MUMBAI. महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार (Shiv Sena government) पर बीते चार दिन से चल रहा संकट हर घड़ी अपना रूप बदल रहा है और पल-पल बदलता रूप मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की विदाई की संभावना को मजबूत कर रहा है। चार दिन से अपनी सरकार को अपनों की ही बगावत से बचाने में जुटे सीएम ठाकरे ने कल देर नगर सेवको के सामने अपने इस्तीफे की पेशकश की है। वहीं बगावत का झंडा उठाकर गुवाहाटी की होटल में लगातार बागी विधायकों की संख्या बढ़ा रहे एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) भी सदन में भी शक्ति प्रदर्शन की तैयारी में जुट गए हैं। इन सबके की एक बार फिर अपनी सरकार बनते देख बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) राजसत्ता की देवी मां बगुलामुखी को मनाने मध्यप्रदेश पहुंच गए है। यहां नलखेड़ा में सुबह-सुबह मां बगुलामुखी की पूजा-अर्चना कर फडणवीस मुंबई रवाना हो गए।
देवेंद्र फडणवीस ने की राजसत्ता की देवी की पूजा
बीजेपी का ऑपरेशन लोटस लगभग सफलता की ओर पहुंच गया है। शिवसेना के बागी नेता एकननाथ शिंदे ने डिप्टी स्पीकर एनसीपी नेता नरहरि सीताराम झीरवाल के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है तो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पाले में गेंद जा सकती है। हालांकि कोश्यारी कोरोना से संक्रमित हैं, ऐसे में मामला गोवा के राज्यपाल श्रीधरन पिल्लई को सौंपा जा सकता है। गोवा के राज्यपाल के सामने शक्ति प्रदर्शन होने से उद्धव ठाकरे और बागी विधायकों की मुलाकात का कोई रास्ता नहीं बन सकेगा। ऐसे में भी बीजेपी भी अपने ऑपरेशन लोटस बिना किसी अवरोध के अंजाम तक पहुंचा सकेगी। इस बीच आपरेशन लोटस को सफलता के करीब देख देवेंद्र फडणवीस ने एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने की तैयारी शुरू कर दी है। दोबारा राजसत्ता पर पहुंचने के लिए उन्होंने पूजा, आराधना भी शुरू कर दी है।
सुबह-सुबह पहुंचे नलखेड़ा
शिवसेना में चल रही बगावत में दोबारा अपनी ताजपोशी देख रहे महाराष्ट्र के पूर्व सीएम फडणवीस देर रात मुंबई से इंदौर पहुंचे थे। वहां से वे रात को ही नलखेड़ा पहुंच गए और सुबह-सुबह मां बगुलामुखी की पूजा-अर्चना की। फडणवीस लंबी पूजा, आराधना के बाद सुबह-सुबह इंदौर पहुंचकर मुंबई के लिए रवाना भी हो गए। फडणवीस की बगुलामुखी माता में गहरी आस्था है। वे अपने हर शुभ कार्य की शुरूआत के पहले नलखेड़ा और दतिया के पीतांबरा शक्ति पीठ पहुंचकर मां बगुलामुखी की पूजा-अर्चना करते हैं। मां बगुलामुखी 'राजसत्ता की देवी मानी जाती है। देवेंद्र फडणवीस ने जब पहली बार महाराष्ट्र की सत्ता संभाली थी, तब भी वे शपथ ग्रहण से पहले वो नलखेड़ा पहुंचे थे और माता की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया था। अपने दूसरे कार्यकाल की शपथ लेने के पहले भी फडणवीस नलखेड़ा पहुंचे थे। उनके शपथ ग्रहण समारोह में भी नलखेड़ा से 11 पुजारी पहुंचे थे। इसके साथ ही दवेंद्र फडणवीस दतिया पहुंचकर भी पीतांबरा मैया के दर्शन करने आते रहते है। इसी श्रद्धा के चलते फडणवीस अब एक बार फिर वर्तमान में चल रहे सियासी घमासान के बीच मां बगुलामुखी के दर्शन करने नलखेड़ा पहुंचे हैं। फडणवीस की इस यात्रा को महाराष्ट्र में जल्द ही सत्तापलट होने की संभावना बलवती हो गई है।
सरकार बनाने का दावा कर सकती है बीजेपी
बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस शिंदे और बागी विधायकों के समर्थन के साथ खुद सीधे राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। इस मामले में भी राज्यपाल फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकता है। फ्लोर टेस्ट में उद्धव के पास पर्याप्त संख्या नहीं होगी। इस स्थिति में वो विश्वासमत खो देंगे। इसके बाद शिंदे के बागी विधायकों के साथ मिलकर बीजेपी सरकार बना सकती है।
उद्धव ने माना, विधायक चाहते थे बीजेपी के साथ जाएं हम
इस बीच महाराष्ट्र में पांच दिनों से चल रहे सियाासी संकट के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार रात भी कार्यकर्ताओं से इमोशनली जुड़ने की कोशिश की। एनसीपी नेता शरद पवार के साथ दो घंटे की कमरा बंद बैठक के बाद उद्धव ने देर रात शिवसेना के नगरसेवकों को संबोधित किया। इसमें ठाकरे ने पहली बार यह स्वीकार किया है एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी विधायकों में नाराजगी बनी हुई थी। पार्टी के विधायकों का कहना था कि एनसीपी और कांग्रेस हमारी पार्टी को खत्म कर रही है। इसके साथ ही विधायक चाहते थे कि हम बीजेपी के साथ जाएं। साथ ही उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को उन्होंने बागी नेता शिंदे से पिछले दिनों हुई चर्चा की भी जानकारी दी। उन्होंने कहाकि कुछ दिन पहले जब मुझे बगावत का शक हुआ तो मैंने एकनाथ शिंदे को फोन किया था, मैंने उनसे कहा कि शिवसेना को आगे ले जाने का अपना कर्तव्य निभाओ, ऐसा करना सही नहीं है। मैंने उनसे कहा था कि जो विधायक ऐसा करना चाहते हैं उन्हें मेरे पास लाओ। भाजपा, जिसने हमारी पार्टी, मेरे परिवार को बदनाम किया है, वही है जिसके साथ जाने की आप बात कर रहे हैं। ऐसा सवाल ही नहीं उठता। विधायक अगर वहां जाना चाहते हैं तो वे सभी जा सकते हैं। मैं नहीं रोकूंगा। अगर कोई जाना चाहता है, चाहे वह विधायक हों या कोई और। आओ और हमें बताओ और फिर जाओ।
फिर की इस्तीफे की पेशकश
नगर सेवकों को संबोधित करते हुए उद्धव ने कहाकि अगर आपको लगता है कि मैं बेकार हूं और पार्टी नहीं चला सकता। मैं पार्टी चलाने में असमर्थ हूं, तो मुझे बताएं। मैं खुद को पार्टी से अलग करने के लिए तैयार हूं, आप बता सकते हैं। आपने अब तक मेरा सम्मान किया क्योंकि बालासाहेब ने ऐसा कहा था। अगर आप कहते हैं कि मैं अक्षम हूं, तो मैं इसी समय पार्टी छोड़ने को तैयार हूं।
दम है तो शिवसेना और बाला साहेब का नाम हटा लें
इस बीच ठाकरे ने बगावती नेताओं का ललकारते हुए कहा है कि यदि दम है तो शिवसेना और बाला साहेब ठाकरे का नाम लिये बगैर आगे बढ़कर दिखाएं। जो लोग कल तक कहते थे कि शिवसेना हमारी मां है और बाला साहेब हमारे भगवान, आज वही लोग पीठ में छुरा घोंप रहे हैं। कांग्रेस-NCP आज हमारा समर्थन कर रही है,शरद पवार और सोनिया गांधी ने हमारा समर्थन किया, लेकिन हमारे ही लोगों ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा। हमने ऐसे लोगों को टिक दिया जो जीत नहीं सकते थे और हमने उन्हें विजयी बनाया। आज वही लोग शिवसेना का विरोध कर रहे है।
डिप्टी स्पीकर 16 विधायकों को नोटिस भेज सकते हैं
महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल शिवसेना के 16 बागी विधायकों को नोटिस भेज सकते है। अलग-अलग किस्तों में उद्धव गुट ने 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने का पत्र व सूची चिट्ठी विधानसभा के डिप्टी स्पीकर को भेजी थी। शिवसेना की लीगल टीम भी विधानसभा पहुंची थी। सरकार ने एजी को भी तलब किया था। इसके साथ ही बागी विधायकों की सुरक्षा व्यवस्था हटा ली गई है। उनके सुरक्षा कर्मियों को स्टॉफ पर भी कार्रवाई की तैयारी है।
बीजेपी ने गर्वनर को लिखा पत्र, हस्तक्षेप की मांग
बीजेपी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को पत्र लिखा है। पत्र में सियासी हलचल पर राज्यपाल से हस्तक्षेप और सरकार की ओर से लगातार लिए जा रहे फैसले पर हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। पत्र में आगे कहा गया है- 160 से अधिक के सरकारी आदेश 48 घंटे के भीतर जारी किए गए हैं। विकास परियोजनाओं की आड़ में हो रही इस तरह की घटना संदेह पैदा कर रही है।
महाराष्ट्र में चौथी बार बड़ी बगावत
महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ बगावत कोई नई बात नहीं है। जब भी शिवसेना सरकार में आई है अथवा सरकार बनाने की स्थिति बनी है, उसे अपनों की बगावत का सामना करना पड़ा है। इसके पहले भी तीन बार पार्टी बगावत का सामना कर चुकी है। मगर यह सबसे बड़ी बगावत साबित हो रही है, इससे शिवसेना ही टूटकर दो फाड़ होने के आसार बन गए है। पहली बार 1991 में बगावत हुई थी, जब बाला ठाकरे के सबसे करीबी रहे छगन भुजबल ने शिवसेना के 52 में से 17 विधायकों के साथ बगावत कर दी थी। इसके बाद भुजबल 17 विधायकों के साथ शरद पवार वाली कांग्रेस में शामिल हो गए थे। पवार ने इस दौरान भुजबल को सरकार में डिप्टी सीएम का पद दिया था। इसके बाद 2005 में नारायण राणे ने अपने समर्थक विधायकों के साथ शिवसेना छोड़ दी थी, वे उद्धव ठाकरे के बढ़ते दखल से नाराज थे। इसके अलावा 2014 में भी शिंदे गुट ने बीजेपी के साथ न जाने पर पार्टी तोड़ने की चेतावनी दे दी थी। उस समय भी उद्धव को झुकना पड़ गया था।