नई दिल्ली/बेंगलुरु. कर्नाटक हिजाब विवाद (Karnataka Hijab row) एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ताओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। 10 फरवरी को कर्नाटक हाईकोर्ट की 3 जजों की बेंच ने अगले आदेश तक स्कूल कॉलेजों में धार्मिक पोशाक पहनने पर रोक लगाई थी। इससे पहले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी कि मामले को कर्नाटक हाईकोर्ट से शीर्ष अदालत में ट्रांसफर किया जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया था।
दरअसल, कर्नाटक सरकार ने राज्य में Karnataka Education Act-1983 की धारा 133 लागू कर दी है। इस वजह से अब सभी स्कूल-कॉलेज में यूनीफॉर्म को अनिवार्य कर दी गई है। इसके तहत सरकारी स्कूल और कॉलेज में तो तय यूनीफॉर्म पहनी ही जाएगी, प्राइवेट स्कूल भी अपनी खुद की एक यूनीफॉर्म चुन सकते हैं।
हाईकोर्ट की बड़ी बेंच का आदेश: इस फैसले के खिलाफ कुछ छात्रों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। इन याचिका को सिंगल बेंच ने चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली बड़ी बेंच में भेज दिया था। इस बेंच ने सुनवाई करते हुए 10 फरवरी को अंतरिम आदेश सुनाया था। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अवस्थी ने कहा था कि हम संस्थान खोलने का आदेश देंगे, सब शांति बनाए रखें. जब तक हम मामला सुन रहे हैं, तब तक छात्र धार्मिक कपड़े पहनने पर जोर ना दें।
मुख्यमंत्री की हाईलेवल मीटिंग: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई 11 फरवरी को इस मुद्दे पर एक हाईलेवल मीटिंग करेंगे। इस मीटिंग में सभी मंत्री और टॉप अफसर शामिल होंगे। मुख्यमंत्री इस बैठक में इस विवाद को लेकर जमीनी हालात की समीक्षा करेंगे। मुख्यमंत्री ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा, सरकार की जिम्मेदारी है कि वो राज्य में कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करे। इसी के लिए बैठक बुलाई गई है।
ये है विवाद: कर्नाटक सरकार के ड्रेस वाले फैसले को लेकर विवाद पिछले महीने जनवरी में शुरू हुआ था। असल में उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज आई थीं। विवाद इस बात को लेकर था कि कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मना किया था, लेकिन वे फिर भी पहनकर आ गईं। उस विवाद के बाद से ही दूसरे कॉलेजों में भी हिजाब को लेकर बवाल शुरू हो गया। इसके बाद कई राज्यों में हिजाब को लेकर तमाम प्रतिक्रियाएं सामने आईं।