Varanasi. कोर्ट के आदेश पर चर्चित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे का काम लगातार तीसरे दिन यानी 16 मई को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पूरा हो गया। 17 मई एडवाकेट कमिश्नर को कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पेश करनी है। सर्वे 3 दिन यानी 14, 15 और 16 मई को हुआ। इसमें क्या-क्या मिला, ये जानने के लिए हर कोई बेताब है। गोपनीयता को लेकर सख्त हिदायत की वजह से कोई भी पक्ष इसे लेकर सीधे कुछ बताने से से बचने की कोशिश कर रहा है। इस बीच, हिंदू पक्ष ने ये दावा जरूर किया कि सर्वे में जो मिल रहा है, वो उनके पक्ष में है। वहीं, वाराणसी डीएम ने कहा कि किसी भी दावे पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
सोमवार यानी 16 मई को करीब 3 घंटे तक सर्वे हुआ। ज्ञानवापी परिसर में सर्वे पूरा होने के बाद बाहर निकले सोहन लाल आर्य ने दावा कि अंदर बाबा मिल गए। इससे बड़ा समाचार कुछ नहीं हो सकता जिन खोजा तिन पाइयां...तो समझिए, जो कुछ खोजा जा रहा था, उससे कहीं ज्यादा मिला। वाराणसी कोर्ट ने डीएम को आदेश दिया कि जिस जगह शिवलिंग मिला है, उसे तत्काल सील कर दें। वहां पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया जाए। कोर्ट ने डीएम, पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेंट को यह आदेश दिया है। कोर्ट ने इन अधिकारियों को जगहों को संरक्षित और सुरक्षित रखने की व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदारी दी है।
करीब 1500 फोटो ली गईं
सर्वे की रिपोर्ट पूरी तरह से गोपनीय है, यह कोर्ट में दाखिल होने के बाद ही सार्वजनिक हो सकेगी। सर्वे टीम में शामिल फोटोग्राफर ने बताया कि करीब एक से डेढ़ हजार फोटो ली गई हैं। ये कोर्ट कमिश्नर को सौंपी गई हैं।
पहली बार इन्होंने दायर की थी याचिका
सोहनलाल ने 1996 में इस मामले को लेकर पहली याचिका दाखिल की थी। उन्होंने ठोस और विश्वसनीय प्रमाण मिलने के संकेत दिए हैं। तहखाने के अंदर सफाई के दौरान बड़े स्वरूप में एक काला पत्थर मिलने की बात कही है। बताया कि हम कोर्ट में कहेंगे कि पश्चिमी तरफ जो 15 फीट मलबा पड़ा है, उसकी भी जांच हो।
मुस्लिम पक्ष का अपना तर्क
हिंदू पक्ष की ओर से किए जा रहे दावे को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी पक्ष के लोगों ने खारिज किया है। मसाजिद कमेटी पक्ष के मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने कहा कि सर्वे में क्या मिला, वो कोर्ट में साफ होगा। इस पर आपत्तियां भी की जा सकती हैं। वकील अभयनाथ यादव ने साफ कहा कि अंदर कुछ नहीं मिला।
सुप्रीम कोर्ट में अब कब सुनवाई
मुस्लिम पक्ष की याचिका पर 17 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वाराणसी कोर्ट के सर्वे के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच सुनवाई करेगी। उधर, सर्वे करके बाहर आए मुस्लिम पक्ष के वकील ने हिंदू पक्ष के दावों का खारिज किया है। वकील ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं मिला। हम सर्वे से संतुष्ट हैं। कल, यानी 17 मई को कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी जाएगी। बता दें कि एडवोकेट कमिश्नर के नेतृत्व में वादी-प्रतिवादी पक्ष के 52 लोगों की टीम सुबह 8 बजे परिसर में एंट्री की।
मस्जिद के बगल में काशी विश्वनाथ मंदिर
जिस ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ उसी में मस्जिद है। मस्जिद के ठीक बगल में काशी विश्वनाथ मंदिर है। दावा है कि इसे औरंगजेब ने एक मंदिर तोड़कर बनवाया था। जानें, अब तक के इस विवाद की पूरी कहानी...
दावे और मांग
ज्ञानवापी विवाद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा- इसके नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को तुड़वा दिया। दावे में कहा गया कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर उसकी भूमि पर किया गया है जो कि अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।
याचिकाकर्ता की मांग- ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष है या नहीं। साथ ही विवादित ढांचे का फर्श तोड़कर ये भी पता लगाया जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ भी वहां मौजूद हैं या नहीं। मस्जिद की दीवारों की भी जांच कर पता लगाया जाए कि ये मंदिर की हैं या नहीं। याचिकाकर्ता का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ था।
इन्हीं दावों पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की एक टीम बनाई। इस टीम को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने के लिए कहा गया था।
अब तक क्या हुआ?
- काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस में 1991 में वाराणसी कोर्ट में पहला केस दायर हुआ था। याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इसमें शामिल हैं।
2021 में 5 महिलाओं ने ज्ञानवापी पर पिटीशन दायर की
- दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह और बनारस की रहने वाली लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में 18 अगस्त 2021 में एक याचिका दाखिल की।
अभी ये स्थिति
मौजूदा समय ज्ञानवापी मस्जिद में प्रशासन ने केवल कुछ ही लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी है। ये वो लोग हैं, जो हमेशा से यहां नमाज पढ़ते आए हैं। इन लोगों के अलावा यहां किसी को भी नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं है। वहीं, मस्जिद से सटे काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था।
कमेटी में कौन-कौन है और सर्वे में क्या-क्या हुआ?
- कमेटी में कोर्ट कमिश्नर एडवोकेट अजय कुमार मिश्र, विशाल कुमार सिंह, असिस्टेंट कमिश्नर अजय सिंह शामिल हैं।
अपने-अपने बयान...
#ज्ञानवापी मस्जिद थी, और क़यामत तक रहेगी इंशा’अल्लाहpic.twitter.com/stNp8gneyl
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 16, 2022
"सत्य" को आप कितना भी छुपा लीजिये लेकिन एक दिन सामने आ ही जाता है क्योंकि "सत्य ही शिव" है।
बाबा की जय,
हर हर महादेव।।#GyanvapiTruthNow#ज्ञानवापी_मंदिर
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) May 16, 2022