SC में लोअर कोर्ट के आदेश पर रोक की मांग; CJI बोले- फाइल देखकर ही फैसला करेंगे

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Atul Tiwari
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SC में लोअर कोर्ट के आदेश पर रोक की मांग; CJI बोले- फाइल देखकर ही फैसला करेंगे

Varanasi. ज्ञानवापी मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। याचिका में वाराणसी कोर्ट के आदेश पर रोक की मांग की गई है। याचिका अंजुमन ए इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी की प्रबंधन समिति की तरफ से लगाई गई है। याचिकाकर्ता के वकील हुजेफा अहमदी ने इसे प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट के खिलाफ बताया और सुप्रीम कोर्ट से तुरंत सुनवाई की मांग की। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि तुरंत कोई आदेश नहीं दे सकते। फाइल देखने के बाद ही सुनवाई पर निर्णय लिया जाएगा।



याचिकाकर्ता के वकील अहमदी ने कहा, ‘हमने उस सर्वेक्षण को लेकर याचिका दायर की है, जिसका वाराणसी स्थित संपत्ति के संबंध में किए जाने के लिए निर्देश दिया गया है। यह (ज्ञानवापी) पुरातन काल से मस्जिद है और यह (सर्वेक्षण) पूजास्थल अधिनियम के तहत स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित है।’ उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण करने का निर्देश पारित किया गया है और इस समय यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित किया जाए। इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, ‘मुझे कोई जानकारी नहीं है। मैं ऐसा आदेश कैसे पारित कर सकता हूं? मैं पढ़ूंगा। मुझे विचार करने दीजिए।’



ताला खोलकर या तोड़कर जैसे भी हो पूरा करवाएं सर्वे: वाराणसी कोर्ट



12 मई को ज्ञानवापी परिसर मामले में वाराणसी कोर्ट ने फैसला सुनाया था। कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि तहखाने से लेकर परिसर के चप्पे-चप्पे का सर्वे किया जाए। जहां ताला लगा है, वहां खुलवाकर या तुड़वाकर वीडियोग्राफी और सर्वे कराया जाए। सर्वे का काम सुबह 8 से 12 बजे तक किया जाए। कोर्ट में इस मामले की अगली कार्रवाई 17 मई को रखी गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि तब तक एडवोकेट कमिश्नर अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे।

 

कोर्ट ने प्रशासन पर भी तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा कि प्रशासन को स्पष्ट भाषा समझ में क्यों नहीं आती? सर्वे की कार्यवाही पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने और अगली सुनवाई के लिए 17 मई की तारीख तय की गई है। अदालत ने आदेश में कहा कि कमीशन की कार्यवाही में किसी की ओर से कोई बाधा डाले जाने पर जिला प्रशासन केस दर्ज करवाकर सख्त कार्रवाई करें। इसके साथ ही डीजीपी और मुख्य सचिव को पूरे मामले की मॉनिटरिंग का निर्देश दिया। 



एडवोकेट कमिश्नर नहीं हटाए जाएंगे



एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र को हटाने की मांग को खारिज करते हुए अदालत ने आदेश दिया कि किसी कीमत पर सर्वे की कार्यवाही नहीं रुकेगी। एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्र को आगे का सर्वे जारी रखने का आदेश देते हुए उनके सहयोग के लिए विशेष सर्वे अधिवक्ता के रूप में अजय प्रताप सिंह और विशाल सिंह को तैनात किया गया है। इनमें किसी भी अधिवक्ता की गैरमौजूदगी में काम नहीं रुकेगा। सर्वे की कार्यवाही अब हर दिन सुबह आठ बजे से 12 बजे तक होगी।



केस में कब क्या हुआ?



6 मई: अदालत के आदेश पर नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को लेकर 6 मई से ज्ञानवापी का सर्वे कराना शुरू किया। इस दिन केवल शृंगार गौरी के विग्रह और दीवारों की वीडियोग्राफी ही हो पाई। पहले दिन बड़ी संख्या में मुसलमान मस्जिद में नमाज को आए और सर्वे को लेकर बवाल और नारेबाजी हुई थी। मुस्लिम पक्ष का आरोप था कि एडवोकेट कमिश्नर वादी पक्ष की तरह पार्टी बनकर सर्वे कर रहे हैं।



7 मई: दोपहर में सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ। वादी पक्ष ने आरोप लगाया कि 500 से ज्यादा मुस्लिम मस्जिद के अंदर ही हैं और सर्वे के लिए प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं। न ही प्रशासन कोई सहयोग दे रहा। विवाद के बाद सर्वे रुक गया और मामला फिर से कोर्ट में चला गया।



9 मई: अदालत में सुनवाई के दौरान वादी पक्ष ने कहा कि एडवोकेट कमिश्नर अपना काम सही से कर रहे हैं। सर्वे में अड़ंगा डालने के लिए उन पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। ज्ञानवापी के अंदर वीडियोग्राफी और सत्यापन की अनुमति दे दी जाए।



10 मई: अदालत में दोनों पक्षों के वकीलों के बीच डेढ़ घंटे तक बहस हुई थी। इस दौरान वकीलों ने एडवोकेट कमिश्नर के बदले जाने और ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर दलील पेश की। मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने तैयारी के साथ कुछ और तथ्य देने के लिए 11 मई तक का समय मांगा था। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 12 मई की तारीख तय कर दी। साथ ही कहा कि जरूरत पड़ने पर जज स्वयं मौके पर जाएंगे।



पिछले साल कोर्ट में दायर हुआ केस



राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने वाराणसी की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अगस्त 2021 में एक केस दायर किया। अदालत से मांग की थी कि मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले। इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के सुरक्षा की भी बात अदालत के सामने उठाई गई। इस मसले पर 8 महीने तक सुनवाई और दलीलें चलतीं रहीं, अब अप्रैल से यह मामला निष्कर्ष की तरफ बढ़ा है।


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