1900 में लिखी गई थी खड़ी बोली की पहली कहानी, 73 साल पहले हिंदी को मिला था राजभाषा का दर्जा

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Atul Tiwari
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1900 में लिखी गई थी खड़ी बोली की पहली कहानी, 73 साल पहले हिंदी को मिला था राजभाषा का दर्जा

BHOPAL. हर साल 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारत विविधताओं का देश है। यहां कई तरह की भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं, लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है। देश के करीब 77% लोग बोलचाल के लिए हिंदी का प्रयोग करते हैं। 





गांधीजी की प्रेरणा, इंदौर ने की अगुआई





पहली बार इंदौर में 1910 में गांधीजी की प्रेरणा से मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति बनी। वहीं 29 मार्च 1918 को समिति के आठवें अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए गांधीजी ने पहली बार हिंदी को देश की राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की बात कही थी।





1953 में मनाया गया पहला हिंदी दिवस





14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था। हिंदी के महत्व को लोगों को बताने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा हर साल 14 सितंबर को हिंदी राजभाषा दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया गया। संविधान निर्माताओं ने हिंदी के महत्व को समझते हुए इसे संविधान में जगह दी। 





भारत के संविधान में भाग 17 के अनुच्छेद 343 (1) में कहा गया है कि राष्ट्र की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। इसके बाद 14 सितंबर के दिन को चुना गया और इस दिन हिंदी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाए जाने का ऐलान किया। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।





1900 में हुई थी आज की हिंदी की शुरुआत





आज हम जो हिंदी लिखते हैं, इसकी शुरुआत 1900 में हुई थी। खड़ी बोली यानी हिंदी में लिखी गई पहली कहानी इंदुमती थी। इसे किशोरीलाल गोस्वामी ने लिखा था।  महावीर प्रसाद द्विवेदी ने खड़ी बोली को सही रूप में लाने में काफी योगदान दिया। हिंदी साहित्य में 1900-1920 तक समय द्विवेदी युग कहा जाता है। 



भारत में करीब 1500 से भी ज्यादा भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं। भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची मे 22 भाषाएं दी हुई हैं। 





भाषाएं- बोले जाने वाला/वाले इलाके





हिंदी- उत्तर भारत



संस्कृत- शास्त्रीय भाषा (कोई राज्य नहीं)



मराठी- महाराष्ट्र



गुजराती- गुजरात



पंजाबी- पंजाब



सिंधी- राजस्थान, पंजाब



नेपाली- बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड



डोगरी- हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर



बंगाली- पश्चिम बंगाल, झारखंड



बोडो- असम



संथाली- झारखंड



मैथिली- बिहार



ओड़िया- ओडिशा



कोंकड़ीं- गोवा



कन्नड़- कर्नाटक



तमिल- तमिलनाडु



मलयालम- केरल



तेलुगु- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना



असमिया- असम



मणिपुरी- मणिपुर



उर्दू- पूरे भारत में



कश्मीरी- जम्मू-कश्मीर





राष्ट्रभाषा और राजभाषा में अंतर





राष्ट्रभाषा का अर्थ है- पूरे देश में प्रयुक्त भाषा यानी आमजन की भाषा। जो समस्त राष्ट्र में जन-जन के विचार विनिमय का माध्यम हो।



राष्ट्रभाषा शब्द संवैधानिक शब्द नहीं है, बल्कि यह प्रयोगात्मक व्यवहारिक और जनमान्यता प्राप्त शब्द है। राष्ट्रभाषा सामाजिक- सांस्कृतिक मान्यताओं परंपराओं के द्वारा सामाजिक सांस्कृतिक स्तर पर देश को जोड़ने का काम करती है। राष्ट्रभाषा का प्रयोग क्षेत्र विस्तृत और देशव्यापी होता है। राष्ट्रभाषा सारे देश की संपर्क भाषा होती है। राष्ट्रभाषा का रूप लचीला होता है और इसे जनता के अनुरूप किसी भी रूप में ढाला जा सकता है। हमारे देश भारत की कोई भी राष्ट्रभाषा नहीं हैं। हिन्दी हमारे देश की राजभाषा है।





राजभाषा का शाब्दिक अर्थ है- राजकाज की भाषा। जो भाषा देश के राजकीय कार्यों के लिए इस्तेमाल होती है, वह राजभाषा कहलाती है। राजभाषा का एक निश्चित मानक स्वरूप होता है, जिसके साथ छेड़छाड़ या प्रयोग नहीं किया जा सकता। वर्तमान समय में भारत सरकार के कार्यालयों और हिन्दीभाषी राज्यों में राजकाज हिन्दी में होता है। अन्य राज्य सरकारें अपनी-अपनी भाषाओं में कार्य करती है। जैसे-महाराष्ट्र मराठी में, गुजरात गुजराती में, पंजाब पंजाबी में।





हिंदी को लेकर 10 फैक्ट्स





1. आज जो हिंदी हम बोलते हैं, इसकी शुरूआत 1900 ईसवी से माना जाता है। यह संस्‍कृ‍त भाषा के अपभ्रंश होने पर निकली है। इतिहासकारों का मानना है कि हिंदी में पहली रचना 1000 ईसवी में खुमान रासो है। इसके बाद बीसलदेव रासो और पृथ्‍वीराज रासो लिखी गई।





2. वहीं हिंदी भाषा को असल पहचान 1450 के बाद तब मिली जब गुरू नानक देव, रैदास, सूरदास और कबीर ने हिंदी में कविताएं लिखनी शुरू कीं। इस दौरान कबीर की बानी, सूरदास की सूरसागर और गोस्‍वामी तुलसीदास की 1633 ईसवी में लिखी गई रामचरितमानस बहुत प्रसिद्ध हुई।





3. इतिहासकार मानते हैं कि आज जो हिंदी हम बोलते हैं, इसमें पहला गद्य भारतेंदु हरिश्‍चंद्र द्वारा लिखा गया था। इन्‍हें आधुनिक हिंदी का जनक माना जाता है। वे एक गद्यकार, कवि, नाटककार, व्यंग्यकार और पत्रकार थे। उन्होंने बाल विबोधिनी पत्रिका, हरिश्चंद्र पत्रिका और कविवचन सुधा पत्रिकाओं का संपादन किया।





4. 1900 में किशोरीलाल गोस्‍वामी की लिखी गई इंदुमती पहली एसी रचना थी, जो पूरी तरह हिंदी खड़ी बोली में लिखी गई। इसकी हिंदी भाषा काफी हद तक वैसी ही है, जैसी आज लिखी और बोली जाती है।





5. आज हिंदी पूरे विश्‍व में मंदारिन (चीन), इंग्लिश के बाद विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है।





6. ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में अब तक हिंदी भाषा के 900 से ज्‍यादा शब्दों को जगह मिल चुकी है। हिंदी शब्दों में बापू, अच्छा, बच्चा, सूर्य नमस्कार, भेलपुरी, चाचा जैसे शब्‍दों को इस डिक्शनरी में शामिल किया गया है।





7. हिंदी दुनिया के 30 से ज्यादा देशों में पढ़ी-पढ़ाई जाती है। करीब 100 यूनिवर्सिटी में उसके लिए स्टडी सेंटर खुले हैं।





8. दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में फिजी देश में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है।





9. भारत और फिजी के अलावा हिंदी मॉरीशस, फिलीपींस, नेपाल, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत और पाकिस्तान में कुछ बदलाव के साथ ही सही, लेकिन बोली और समझी जाती है।





10. हिंदी भाषा के इतिहास पर पहला साहित्य एक फ्रांसीसी लेखक ग्रेसिम द तासी द्वारा लिखा गया था। वहीं हिंदी में नमस्ते शब्‍द सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है।



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