आजाद ने 5 पेज की चिट्ठी में 7 किरदारों पर बात की, राहुल के लिए लिखा- सलाह का मैकेनिज्म तबाह किया; अपनी पार्टी बना सकते हैं

author-image
Atul Tiwari
एडिट
New Update
आजाद ने 5 पेज की चिट्ठी में 7 किरदारों पर बात की, राहुल के लिए लिखा- सलाह का मैकेनिज्म तबाह किया; अपनी पार्टी बना सकते हैं

NEW DELHI. गुलाम नबी आजाद (73) ने 26 अगस्त को कांग्रेस छोड़ दी। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि आजाद नई पार्टी बनाएंगे। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी उन्होंने 5 पेज का लेटर भेजा। इस चिट्ठी में 7 किरदार हैं। सबसे सख्त बयान राहुल को लेकर है। आजाद ने उन्हें कांग्रेस की बर्बादी की वजह बताया है। 



चिट्ठी में 7 लोगों के बारे में बेबाकी से बात की



1. सोनिया गांधी के लिए



बेशक कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर आपने यूपीए-1 और यूपीए-2 के गठन में शानदार काम किया। इस कामयाबी का सबसे बड़ा कारण यह था कि आपने अध्यक्ष के तौर पर बुद्धिमान सलाहकारों और वरिष्ठ नेताओं के फैसलों पर भरोसा किया, उन्हें ताकत दी और उनका ख्याल रखा।



2. राहुल गांधी के बारे में 



दुर्भाग्य से राजनीति में राहुल गांधी की एंट्री और खासतौर पर जब आपने जनवरी 2013 में उन्हें उपाध्यक्ष बनाया, तब राहुल ने पार्टी में चले आ रही सलाह के मैकेनिज्म को तबाह कर दिया। सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइडलाइन कर दिया गया और गैरअनुभवी चापलूसों का नया ग्रुप बन गया, जो पार्टी चलाने लगा।



3. पार्टी के लिए



यूपीए सरकार की अखंडता को तबाह करने वाला रिमोट कंट्रोल सिस्टम अब कांग्रेस पर लागू हो रहा है। आप बस नाम के लिए इस पद पर बैठी हैं। सभी जरूरी फैसले राहुल गांधी ले रहे हैं। बदतर तो ये है कि उनके सुरक्षाकर्मी और पीए ये फैसले ले रहे हैं।



4. इंदिरा गांधी के लिए 



1977 के बाद संजय गांधी के नेतृत्व में यूथ कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी के पद पर रहते हुए मैं हजारों कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ एक जेल से दूसरी जेल गया। तिहाड़ जेल में मेरा सबसे लंबा समय 20 दिसंबर 1978 से जनवरी 1979 तक था। तब मैंने इंदिरा गांधी जी की गिरफ्तारी के खिलाफ जामा मस्जिद से संसद भवन तक विरोध रैली निकाली थी। हमने जनता पार्टी की व्यवस्था का विरोध किया और उस पार्टी के कायाकल्प का रास्ता बनाया, जिसकी नींव 1978 में इंदिरा गांधी जी ने रखी थी। 3 साल के महान संघर्ष के बाद 1980 में कांग्रेस पार्टी दोबारा सत्ता में लौटी।



5. संजय गांधी के लिए



छात्र जीवन से ही मैं आजादी की अलख जगाने वाले गांधी, नेहरू, पटेल, अबुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस के विचारों से प्रभावित था। संजय गांधी के कहने पर मैंने 1975-76 में जम्मू-कश्मीर यूथ कांग्रेस की अध्यक्षता संभाली। कश्मीर यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद 1973-75 तक मैं कांग्रेस के ब्लॉक जनरल सेक्रेटरी का जिम्मा भी संभाल रहा था। संजय गांधी की दुखद मृत्यु के बाद 1980 में मैं यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बना।



6. राजीव गांधी के लिए



यूथ कांग्रेस का प्रेसिडेंट रहते हुए मुझे आपके पति राजीव गांधी को यूथ कांग्रेस में नेशनल काउंसिल मेंबर के तौर पर शामिल करने का सौभाग्य मिला। 1981 में कांग्रेस के स्पेशल सेशन के दौरान राजीव गांधी यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए। यह भी मेरी ही अध्यक्षता में हुआ। मैं राजीव गांधी के कांग्रेस पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनने से लेकर उनकी दुखद हत्या तक इस बोर्ड का सदस्य रहा।



3. खुद के लिए



मैं लगातार 4 दशक तक कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य रहा। 35 साल तक मैं देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में पार्टी का जनरल सेक्रेटरी इन्चार्ज भी रहा। मैं यह बताते हुए खुश हूं कि जिन राज्यों में मैं इन्चार्ज रहा, उनमें से 90% में कांग्रेस को जीत मिली। सात साल तक राज्यसभा में विपक्ष का नेता रहा। अपने परिवार और स्वास्थ्य की परवाह किए बिना कांग्रेस की सेवा करता रहा।



स्थितियों के बारे में ये लिखा



1. 2014 की हार- कांग्रेस की बर्बादी का सबसे बड़ा उदाहरण यह है, जब राहुल गांधी ने सरकार के अध्यादेश को पूरे मीडिया के सामने टुकड़े-टुकड़े कर डाला। कांग्रेस कोर ग्रुप ने ही यह अध्यादेश तैयार किया था। कैबिनेट और राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी थी। इस बचकानी हरकत ने भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के औचित्य को खत्म कर दिया। किसी भी चीज से ज्यादा यह इकलौती हरकत 2014 में यूपीए सरकार की हार की बड़ी वजह थी।



2. 2014 से 2022 का दौर- 2014 में आपकी और उसके बाद राहुल गांधी की लीडरशिप में कांग्रेस शर्मनाक तरीके से 2 लोकसभा चुनाव हारी। 2014 से 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से हम 39 चुनाव हारे। पार्टी ने महज 4 राज्यों के चुनाव जीते और 6 मौकों पर उसे गठबंधन में शामिल होना पड़ा। कांग्रेस का केवल 2 राज्यों में शासन है और 2 राज्यों में अलायंस में उसकी भागीदारी मामूली है।



3. सोनिया को फिर संभालनी पड़ी जिम्मेदारी- राहुल गांधी ने हार के बाद झुंझलाहट में अध्यक्ष पद छोड़ दिया, इससे पहले उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी में हर सीनियर नेता का अपमान किया, जिसने पार्टी के लिए अपनी जिंदगी दी। फिर आप अंतरिम अध्यक्ष बनीं। पिछले 3 साल से आप ये जिम्मेदारी संभाल रही हैं।



आजाद अपने राज्य लौटना चाह रहे थे, केंद्रीय नेतृत्व ने अनदेखी की



आजाद कई दिनों से हाईकमान के फैसलों से नाराज थे। इसी महीने 16 अगस्त को कांग्रेस ने आजाद को जम्मू-कश्मीर प्रदेश कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाया था, लेकिन आजाद ने अध्यक्ष बनाए जाने के 2 घंटे बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया था। आजाद ने कहा था कि ये मेरा डिमोशन है। 73 साल के आजाद अपनी सियासत के आखिरी पड़ाव पर फिर प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालना चाह रहे थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी बजाय 47 साल के विकार रसूल वानी को ये जिम्मेदारी दे दी। वानी गुलाम नबी आजाद के बेहद करीबी हैं। वे बनिहाल से विधायक रह चुके हैं। आजाद को यह फैसला पसंद नहीं आया। कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व आजाद के करीबी नेताओं को तोड़ रहा है और आजाद इससे खफा हैं।

 


आजाद के गांधी परिवार से रिश्ते आजाद नई पार्टी बनाएंगे आजाद राहुल पर क्यों नाराज आजाद का कांग्रेस में कार्यकाल गुलाम नबी आजाद का राहुल गांधी पर आरोप गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस से इस्तीफा Azad Gandhi family Relation Azad Makes New party Why Azad Angers from Rahul Gandhi Azad Tenure in Congress Ghulam Nabi Azad Allegation to Rahul Gandhi Ghulam Nabi Azad Resignation to Congress
Advertisment