गुजरात: हार्दिक पटेल BJP में आए,कहा- घर लौटा;ऐसे बदलेगी ‘मोदी प्रदेश’ की राजनीति

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Atul Tiwari
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गुजरात: हार्दिक पटेल BJP में आए,कहा- घर लौटा;ऐसे बदलेगी ‘मोदी प्रदेश’ की राजनीति

Ahmedabad. गुजरात के नेता हार्दिक पटेल 2 जून को बीजेपी में शामिल हो गए। हाल ही में उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी। इससे पहले कांग्रेसी नेता श्वेता ब्रह्मभट्ट BJP में शामिल हुईं। BJP में शामिल होने से पहले हार्दिक ने कोबा इलाके से BJP कार्यालय 'कमलम' तक रोड शो निकाला। इसके बाद दोपहर 12.39 बजे के विजय मुहूर्त में कमलम में प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल की मौजूदगी में उन्होंने केसरिया बाना पहन लिया। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं बीजेपी में शामिल नहीं हुआ हूं, बल्कि ये मेरी घर वापसी है।'







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कांग्रेस छोड़कर आईं श्वेता ब्रह्मभट्ट भी बीजेपी में शामिल हो गईं।







ये गणित समझिए





गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन में अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवाणी और पटेल अमानत आंदोलन का चेहरा रहे हार्दिक पटेल की बड़ी भूमिका मानी जाती थी। अल्पेश ठाकोर पहले ही बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। अब हार्दिक पटेल का बीजेपी में आना कांग्रेस को आगामी चुनाव में बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। गुजरात की राजनीति में पटेल-पाटीदार इतने अहम क्यों हैं? बीजेपी को हार्दिक के पार्टी में आने से क्या फायदा होगा और बीजेपी किन पाटीदार चेहरों पर दांव लगा रही है? गुजरात के किन इलाकों में पाटीदार वोटरों का प्रभाव है? समझते हैं....





पाटीदार क्यों खास?





कहा जाता है कि गुजरात की कुल 182 विधानसभा सीटों में से लगभग 70 सीटों पर पटेल वोटर निर्णायक हैं।  2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पाटीदार आंदोलन की वजह से सीटों का नुकसान हुआ था। पार्टी 100 सीटों का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाई थी। बीजेपी सिर्फ 99 और कांग्रेस को 82 सीटें मिली थीं। सबसे ज्यादा नुकसान सौराष्ट्र क्षेत्र में हुआ था। जहां की 56 सीटों में से 32 पर कांग्रेस को जीत मिली थी। वहीं, बीजेपी को महज 22 सीटों से संतोष करना पड़ा। 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 36 विधायक पाटीदार समुदाय से थे, 2017 के इनकी संख्या घटकर 28 रह गई थी। जबकि कांग्रेस के 20 पाटीदार विधायक जीते थे। गुजरात में फिलहाल बीजेपी के 44 विधायक, 6 सांसद और राज्यसभा में तीन सांसद पाटीदार समुदाय से हैं।





हार्दिक के बीजेपी में जाने से किसे फायदा?





गुजरात की राजनीति के जानकार बताते हैं कि हार्दिक पटेल के इस फैसले का बीजेपी से ज्यादा हार्दिक को फायदा होगा। गुजरात का पाटीदार समुदाय लंबे समय से बीजेपी के साथ है। 80-85% पाटीदार-पटेल के वोट बीजेपी को मिलते रहे हैं। 2017 के चुनाव में अमानत आंदोलन और पाटीदरों पर लाठीचार्ज से नाराजगी के बाद भी पाटीदार वोटर पूरी तरह से बीजेपी से अलग नहीं हुआ था। हालांकि, कुछ हिस्सों में उसकी नाराजगी का बीजेपी को नुकसान जरूर हुआ। हार्दिक के आने से बीजेपी को पटेल-पाटीदार समाज में पुराना जनाधार वापस लौटने की उम्मीद है। 





हालांकि, हार्दिक को जिस तरह कांग्रेस में आते ही कार्यकारी अध्यक्ष जैसा पद मिल गया था, बीजेपी में ऐसा अहम पद मिलने की संभावना कम है। ऐसा कुछ होने पर बीजेपी के पुराने पाटीदार नेता नाराज हो सकते हैं, जो बीजेपी नहीं चाहेगी। वहीं, हार्दिक को बीजेपी में आने से अपने खिलाफ चल रहे कानूनी मामलों में राहत जरूर मिल सकती है। इसमें उनके खिलाफ चल रहा राजद्रोह का मामला भी शामिल है।    





...किन पाटीदार चेहरों पर दांव लगा रही है बीजेपी? 





हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात दौरे पर आए थे। इस दौरान उन्होंने राजकोट जिले के अतकोट में पाटीदार समूह के अस्पताल का उद्घाटन किया था। इस दौरान खोडलधाम संस्थान के प्रमुख रहे परेश गजेरा को पार्टी ने काफी अहमियत दी। बीजेपी की रणनीति यह है कि अगर नरेश पटेल कांग्रेस में जाते हैं तो परेश गजेरा के जरिए पाटीदार वोटर्स को रोका जा सके, क्योंकि दोनों लेउवा पटेल हैं। वहीं, हार्दिक के आने से कड़वा पटेल समुदाय में भी पार्टी की पैठ बढ़ेगी। इतना ही नहीं राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से 15 महीने पहले पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा भी बदल दिया। विजय रूपाणी की जगह पाटीदार समुदाय से आने वाले भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया।





कौन हैं हार्दिक पटेल?





1993- अहमदाबाद के वीरमगाम में पैदा हुए।



2015- पाटीदारों को आरक्षण दिलाने के लिए आंदोलन किया।



2019- कांग्रेस जॉइन की, गुजरात के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए।



2022- 18 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दिया, 2 जून को बीजेपी का दामन थामा।



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