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Delhi. राष्ट्रपति चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है। 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होंगे। 21 जुलाई को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। राष्ट्रपति चुनाव के लिए 29 जून तक नामांकन दाखिल होंगे। 9 जून को चुनाव आयोग द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। चुनाव में वोटिंग के लिए विशेष इंक वाला पेन मुहैया कराया जाएगा। वोट देने के लिए 1,2,3 लिखकर पसंद बतानी होगी। पहली पसंद ना बताने पर वोट रद्द हो जाएगा। वहीं, इस दौरान राजनीतक दल कोई व्हिप नहीं जा कर सकते हैं। संसद और विधानसभाओं में वोटिंग होगी। राज्यसभा के महासचिव चुनाव प्रभारी होंगे। बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (ram nath kovind) का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है। आंकड़ों के लिहाज से बात करें, तो इस चुनाव में 4 हजार 896 मतदाता होंगे। इनमें 543 लोकसभा और 233 राज्यसभा सांसद, सभी राज्यों के 4 हजार 120 विधायक शामिल हैं।
राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम के जरिए होता है, जिसमें सांसद और विधायक मतदान करते हैं। चुनाव आयोग की देखरेख में यह पूरी प्रक्रिया होती है। अब सवाल कि क्या होता है इलेक्टोरल कॉलेज? यह ऊपरी और निचले सदन के चुने हुए सदस्यों से मिलकर बनता है। साथ ही इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा के चुने हुए सदस्य भी शामिल होते हैं।
वोट की कीमत अलग-अलग होती है?
सांसदों और विधायकों की तरफ से डाले जाने वाले वोट की कीमत अलग-अलग होती है। एक ओर जहां लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के वोट की कीमत 708 होती है। वहीं, विधायक के वोट की कीमत राज्यों में जनसंख्या की गणना जैसी बातों पर निर्भर करती है। एक विधायक के वोट की गणना के लिए राज्य की जनसंख्या का विधानसभा में विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है। इस नतीजे का भाग आगे 1000 हजार से किया जाता है। राज्यों के हिसाब से देखें तो उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की कीमत सबसे ज्यादा 208 है। जबकि, अरुणाचल प्रदेश में यह आंकड़ा 8 पर है।
एक बार कुल आंकड़ों पर नजर?
इस लिहाज से राज्यसभा और लोकसभा सांसदों को मतों की कीमत 5 लाख 59 हजार 408 है। जबकि, विधायकों के मामले में यह संख्या 5 लाख 49 हजार 495 पर है। ऐसे में इलेक्टोरल कॉलेज का आंकड़ा 10 लाख 98 हजार 903 पर पहुंच जाता है।
कैसे होती है जीत?
यहां केवल बहुमत के आधार पर ही उम्मीदवार विजयी नहीं होता, बल्कि उन्हें वोट का खास कोटा हासिल करना होता है। गणना के दौरान आयोग सभी इलेक्टोरल कॉलेज की तरफ से पैपर बैलेट के जरिए डाले गए सभी वैध मतों की गिनती करता है। उम्मीदवार को डाले गए कुल वोट का 50 फीसदी और एक अतिरिक्त वोट हासिल करना होता है।
इलेक्टोरल कॉलेज क्या है?
आम चुनाव में मतदाता एक पार्टी के उम्मीदवार को वोट देते हैं। वहीं, इलेक्टोरल कॉलेज में वोटर बैलेट पेपर पर पसंद के क्रम में उम्मीदवारों का नाम लिखते हैं।