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प्रवीण शर्मा, Bhopal. प्रदेश के सरकारी विभागों में किस तरह फैसले लिये और पलटे जाते हैं, इसकी ताजा मिसाल है अरुंधति रॉय (Arundhati Roy) की किताब द अलजेब्रा ऑफ इनफाइनाइट जस्टिस (The Algebra Of Infinite Justics) । उनकी इस किताब को अंग्रेजी साहित्य के कालेज सिलेबस में गुपचुप शामिल करने के बाद संभावित बवाल से बचने के लिए उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education Department of MP) ने उतने ही गुपचुप तरीके से बाहर कर दिया गया है।
उच्च शिक्षा ने वेबसाइट से हटाया पुराना सिलेबस
अपनी लेखनी और बयानों से विवाद में रहने वाली बुकर पुरस्कार विजेता लेखक अरुंधति रॉय की किताब को सिलेबस का हिस्सा बनाकर निशाने पर आए उच्च शिक्षा विभाग ने हाथ की सफाई दिखाते हुए अपना फैसला बदल दिया है। दिल्ली से लेकर नागपुर तक की तिरछी नजर और संघ-संगठन द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बाद चुपके से यह किताब सिलेबस से हटा दी गई है। अब इस किताब का चयन करने वाले शिक्षक के हवाले से ही सफाई दिलाई जा रही है कि यह किताब कोर्स में शामिल ही नहीं की गई थी। जबकि हकीकत यह है कि भोपाल सहित प्रदेश भर के कालेजों का स्टॉफ उच्च शिक्षा विभाग की वेबसाइट से पूर्व में डाउनलोड किए गए सिलेबस का ही प्रिंट निकालकर बैठा हुआ है।
वेबसाइट पर अपलोड किया बदला सिलेबस
उच्च शिक्षा विभाग ने पुराना सिलेबस अपनी वेबसाइट से हटाकर आननफानन में बदला गया सिलेबस अपलोड कर दिया है। इसके साथ ही सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा फैक्ट चेक जारी कर केंद्रीय अध्ययन मंडल के अध्यक्ष डॉ. जीएस गौतम (Dr GS Goutam) के हवाले से ही सफाई दी गई है। इसके मुताबिक बीए सेकंड ईयर (BA Second year) इंग्लिश लिटरेचर (English Litreture) में अरुंधति रॉय की किताब द अलजेब्रा ऑफ इनफाइनाइट जस्टिस (The Algebra Of Infinite Justics) शामिल करने संबंधी खबर जो वायरल हो रही है, वह तथ्यहीन है। जनसंपर्क विभाग ने डॉ. गौतम के स्पष्टीकरण में कहा है कि इस घटना के मद्देनजर पाठ्यक्रम निर्माण की प्रक्रिया का अध्ययन पाया गया कि अरुंधति रॉय की कोई भी पुस्तक अंग्रेजी साहित्य पाठ्यक्रम बीए द्वितीय वर्ष का अंग नहीं है, जिसकी पुष्टि मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध पाठ्यक्रम से की जा सकती है।
द सूत्र फैक्ट चैक - द सूत्र ने अरुंधति राय की किताब द अलजेब्रा ऑफ इनफाइनाइट जस्टिस प्रदेश के कालेजों के सिलेबस में शामिल किए जाने को लेकर 30 अगस्त को प्राथमिकता से न्यूज प्रकाशित की थी। इसके लिए 24 अगस्त से लेकर 30 अगस्त तक सरकारी कालेजों में ही जाकर इंग्लिश लिटरेचर बीए सेकंड ईयर का सिलेबस डाउनलोड कर सभी जगह से प्रिंटआउट (Printout) लिये गए। इस सिलेबस को मंजूर करने वाले केंद्रीय अध्ययन मंडल (Central Board of studies) के अध्यक्ष डॉ. ज्ञान सिंह गौतम के हस्ताक्षर भी 13 फरवरी 2022 की तिथि के साथ हैं (ये सभी प्रिंटआउट द सूत्र के पास सुरक्षित हैं)। इसके साथ ही केंद्रीय अध्ययन मंडल के अध्यक्ष डॉ. गौतम से फोन पर हुई चर्चा की रिकॉर्डिंग भी द सूत्र के पास सुरक्षित है।
उस समय क्या बोल रहे थे डॉ.गौतम
24 अगस्त को पहली बार 11 मिनट 13 सेकंड की चर्चा में डॉ. गौतम का कहना था कि अरुंधति बहुत सटीक, तर्क पूर्ण लिखती हैं। उनका शब्द चयन भी बहुत स्ट्रांग होता है। इसलिए हमने उनकी किताब को हमने चुना है। वे लेफ्ट हैं या राइट, हमें इससे फर्क नहीं पड़ता। साथ ही डॉ. गौतम का कहना था कि हमने 4-5 दौर की लंबी बैठकों के बाद अरुंधति रॉय की किताब को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। बाद में डॉ. गौतम ने फोन कर 7 मिनट 22 सेकंड चर्चा कर अपना संशोधित अधिकृत बयान दर्ज कराते हुए कहा था कि इस किताब पर सरकार की ओर से कोई बैन नहीं है। वैसे भी साहित्य का विषय समालोचना का होता है। शिक्षक और विद्यार्थी अध्ययन के दौरान समालोचना करते हैं। यदि कुछ विवादित लगता है तो हर साल बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक होती है। कोर्स भी बदल भी सकते हैं (ये ऑडियो क्लिप भी द सूत्र के पास सुरक्षित हैं)।
इसलिए उठे सवाल और मचा बवाल
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद प्रदेश में पाठ्यक्रम निर्माण की मॉनीटरिंग का जिम्मा संघ के शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय संगठन विद्या भारती के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी संभाल रहे थे। इसके लिए विद्या भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व फीस एवं प्रवेश विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. रविंद्र कान्हेरे की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन भी किया गया था। डॉ. कान्हेरे तथा हिंदी ग्रंथ अकादमी के संचालक डॉ. अशोक कड़ेल सिलेबस और स्टडी मटैरियल बनाने वाले दलों के साथ लगातार बैठक भी कर रहे थे। बावजूद इस सबके बीए सेकंड ईयर के इंग्लिश लिटरेचर के कोर्स में अरुंधति रॉय की यह किताब शामिल कर ली गई। डॉ. गौतम की अध्यक्षता वाले इंग्लिश लिटरेचर के बोर्ड ऑफ स्टडीज द्वारा फाइनल किया गया सिलेबस विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था। सभी कालेजों को निर्देश दिए गए कि इसे डाउनलोड कर पढ़ाई शुरू करा दें।
हर कालेज में मौजूद है पुराना सिलेबस
उच्च शिक्षा विभाग ने 7 अगस्त को संशोधित सिलेबस अपलोड किया है। पुराने सिलेबस में मेजर 1 विषय की चौथी यूनिट में पॉलिटिकल राईटिंग्स टॉपिक से तीन किताबें शामिल की थी। अब अरुंधति रॉय की किताब हटाकर केवल दो किताबें रख दी गई हैं। इसी पेपर के पार्ट सी में दी गईं सजेस्टेड बुक्स की लिस्ट में से भी अरुंधति रॉय की किताब का नाम हटा दिया गया है। पुराने और नए सिलेबस के प्रिंटआउट में भी इस उछलकूद और काटछांट का असर साफ दिख रहा है।
विभाग ने ऐसे पलटा फैसला और हटाई किताब
लेखक अरुंधति रॉय अपने बयान और लेख हमेशा से ही केंद्र की भाजपा सरकार के फैसलों के खिलाफ ही रहते हैं। पोखरण विस्फोट, कारगिल युद्ध, एनपीआर, एनसीआर से लेकर अधिकांश मुद्दों पर अरुंधति रॉय सरकार के फैसलों के खिलाफ ही रही हैं। बीजेपी लगातार उनके खिलाफ प्रदर्शन करती रही है। कई राज्यों में उनके खिलाफ एफआईआर भी बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दर्ज कराई हैं। इसलिए जैसे ही संघ और संगठन को अरुंधति रॉय की किताब मध्यप्रदेश के कालेजों में पढ़ाए जाने के फैसले की जानकारी लगी, दिल्ली और नागपुर तक हल्ला मच गया। प्रदेश में संघ और संगठन के उच्चाधिकारियों ने अपनी आपत्ति और नाराजगी जताई। सीएम और उच्च शिक्षा मंत्री ने इस मामले में चुप्पी साध ली, लेकिन तत्काल किताब को सिलेबस में शामिल करने वालों को 31 अगस्त को ही तलब कर लिया गया। संघ परिवार ने साफ तौर पर पूछा कि क्या हमारे पास अंग्रेजी साहित्य के लेखकों की कमी है? क्या जिस श्रेणी में अरुंधति की किताब को रखा है, उसमें हमारे पास श्रेष्ठ सामग्री नहीं है। जो सामग्री हम विद्यार्थियों को देना चाहते हैं, वह अरुंधति की किताब में ही मिलेगी क्या? इन सवालों के जवाब में विभाग ने अरुंधति की किताब हटाना ही उचित समझा। वहीं सरकार ने पूछा कि अभी जो विषय है, वह कहां रोका जा सकता है, स्थिति क्या है। बताया गया कि अभी किताब छपने नहीं गई हैं। साथ ही कालेजों में भी अभी प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। केवल वेबसाइट पर ही सिलेबस अपलोड किया गया है। यहीं से विभाग को अपनी गलती सुधारने का मौका मिल गया। इसके चलते तत्काल सिलेबस बदल दिया गया।