पुरानी पेंशन स्कीम, धर्मसंकट में MP सरकार; लागू होने से क्या बदलेगा?जानें A टू Z

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Aashish Vishwakarma
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पुरानी पेंशन स्कीम, धर्मसंकट में MP सरकार; लागू होने से क्या बदलेगा?जानें A टू Z

भोपाल. कर्मचारी वर्ग लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग कर रहा था। राजस्थान और झारखंड सरकार ने इस बहाल करने का ऐलान कर दिया है। अब इस पुरानी पेंशन स्कीम से शिवराज सरकार की टेंशन बढ़ गई है, क्योंकि 2023 विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने में जुटी है। अगर सरकार इसे लागू करती है तो सीएम शिवराज सिंह चौहान को अपनी सरकार की ही योजना को पलटना होगा। हालांकि लागू करने की स्थिति में सरकार पर 14 साल तक वित्तीय भार नहीं आएगा। आइए समझते हैं आखिर ये स्कीम क्या है और इस लागू करने की मांग इतना जोर क्यों पकड़ रही है?



MP में ये है गणित: कर्मचारी संघ के मुताबिक, मध्यप्रदेश में 3.35 लाख सरकारी कर्मचारी और अधिकारी 1 जनवरी 2005 के बाद नौकरी में आए हैं। इसमें सबसे ज्यादा टीचर की संख्या 2.87 लाख हैं। इसके अलावा 48 हजार बाकी कर्मचारी है। ये नई पेंशन स्कीम के दायरे में आते हैं। इसलिए सरकार हर महीने इनके मूल वेतन की 14 फीसदी अंशदान राशि जमा करती है। ये सालाना करीब 344 करोड़ रुपए हैं। अगर शिवराज सरकार पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करती है। ऐसे स्थिति में सरकार को इन 344 करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी। सरकार पर 14 साल बाद यानी 2035-36 से वित्तीय बोझ आना शुरू होगा। अगर सरकार इसे लागू करती है तो उसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी की योजना बदलनी होगा। 



कांग्रेस शासित प्रदेश छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में इसे लागू करने का ऐलान किया गया है। इसके बाद मध्यप्रदेश के कर्मचारी संघ ने भी बड़े आंदोलन की तैयारी कर दी है। पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ने बताया कि हमने विधानसभा में प्रश्न लगाया है। इस मुद्दे को संकल्प के माध्यम से विधानसभा में प्रस्तुत करेंगे। पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर सदन में चर्चा की जाएगी। जब संकल्प पारित होगा तो सरकार कानून बनाने और पेंशन देने के लिए मजबूर हो जाएगी।  



नई पेंशन स्कीम 2005 से लागू: 2004 से पहले कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम के तहत रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन मिलती थी। यह पेंशन रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन पर आधारित होती थी। इस स्कीम के तहत रिटायर्ड कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिजनों को भी पेंशन का प्रावधान था। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बंद कर दिया था। इसके बाद नई पेंशन स्कीम लागू की गई थी। नई पेंशन स्कीम शेयर बाजार पर आधारित है। इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।



पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) के अहम बिंदू




  • इस स्कीम में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।


  • पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं कटता है।

  • पुरानी पेंशन स्कीम में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है।

  • इस स्कीम में 20 लाख रुपए तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है।

  • रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है।

  • पुरानी स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फंड यानी GPF का प्रावधान है।

  • इसमें छह महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान है।



  • नई पेंशन स्कीम की खास बातें 




    • नई पेंशन स्कीम (NPS) में कर्मचारी की बेसिक सैलरी+ डीए का 10 फीसद हिस्सा कटता है।


  • एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है। इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।

  • इसमें छह महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान नहीं है।

  • यहां रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती।

  • एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है, इसलिए यहां टैक्स का भी प्रावधान है।

  • इस स्कीम में रिटायरमेंट पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40% निवेश करना होता है।


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