बीटिंग रिट्रीट: गांधीजी की पसंदीदा अंग्रेजी धुन नहीं बजेगी, सरकार ने बताई ये वजह

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बीटिंग रिट्रीट: गांधीजी की पसंदीदा अंग्रेजी धुन नहीं बजेगी, सरकार ने बताई ये वजह

महात्मा गांधी के पसंदीदा ईसाई भजन‘अबाइड विद मी’ की धुन को इस साल 29 जनवरी को होने वाले ‘बीटिंग रिट्रीट’ समारोह से हटा दिया गया है। ये धुन 1950 से ही बीटिंग रिट्रीट समारोह का हिस्सा रही है।  भारतीय सेना की ओर से पूरे प्रोग्राम का ब्रोशर जारी किया गया। इसमें इस धुन का जिक्र नहीं है।



क्यों हटाई गई ये धुन: सरकार सूत्रों ने कहा कि इस साल देश ऐतिहासिक आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसलिए बीटिंग द रिट्रीट में सिर्फ और सिर्फ भारतीय धुनों को बजाना ही अधिक उपयुक्त माना गया है। सूत्रों के मुताबिक सरकार और सेना बीटिंग द रिट्रीट में अधिकतम संख्या में भारतीय धुनों को शामिल करना चाहती है। इसी वजह से इस साल सिर्फ स्वदेशी धुनें ही लिस्ट में हैं। 



पहले भी धुन हटाने पर हुआ विवाद: ऐसा नहीं है कि इस धुन को पहली बार सेरेमनी से हटाया जा रहा हो, 2020 में पहली बार इस धुन को बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी से हटाया गया था, लेकिन इस पर काफी विवाद हुआ, जिसके चलते 2021 में इसे फिर से शामिल कर लिया गया था। हर साल 29 जनवरी को बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी की जाती है। यह गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक होती है। सूरज डूबने के समय राजपथ पर मिलिट्री बैंड पर परफॉर्म करते हैं। इसमें भारतीय सेना, नेवी और एयरफोर्स के बैंड्स हिस्‍सा लेते हैं।



इसलिए मशहूर है 'अबाइड विद मी' भजन: दुनियाभर में मशहूर 'अबाइड विद मी' भजन को स्कॉटिश कवि हेनरी फ्रांसिस लाइट ने 1847 में लिखा था। इसकी धुन पहले वर्ल्ड वॉर में बेहद लोकप्रिय हुई। बेल्जियम से फरार हुए ब्रिटिश सैनिकों की मदद करने वाली ब्रिटिश नर्स इडिथ कैवेल ने जर्मन सैनिकों के हाथों मरने से पहले इस गीत को गाया था। भारत में इस धुन को प्रसिद्धि तब मिली, जब महात्मा गांधी ने इसे कई जगह बजवाया। उन्होंने इस धुन को सबसे पहले साबरमती आश्रम में सुना था। इसके बाद से यह आश्रम की भजनावलि में 'वैष्णव जन तो', 'रघुपति राघव राजाराम' और 'लीड काइंडली लाइट' के साथ शामिल हो गया।



क्या होती है ‘बीटिंग द रिट्रीट’?: बीटिंग रिट्रीट एक सदियों पुरानी सैन्य परंपरा है, जब सेनाएं सूर्यास्त के बाद युद्ध मैदान से वापस लौटती थीं। जैसे ही वापसी का बिगुल बजता था, लड़ाई रोक दी जाती थी, हथियार रख दिए जाते थे और युद्ध स्थल छोड़ दिया जाता था। उसी से जोड़कर भारत में इसे साल में एक बार आयोजित किया जाता है। ऐसे में इस कार्यक्रम में अलग अलग बैंड की परफॉर्मेंस के बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्टर राष्ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते हैं, तब सूचित किया जाता है की समापन समारोह पूरा हो गया है।


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