Bhopal. वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के बाद अब कांग्रेस के एक और बड़े नेता आनंद शर्मा ने भी बगावती तेवर दिखाए हैं। चुनावी दहलीज पर खड़े हिमाचल प्रदेश में बड़े चेहरा माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने रविवार को हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की स्टीयरिंग कमेटी संचालन समिति के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस संबंध में भेजे अपने पत्र में आनंद शर्मा ने साफ कर दिया है कि वे पार्टी की कार्यप्रणाली से नाराज हैं। खासकर परामर्श प्रक्रिया में की गई अपनी उपेक्षा के चलते वे इस पद को नहीं संभाल सकते।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री की नाराजगी पार्टी में अंदरूनी खींचतान के बाद जी23 ग्रुप के गठन के दौरान भी सामने आ चुकी थी। शर्मा वैसे तो गांधी परिवार के करीबी और विश्वसनीय माने जाते हैं, लेकिन भी इस जी23 ग्रुप के सदस्य थे। यूपी सहित पांच राज्यों में हुए चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद पांच महीने पहले ही इस ग्रुप की पहली बैठक पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद के घर हुई थी। इस ग्रुप में एमपी के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा भी शामिल हैं। इस ग्रुप की गतिविधियां बढ़ने के साथ ही कांग्रसे के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी जम्मू कश्मीर के इलेक्शन कैंपेन कमेटी प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था। आजाद को मोदी सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित कर चुकी है। इसके बाद से कांग्रेस में ही उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाने लगे थे। मगर आजाद की तल्खी के बाद अब रविवार को आनंद शर्मा ने भी बगावती अंदाज दिखाया है। शर्मा ने हिमाचल प्रदेश की चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया है। शर्मा ने पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर अपने पद से इस्तीफा दिया है। अपने पत्र में शर्मा ने अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी है। आनंद शर्मा ने अपने पत्र में साफ कर दिया है कि पार्टी की कार्यप्रणाली से उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंची है। पार्टी किसी भी बैठक में उन्हें नहीं बुलाया गया और न ही किसी संबंध में उनसे परामर्श लिया गया। शर्मा ने अपने पत्र में सीधे तौर पर नजर अंदाज करने की बात कही है। कांग्रेस द्वारा शर्मा को 26 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में संचालन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। शर्मा के पास राज्यसभा में कांग्रेस उपनेता की जिम्मेदारी भी है।
चुनावी साल में कांग्रेस को बड़ा झटका
हिमाचल प्रदेश मे इसी साल अंत में विधानसभा चुनाव होना है। पांच राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस अब हिमाचल प्रदेश से उम्मीद लगाकर बैठी है। मगर चुनावी साल में शर्मा का यह बगावती तेवर पार्टी की चिंता बढ़ाने वाला है। कांग्रेस इस चुनाव में हर हाल में भाजपा से सत्ता हथियाने की कोशिश कर रही है। हिमाचल प्रदेश में शर्मा को कांग्रेस का बड़ा चेहरा माना जाता है। साथ ही गांधी परिवार के विश्वसनीय भी माने जाते हैं, लेकिन जी23 में शामिल होने के बाद अब इस तरह हाईकमान के फैसले को नजरअंदाज कर उन्होंने एक ही साल में एक और बड़ा झटका दिया है। यह कांग्रेस की कोशिशों के लिए भी एक बड़ा झटका है। इसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ सकता है। हालांकि पार्टी हाईकमान को भेजे गए अपने पत्र में आनंद शर्मा ने भरोसा दिलाया है कि वे चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए काम करेंगे और उनके चुनाव प्रचार में भी सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
जी23 जैसी बगावत का संकेत
इसके पहले गुलाम नबी आजाद ने 16 अगस्त को ही जम्मू कश्मीर की चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। पार्टी हाईकमान द्वारा की गई घोषणा के महज दो घंटे बाद ही आजाद से यह जिम्मेदारी छोड़ दी थी। दोनों वरिष्ठ नेताओं के इन कदमों को जी23 जैसी बगावत का संकेत ही माना जा रहा है। आजाद की तो पीएम नरेंद्र मोदी से करीबी भी किसी से छुपी नहीं है। पद्मभूषण दिए जाने के बाद तो उन पर सवाल भी उठने लगे थे।
यह मानी जा रही है नाराजगी की वजह
कांग्रेस के बड़े नेता गुलाम नबी आजाद के बाद अब आनंद शर्मा की नाराजगी भी उपेक्षा को लेकर ही सामने आई है। आजाद ने भी पार्टी द्वारा दी गई जिम्मेदारी छोड़ने के बाद अपनी बातों को महत्व न दिए जाने पर नाराजगी जताई थी। बताया जा रहा है कि उनकी सिफारिशों को नजर अंदाज किया जा रहा है। अब लगभग यही कारण आनंद शर्मा द्वारा दिए गए इस्तीफे के पीछे भी यही वजह बताई जा रही है। इसके चलते दोनों नेताओं द्वारा उठाए गए कदमों को पहले से की गई तैयारी का परिणाम भी माना जा रहा है।