरे में बंद होने की बात कही थी। विजय ने कहा था कि ऐसा करके हिंदू भावनाओं को अपमानित किया जा रहा है। विजय ने इन प्रतिमाओं को राष्ट्रीय संग्रहालय में रखवाने की मांग की थी। 



इसके पहले पिछले साल दिल्ली की एक अदालत में एक याचिका दायर हुई थी। इसमें मांग की गई थी कि जिन 27 मंदिरों को तोड़कर ये कुतुब मीनार बनाया गया था, उनका जीर्णोद्धार कराया जाना चाहिए। ये याचिका हिंदू देवता भगवान विष्णु, जैन देवता तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और अन्य की ओर से दायर की गई थी। दीवानी न्यायाधीश नेहा शर्मा ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था, 'इस बात से सहमत हूं कि अतीत में कई गलतियां हुईं, लेकिन ऐसी गलतियां हमारे वर्तमान और भविष्य की शांतिभंग करने का आधार नहीं हो सकतीं।' इसके बाद कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी थी। 



5 प्रमुख मंदिर जो मुस्लिम आक्रांताओं ने तोड़े



712 ईसवी में अरब शासक मोहम्मद बिन कासिम के साथ भारत में मुस्लिम सत्ता का आगमन हुआ। बाद में तुर्कों के भी आक्रमण हुए, ये आक्रमण लूट के मकसद से किए गए। इस दौरान सैकड़ों मंदिर तोड़े गए। हम आपको 10 प्रमुख मंदिरों के बारे में बता रहे हैं। 



1. मार्तंड मंदिर, अनंतनाग, कश्मीर



इस मंदिर को कश्मीर के महान शासक रहे ललितादित्य मुक्तापीड़ (725-61) ने बनवाया था। इस मंदिर को मुस्लिम शासक सिकंदर बुतशिकन ने तुड़वा दिया। 



2. सूर्य मंदिर, मोढेरा, गुजरात



ये मंदिर गुजरात के पाटण से 30 किमी दूर स्थित मोढेरा गांव में स्थित है। 1026 में सोलंकी शासक भीमदेव I ने इसे बनवाया। अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात विजय के दौरान यहां लूटपाट की और मूर्तियों को खंडित किया।



3. काशी विश्वनाथ मंदिर, बनारस, यूपी



महाभारत और उपनिषद में भी इस मंदिर का उल्लेख है। 1100 ईसा पूर्व राजा हरिश्चंद्र ने काशी विश्वनाथ जीर्णोद्धार कराया, फिर सम्राट विक्रमादित्य ने भी जीर्णोद्धार कराया। 1194 में मोहम्मद गौरी ने लूट के बाद मंदिर तुड़वा दिया था। इसे बनवाया गया, लेकिन 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद ने भी तुड़वा दिया। औरंगजेब के आदेश पर यहां ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई गई। 1777-80 में इंदौर की अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।



4. कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा, यूपी



मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि है, इसी के आधे हिस्से पर ईदगाह बनी है। औरंगजेब में 1660 में मथुरा के कृष्ण मंदिर को तुड़वाकर ईदगाह बनवा दी। मंदिर को 1017-18 में महमूद गजनवी ने भी तोड़ा था।



5. राम जन्मभूमि, अयोध्या, यूपी



इतिहासकारों के मुताबिक, 1528 में बाबर के सेनापति मीर बकी ने अयोध्या में राम मंदिर तुड़वाकर मस्जिद बनवाई थी। 


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