Mumbai. महाराष्ट्र में 5 दिनों से चल रहा सियासी घमासान(Maharashtra Political Crisis,) अपने चरम पर है। बागी नेता एकनाथ शिंदे(Eknath Shinde) और उद्धव ठाकरे(Uddhav Thackeray) एक-दूसरे को शह मात देने में लगे हैं। कौन किस पर भारी पड़ेगा यह तो समय ही बताएगा। सत्ता के इस खेल में एक और नया घटनाक्रम सामने आया है। सियासी संग्राम(political struggle) के बीच शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने वड़ोदरा में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस(Former Chief Minister Devendra Fadnavis) से मुलाकात की है।
सूत्रों का कहना है कि उस समय वड़ोदरा में गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) भी मौजूद थे। रात करीब 10.30 देवेंद्र फडणवीस को मुंबई एयरपोर्ट(Mumbai Airport) पर भी देखा गया था। बताया जा रहा है कि प्राइवेट जेट से एकनाथ शिंदे शुक्रवार रात को गुवाहाटी से वडोदरा रवाना हुए थे> मुलाकात के बाद शनिवार सुबह करीब 6.45 बजे वो गुवाहाटी लौट आए। सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार रात 10 बजे से आज सुबह तक गृहमंत्री अमित शाह भी वडोदरा में थे। वो सर्किट हाउस में रुके थे। हालांकि उनकी फडणवीस और शिंदे के साथ मुलाकात हुई या नहीं, ये कह पाना अभी मुश्किल है।
वहीं, फडणवीस और एकनाथ शिंदे की मुलाकात के बाद सीएम उद्धव ठाकरे की कुर्सी जाने की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। इस मुलाकात को कई एंगेल से देखा जा रहा है क्योंकि एकनाथ शिंदे अपने मोर्चे पर डटे हैं तो उद्धव ठाकरे भी एक्शन वाला तेवर दिखा रहे हैं। बगावत के बाद से एकनाथ शिंदे बीजेपी के साथ सरकार बनाने की वकालत कर रहे हैं।
16 बागी विधायकों को नोटिस
इधर, डिप्टी स्पीकर ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी कर दिया है। सभी बागी विधायकों को 27 जून, शाम 5:30 बजे तक जवाब देने के लिए कहा गया है। जारी नोटिस के मुताबिक, अगर बागी विधायक जवाब नहीं देते हैं तो मान लिया जाएगा कि इनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है। फिर आगे की प्रक्रिया के मुताबिक कार्यवाही होगी। वहीं शिवसेना ने भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल न होने पर भी बागी विधायकों को अयोग्ध घोषित करने का नोटिस जारी किया है। इन्हें लिखित में जवाब देने को कहा गया है। फिलहाल एकनाथ शिंदे बागी विधायकों के साथ गुवाहाटी में शरण लिए हुए हैं.
कार्यकारिणी की बैठक में चार प्रस्ताव पास
शिवसेना कार्यकारिणी की बैठक में चार प्रस्ताव पास किए गए हैं. चार प्रस्तावों में कहा गया कि मराठी अस्मिता और और हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना बनी रहेगी। बैठक में सभी ने उद्धव ठाकरे की नेतृत्व पर भरोसा जताया। साथ ही फैसला किया गया कि बाला साहेब के नाम का न हो, इसके लिए शिवसेना चुनाव आयोग का रूख करेगी।