RAISEN. अहिंसा परमो धर्म सिद्धान्त का पालन करके जीवन जीने वाले जैन समाज के पर्युषण पर्व में एक अनूठा उपवास देखने को मिला है। बेगमगंज जैन समाज के लोगों ने 24 घंटे का डिजिटल उपवास धारण करके खुद को मोबाइल-इंटरनेट से दूर रखकर देश का पहला ई-फास्ट पूरा किया। बेगमगंज में जैन मुनियों के समक्ष एक अनोखे अपवास की अवधारणा रखी गई है, इस ई-फास्टिंग की जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद देशभर में इसकी चर्चा हो रही है। जैन समाज के इस अभूतपूर्व प्रयास से प्रेरित होकर अन्य समाज के लोग भी ये कहते नजर आ रहे हैं कि हम भी महीने में एक बार ई-उपवास रखने की कोशिश करेंगे।
एक अनोखा प्रयास डिजिटल फास्टिंग
बेगमगंज के जैन समाज ने इस उपवास को डिजिटल फास्टिंग का नाम दिया है। इसकी पहल करने वाले जैन समाज के अध्यक्ष अक्षय जैन सराफ बताते हैं कि आजकल हर आयु वर्ग के लोगों में जो इंटरनेट की लत लगी हुई हैं उससे होने वाले नुकसान से सभी अनजान हैं। इससे बचाव और इस अनोखे व्रत के लिए जैन समाज के लोगों को उन्होंने शुरू में ही बताया कि हम सभी को इंटरनेट की आदत पड़ चुकी है और ये आदत इतनी आसानी से नहीं छूट पाएगी इसलिए हमें अपने अपने मोबाइल को मंदिर में 24 घंटे के लिए बन्द करके छोड़ना होगा। खास बात ये है कि इसमें भी ज्यादातर ऐसे लोगों को जोड़ा गया है जो सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेमिंग और पॉर्नोग्राफी की लत से परेशान रहते थे।
हर समाज कर रहा सराहना
जैन समाज की इस अनोखी पहल की सराहना हर समाज के लोग करते नजर आ रहे हैं। अक्षय जैन ने बताया कि इस उपवास के दौरान मोबाइल फोन, लैपटॉप और टीवी से दूरी बनाकर असली दुनिया का अनुभव लेना होता है। इस अनोखे उपवास का एक मात्र उद्देश्य यही है कि लोग अपने मोबाइल की लत छोड़ सकें। व्रतधारी अक्षय जैन ने अपने दोस्तों, ऑफिस और घर पर पहले ही मैसेज कर दिया ताकि अगर अगली सुबह 10 बजे तक वे किसी से कॉन्टैक्ट न कर पाएं तो कोई परेशान न हो। इसके बाद उन्होंने जैन मंदिर में अपना मोबाइल जमा करके उपवास शुरू किया। 24 घंटे के इस उपवास की वजह से वे इस दिन काफी फ्री रहे। अक्षय जैन ने बताया कि पहले एक दिन का उपवास उन्होंने बिना किसी को बताए किया और जब उन्हें अच्छा लगा तो समाज के युवाओं से उन्होंने यह बात की ओर जिसके बाद उनके समाज के कई लोग ई-उपवास के लिए तैयार हो गए।
नो नोटिफिकेशन, नो टेंशन
अक्षय जैन बताते हैं कि आमतौर पर रोज मुझे फोन में व्हाट्सएप पर 500 से ज्यादा नोटिफिकेशन मिलते थे और मैं इन्हें बार-बार देखता था। पता ही नहीं चल पाता था कि हम कितना ज्यादा समय इसमें खर्च कर देते थे। ये उपवास रखने से मुझे एक दिन ही सही कम से कम इससे छुट्टी मिल गई। उन्होंने बताया कि नो नोटिफिकेशन, नो टेंशन में रहकर अच्छा लगा। पहले के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि नोटिफिकेशन पर लोग मुझसे वर्चुअली मौजूद रहने की उम्मीद करते थे। मुझे स्वयं एहसास होने लगा था कि ये आसानी से न छूटने वाली लत लग गई है। सोशल मीडिया से 24 घंटे की इस दूरी ने मेरे मन, शरीर और यहां तक कि आत्मा को भी सुकून दिया।