Delhi. संसद के केंद्रीय कक्ष में द्रौपदी मुर्मू((Droupadi Murmu) )ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। इससे पहले वो राष्ट्रपति भवन पहुंचीं, यहां उन्होंने रामनाथ कोविंद और उनकी पत्नी से मुलाकात की। दोनों ने मुर्मू को बधाई दी। राष्ट्रपति भवन के लिए निकलने से पहले राजघाट पहुंचकर उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि(Tribute to Mahatma Gandhi) दी थी। वे देश की दूसरी महिला और पहली आदिवासी राष्ट्रपति हैं।
द्रौपदी ने ओडिशा से खास मेहमानों को बुलाया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ समारोह में वैसे तो देश के सर्वोच्च पद के लोग शामिल हुए। इस समारोह में द्रौपदी ने अपने खास लोगों को निमंत्रण देकर बुलाया है। मयूरभंज जिले से 64 लोग इस समारोह में शामिल हुए।
25 जुलाई को शपथ लेने वालीं 10वीं प्रेसिडेंट होंगी
मुर्मू देश की 10वीं राष्ट्रपति होंगी जो 25 जुलाई को शपथ ले रही हैं। भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी। तब से 25 जुलाई को ज्ञानी जैल सिंह, आर. वेंकटरमण, शंकर दयाल शर्मा, के.आर. नारायणन, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद ने इसी तारीख को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।
सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति होंगी
मुर्मू आजादी के बाद पैदा होने वाली पहली और शीर्ष पद पर काबिज होने वाली सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति होंगी। वह राष्ट्रपति बनने वाली दूसरी महिला भी हैं। मुर्मू (64) ने विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया। मुर्मू ने निर्वाचक मंडल सहित सांसदों और विधायकों के 64 प्रतिशत से अधिक वैध वोट लेकर जीत दर्ज की। मुर्मू को सिन्हा के 3 लाख 80 हजार 177 वोटों के मुकाबले 6 लाख 76 हजार 803 वोट मिले थे।
द्रौपदी मुर्मू का सियासी सफर
साल 1997 यही वो साल था, जब द्रौपदी मुर्मू ने पहली बार चुनाव में दांव आजमाया था और उसमें वो कामयाब रहीं। मुर्मू रायरंगपुर नगर पंचायत से पार्षद चुनी गईं। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। द्रौपदी मूर्मू ओडिशा विधानसभा में 2 बार विधायक भी रहीं। पहली बार साल 2000 में वो रायरंगपुर सीट से चुनीं गई, जो रिजर्व सीट है। साल 2004 में फिर वो इस सीट से जीतकर आईं। साल 2000 में बीजेपी और बीजू जनता दल सरकार में वो कॉमर्स और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर रहीं, बाद में मत्स्य और पशु विभाग की मंत्री बनीं।
जीवन में उतार चढ़ाव में भी आए
द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने अपने सियासी सफर में कई उतार चढ़ाव भी देखे। साल 2009 में उन्हें बीजेपी (BJP) ने मयूरभंज लोकसभा सीट से मैदान में उतारा लेकिन सफलता नहीं मिली। द्रौपदी मुर्मू तीसरे नंबर पर रही। इसके बाद 2014 में वो रायरंगपुर विधानसभा सीट (Assembly Seat) से बीजेपी के टिकट पर लड़ी लेकिन यहां भी उन्हें करीब 15 हजार वोट से हार मिली। द्रौपदी मुर्मू बतौर विधायक 2 चुनाव जीती और एक में उन्हें हार मिली। विधायक के तौर पर भी उनके काम का डंका बजा। साल 2007 में उन्हें सर्वेश्रेष्ठ विधायक (Best MLA Award) के लिए नीलकंठ अवॉर्ड (Neelkanth Award) से सम्मानित किया गया, ये अवॉर्ड उन्हें ओडिशा विधानसभा की तरफ से मिला।
पिछले 10 बार से 25 जुलाई को ही क्यों होता आ रहा है राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण, जानें कारण
पहली बार नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को देश के छठे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण किया था। उसके बाद से हर बार राष्ट्रपति पद के लिए 25 जुलाई के दिन ही शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाता है, भारत के राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण 25 जुलाई को ही होगा, ऐसा कोई लिखित नियम नहीं है। मुर्मू से पहले भारत के 9 राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ ग्रहण कर चुके हैं, इनके नाम निम्नवत हैं।
- पहली बार नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को देश के छठे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण किया था, उसके बाद से हर बार राष्ट्रपति पद के लिए 25 जुलाई के दिन ही शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाता है।
कोई लिखित नियम नहीं
भारत के राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण 25 जुलाई को ही होगा, ऐसा कोई लिखित नियम नहीं है। इसके अपवाद भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, उनके उत्तराधिकारी सर्वपल्ली राधाकृष्णन, फिर जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद रह चुके हैं, राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी, जिस दिन भारत एक गणतंत्र बना था, फिर 1952 में उन्होंने पहला राष्ट्रपति चुनाव जीता और फिर दूसरा राष्ट्रपति चुनाव भी। राजेंद्र प्रसाद के उत्तराधिकारी के रूप में 13 मई, 1962 को सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत के राष्ट्रपति का पदभार संभाला और 13 मई 1967 तक इस पद पर रहे, उनके बाद के दो राष्ट्रपति - जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद, अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके, क्योंकि उनकी मृत्यु हो गई, जिसके परिणामस्वरूप मध्यावधि चुनाव हुए, भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को शपथ ली। इसके बाद से भारत के सभी राष्ट्रपतियों ने अपना कार्यकाल पूरा किया। इस कारण 1977 के बाद से ही 24 जुलाई को राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होता आ रहा है, और 25 जुलाई को देश का नया राष्ट्रपति शपथ ग्रहण करता है।
25 जुलाई को शपथ लेने वाले राष्ट्रपति
ज्ञानी जैल सिंह, आर वेंकटरमन, शंकर दयाल शर्मा, के आर नारायणन, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी और राम नाथ कोविंद सहित सभी राष्ट्रपतियों ने एक ही तारीख यानी 25 जुलाई को को शपथ ली। अब निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हुआ, तो नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई को शपथ ली।