DELHI: आज से केंद्र के सभी कामों पर मुर्मू के नाम की मुहर, जानें नई प्रेसिडेंट की सैलरी, शक्तियां और किनकी नियुक्तियां करेंगी

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Atul Tiwari
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DELHI: आज से केंद्र के सभी कामों पर मुर्मू के नाम की मुहर, जानें नई प्रेसिडेंट की सैलरी, शक्तियां और किनकी नियुक्तियां करेंगी

NEW DELHI. द्रौपदी मुर्मू (Draupdi Murmu) देश की नई राष्ट्रपति बन गई हैं। वे देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति हैं। मुर्मू देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली दूसरी महिला (पहली प्रतिभा पाटिल थीं) हैं। आज से सरकार के सभी काम मुर्मू के नाम से होंगे। सीधे शब्दों में कहें तो फैसले भले केंद्र सरकार लेगी, लेकिन उस पर मुहर राष्ट्रपति की होगी। हालांकि, राष्ट्रपति बिना केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह के अपनी शक्तियों को प्रयोग नहीं कर सकता। इस सब के बावजूद उसके पास कुछ विवेकाधीन शक्तियों के साथ ही वीटो शक्तियां भी होती हैं। जानिए, राष्ट्रपति रहने के दौरान मुर्मू के पास कौन सी शक्तियां होंगी? राष्ट्रपति किन संवैधानिक पदों पर नियुक्ति राष्ट्रपति करता है? 



मुर्मू के पास कौन सी शक्तियां होंगी?



संविधान के अनुच्छेद 53 के मुताबिक, संघ की कार्यकारी शक्ति (Executive Power) राष्ट्रपति में निहित है। इनका प्रयोग वह या तो सीधे या मंत्रिपरिषद के जरिए करता है। वह किसी भी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर सकता है और उसके पास अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में शक्तियां हैं। वह केंद्र-राज्य और अंतर-राज्य सहयोग के लिए एक अंतर-राज्य परिषद (Inter State Council) की नियुक्ति करता है। 



प्रधानमंत्री, उसकी कैबिनेट, चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति करता है। इसके साथ ही राज्यों के राज्यपाल, मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC), अटॉर्नी जनरल जैसे कॉन्स्टीट्यूशनल अपॉइंटमेंट्स भी राष्ट्रपति ही करते हैं। 




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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिवादन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।




राष्ट्रपति का वीटो पावर 



संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किसी भी विधेयक को कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की सहमति जरूरी है। बिना राष्ट्रपति की सहमति के ये अधिनियम नहीं बन सकता। संविधान के अनुच्छेद 11 के में राष्ट्रपति के वीटो पावर का जिक्र किया गया है। इसके मुताबिक उसके पास तीन तरह की वीटो शक्तियां हैं...



पूर्व वीटो: इसका उपयोग केवल दो मामलो में किया जा सकता है। पहला अगर संसद द्वारा पारित कोई विधेयक निजी विधेयक है। दूसरा- अगर किसी विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने से पहले मंत्रिमंडल का इस्तीफा हो जाता है। 



निलंबित वीटो: इस वीटो का इस्तेमाल करके राष्ट्रपति धन विधेयक को छोड़कर किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है। हालांकि, संसद विधेयक को संशोधन के साथ या बिना संसोधन के फिर से पारित करके राष्ट्रपति को भेज सकती है। ऐसा होने पर राष्ट्रपति को उस विधेयक को मंजूरी देना अनिवार्य होता है। 



पॉकेट वीटो: इस स्थिति में किसी विधेयक की ना तो की पुष्टि करता है, ना ही अस्वीकार करता है और ना ही वापस करता है, बल्कि अनिश्चित काल के लिए अपने पास रखे रहता है।  दरअसल, राष्ट्रपति को किसी विधेयक के संबंध में निर्णय लेने की समयसीमा का उल्लेख संविधान में नहीं है। इसी का इस्तेमाल करके राष्ट्रपति किसी विधेयक को अधिनियम बनने से रोकता है। हालांकि, यह संविधान में उल्लेखित प्रावधान नहीं है।  



राष्ट्रपति को कितनी सैलरी मिलेगी?



राष्ट्रपति को हर महीने पांच लाख रुपए तनख्वाह के रूप में मिलते हैं। 2017 तक राष्ट्रपति को 1.5 लाख रु. महीने तनख्वाह मिलती थी। 2018 में इसे बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया। तनख्वाह के साथ ही राष्ट्रपति को कई अतिरक्त अलाउंस मिलते हैं। इनमें जिंदगी भर के लिए मुफ्त चिकित्सा, आवास और उपचार सुविधा आदि शामिल है।  राष्ट्रपति के आवास, स्टाफ, भोजन और मेहमानों की मेजबानी आदि पर सरकार हर साल करीब 2.25 करोड़ रुपये खर्च करती है। राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का सुप्रीम कमांडर होता है। वह तीनों सेना प्रमुखों की नियुक्ति करता है। इसके साथ ही युद्ध और शांति काल का एलान भी राष्ट्रपति ही करते हैं। राष्ट्रपति राष्ट्रीय, राज्य और वित्तीय आपातकाल लगा सकता है। किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकता है। 



कितनी बार राष्ट्रपति बन सकती हैं मुर्मू?



एक बार राष्ट्रपति चुने जाने के बाद, कोई हस्ती पांच साल तक इस पद पर रहती है। इसके बाद उसे दोबारा चुनकर आना होता है। पुनर्निर्वाचन की कोई सीमा नहीं होती है। यानी, कोई शख्स कितनी ही बार देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठ सकता है। हालांकि, अब तक केवल राजेंद्र प्रसाद एक से ज्यादा बार इस पद पर रहे हैं। देश के पहले राष्ट्रपति  दो बार निर्वाचित हुए। वह 12 साल से ज्यादा अवधि तक इस पद पर रहे। 


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