श्रीनगर. इन दिनों 'द कश्मीरी फाइल्स' फिल्म से सियासत का बाजार गर्म है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के लीडर फारूक अब्दुल्ला पहली बार इस मुद्दे पर बोले हैं। फारूक ने कहा कि ये फिल्म दिल जोड़ने की बजाय दिल तोड़ रही है। उन्होंने कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि 1990 में दिल्ली में बैठी सरकार कश्मीरी पंडितों के पलायन की वजह थी। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर वे इस पलायन के जिम्मेदार साबित होते हैं तो उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया जाए।
हर कश्मीरी चाहता है कश्मीरी पंडित लौटें: फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि हर कश्मीरी यही चाहता है कि कश्मीरी पंडित वापस लौटें। 1990 में हुई साजिश में कश्मीरी पंडितों को भगाया गया था। फारूक ने कहा कि उनका दिल आज भी उन भाइयों के लिए रोता है।
जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग: नेशनल कॉन्फ्रेंस के लीडर फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है। उनका कहना है कि 370 खत्म हुए सालों हो गए लेकिन आतंकवाद खत्म नहीं हुआ, बम ब्लास्ट बंद नहीं हुए। घाटी में आज भी लोगों की हत्या हो रही है। घाटी में आज भी 800 कश्मीरी पंडितों के खानदान सुरक्षित रह रहे हैं।
घाटी में हिंदू सीएम कबूल है: फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि जम्मू कश्मीर में ईमानदारी से चुनकर आए सीएम पर कोई भी कश्मीरी उंगली नहीं उठाएगा। लेकिन अगर कोई बेईमानी से सत्ता में आएगा तो उसे यहां के लोग कबूल नहीं करेंगे।
हिटलर से की पीएम की तुलना: फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म दिल जोड़ नहीं रही, दिल तोड़ रही है। इस आग को बुझाया नहीं गया तो ये सारे देश को शोले के जैसे जला देगी। फारूक अब्दुल्ला ने पीएम मोदी से कहा कि मेहरबानी करके ऐसी चीजें ना करें, जिससे देश की सूरत हिटलर के जमाने में जर्मनी जैसी बन जाए। अमन-चैन के लिए कश्मीरियों का दिल जोड़ना बेहद जरूरी है।