New Delhi/Varanasi. सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सिर्फ 5 मिनट सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने सुबह 11.03 बजे 3 जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की और 11.08 बजे सुनवाई खत्म कर दी। इसमें जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालत यानी वाराणसी कोर्ट (जहां सुनवाई हो रही है) इस मामले पर कोई भी एक्शन लेने से बचे। 20 मई यानी शुक्रवार को 4 बजे एक जज एलएन राव का फेयरवेल है, उससे पहले 3 बजे इस मामले पर सुनवाई करेंगे। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी मौजूद थे।
कोर्ट में ऐसे हुई जिरह
इससे पहले हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन ने कहा कि सीनियर लॉयर हरिशंकर जैन बीमार हैं, लिहाजा ज्ञानवापी मामले की 20 मई को सुनवाई की जाए। इस पर मुस्लिम पक्ष की ओर से मौजूद वकील हुजेफा अहमदी ने कहा कि मामला अर्जेंट होने के कारण इसे आज (19 मई को) ही सुना जाए। अहमदी ने कहा कि विभिन्न मस्जिदों को सील करने के लिए देशभर में कई आवेदन दायर किए गए हैं। वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में सुनवाई चल रही है और वजुखाना के चारों ओर एक दीवार को गिराने के लिए एक आवेदन दायर किया गया है। हम एक वकील के बीमार होने के आधार पर सुनवाई स्थगित करने का विरोध नहीं कर सकते, लेकिन एक वचन दिया जाना चाहिए कि हिंदू भक्त सिविल कोर्ट की कार्यवाही के साथ आगे नहीं बढ़ेंगे। इस पर वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वे पीठ को आश्वासन दे रहे हैं कि हिंदू पक्ष वाराणसी की सिविल कोर्ट में सुनवाई आगे नहीं बढ़ाएंगे।
हलफनामा दाखिल नहीं, अतिरिक्त समय की मांग
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि हमने अभी हलफनामा (Afidavit) दाखिल नहीं किया है। कोर्ट से हम एक्स्ट्रा समय की मांग करेंगे। अभी नए घटनाक्रम हुए हैं। ऐसे में सभी अपडेट के साथ हम सुनवाई के लिए जाएंगे।
UP सरकार और हिंदू पक्ष को जारी किया था नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को UP सरकार और हिंदू पक्ष को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने कहा था कि 19 मई को सभी पक्ष सुनवाई में मौजूद रहें। कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील बीमार पड़ गए थे, जिसकी वजह से वे उपस्थित नहीं हो सके।
वाराणसी कोर्ट ने दिया था सर्वे का निर्देश
वाराणसी कोर्ट ने 26 अप्रैल को दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह और बनारस की रहने वाली लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की याचिका पर सर्वे का आदेश दिया था। कोर्ट ने इस सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर भी नियुक्त किया था। 18 अगस्त 2021 को चारों महिलाओं ने एक याचिका दाखिल की, जिसमें कहा गया था कि ज्ञानवापी परिसर में हिंदू देवी-देवताओं का स्थान है। ऐसे में ज्ञानवापी परिसर में मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति दी जाए।
ज्ञानवापी टाइमलाइन
1809- मस्जिद परिसर के बाहर नमाज पढ़ने को लेकर विवाद के बाद सांप्रदायिक दंगे हुए थे।
1984- दिल्ली की धर्मसंसद में हिंदू पक्ष को अयोध्या, काशी और मथुरा पर दावा करने को कहा गया।
1991- वाराणसी कोर्ट में याचिका दायर कर ज्ञानवापी परिसर में पूजा के साथ मस्जिद ढहाने की मांग की।
1998- अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेट की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट की सुनवाई पर रोक लगाई।
2019- वाराणसी जिला कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में आर्कियोलॉजिकल सर्वे कराने की पिटीशन दायर की।
2020- मस्जिद कमेटी ने ज्ञानवापी में आर्कियोलॉजिकल सर्वे कराने की याचिका का विरोध किया।
2020- इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा स्टे नहीं बढ़ाए जाने पर याचिकाकर्ता ने लोअर कोर्ट में फिर से सुनवाई शुरू करने का अनुरोध किया।
2021- 17 अगस्त को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां शृंगार गौरी मंदिर में रोज पूजा के लिए 5 महिलाओं ने याचिका दाखिल की।
2022- 26 अप्रैल को कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में वीडियोग्राफी और सर्वे के आदेश दिए।
2022- 6 मई को ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे शुरू हुआ।
अखिलेश का विवादास्पद बयान
इस बीच उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि हिंदू धर्म में तो कहीं भी पत्थर रख दो, सिंदूर लगा दो, वो मंदिर बन जाता है।
समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव का विवादित बयान बोले- हिंदू धर्म में कहीं पत्थर रख दो, सिंदूर लगा दो मंदिर बन जाता है @yadavakhilesh @samajwadiparty @BJP4India @BJP4MP #GyanvapiMasjid #Gyanvapi #AkhileshYadav #hindumuslim pic.twitter.com/XwQmu7VsO3
— TheSootr (@TheSootr) May 19, 2022