HYDERABAD: BJP की दो दिन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक; दक्षिण में जाकर से मंथन से पार्टी को क्या हासिल होगा?

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Atul Tiwari
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HYDERABAD: BJP की दो दिन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक; दक्षिण में जाकर से मंथन से पार्टी को क्या हासिल होगा?

HYDERABAD. बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में हो रही है। इस बैठक में शामिल होने के लिए बीजेपी के कई दिग्गज निजामों के शहर में हैं। इस दौरान बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी (National Executive) की बैठक में अपने उद्घाटन भाषण के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 2 जुलाई को विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। 





नड्डा ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के अब तक के कार्यकाल में गरीब कल्याण की उनकी प्रशासनिक योजनाओं, सामाजिक उत्थान की उनकी राष्ट्रवादी सोच के कारण ही नए भारत का निर्माण हुआ है। बीजेपी गरीबों और विपक्षी दलों को अपने परिवारों को सशक्त कर रही है। वहीं, बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने बैठक में आर्थिक और गरीब कल्याण प्रस्ताव पारित किया। ये प्रस्ताव राजनाथ सिंह ने पेश किया था। जिसका अनुमोदन पीयूष गोयल और मनोहर लाल खट्टर ने किया था।





KCR के मोदी की अगवानी नहीं करने पर बीजेपी तल्ख 





इस दौरान तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी नहीं करने के सवाल पर ईरानी ने कहा कि मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि पीएम पद का 'अपमान' किया है। उन्होंने केसीआर पर संवैधानिक प्रोटोकॉल को बाधित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम मोदी ने सहकारी संघवाद का आह्वान किया है और विभिन्न दलों के नेताओं से सम्मान के साथ मुलाकात की है।





उत्तर और दक्षिण में बीजेपी का नैरेटिव अलग-अलग





केरल यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर जे प्रभाष को बीबीसी को दिए इंटरव्यू के मुताबिक- "उत्तर भारत में बीजेपी के लिए जो राजनीतिक नैरेटिव काम करता है, वो नैरेटिव स्पष्ट रूप से दक्षिण भारत के केरल और तमिलनाडु में कारगर नहीं है। तमिलनाडु और केरल में बीजेपी के सामने विचारधारा से जुड़ी चुनौतियां है। सिर्फ तेलंगाना में बीजेपी को ऐसे संकेत मिल रहे हैं, जिससे उसे लग रहा है कि वह सत्ता की सीढ़ियां चढ़ सकती है। "





एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं- "तेलंगाना में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए ये परीक्षा की घड़ी है। यहां राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है, ताकि पार्टी काडर का मनोबल बढ़ाया जा सके। हालांकि, तेलुगू भाषी आंध्र प्रदेश की दूसरी राज्य सरकार को 'बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का अघोषित सदस्य' माना जाता है।"





तेलंगाना में बीजेपी के लिए आशा की किरण





तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति की सरकार बनने के बाद ऐसा लगा कि दोनों तेलुगू भाषी राज्यों के सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी से काफ़ी दोस्ताना संबंध हैं। बीजेपी ने इसी दौर में हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में 17 में से चार सीटें जीतकर सबको चौंका दिया, क्योंकि इससे एक साल पहले हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल की थी।





यही नहीं, ज्यादातर सीटों में बीजेपी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी, लेकिन लोकसभा चुनावों में बीजेपी को स्थानीय राजनीति से जुड़ी वजहों से जीत मिली। इसके बाद नवंबर 2020 में दुब्बका विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को पता चला कि टीआरएस सत्ता-विरोधी लहर का सामना कर रही है। दुब्बका विधानसभा तीन दिशाओं से उन विधानसभाओं से घिरी है, जिनसे मुख्यमंत्री केसीआर, दूसरे नंबर के नेता केटी रामा राव और मुख्यमंत्री के बेटे हरीश राव चुनकर आते हैं।



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