Thiruvananthapuram. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने अपनी आत्मकथा निलावु कुदिचा सिंहांगल (लायंस दैट ड्रेंक द मूनलाइट) में पूर्व इसरो प्रमुख के सिवन पर आलोचनात्मक टिप्पणी के बाद बवाल मच गया है। इसके बाद सोमनाथ ने शनिवार (4 नवंबर) को कहा कि वे अपनी ऑटोबायोग्राफी (आत्मकथा) 'निलावु कुडिचा सिम्हंगल' (शेर जो चांदनी निगल गए) की पब्लिशिंग वापस ले रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस किताब में सोमनाथ ने जिक्र किया था कि उनका प्रमोशन भारतीय स्पेस एजेंसी के पूर्व चीफ के सिवन ने रोका था। वे नहीं चाहते थे कि मैं संस्था का चीफ बनूं। इस पर विवाद शुरू हो गया था। मामले में सिवन ने आरोपों को नकारा है और कहा है कि मामले में मुझे कुछ नहीं कहना।
मैंने तो किताब में इसरो चीफ बनने तक की यात्रा बताई : सोमनाथ
सोमनाथ ने 4 नवंबर को एक न्यूज एजेंसी से इस बारे में बात कर कहा, किताब में मैंने अपनी इसरो चीफ बनने तक की यात्रा बताई है। हर इंसान को किसी संस्थान में सबसे ऊंचे पद पर जाने के दौरान कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वैसी ही समस्याएं मेरे सामने भी आई थीं। उन्होंने कहा, मैंने अपने जीवन में आई चुनौतियों के बारे में लिखा है। किसी के ऊपर निजी टिप्पणी नहीं की है। मैं किसी एक इंसान के खिलाफ नहीं हूं। बता दें कि एस सोमनाथ की अगुआई में ही चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया और यह पूरी तरह कामयाब रहा।
सिवन का आया बयान : मामले में मुझे कुछ नहीं कहना
इस मामले पर सिवन ने कहा कि मैंने नहीं देखा कि ISRO चीफ सोमनाथ ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में मेरे बारे में क्या लिखा है। मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है।
किताब में बताया चंद्रयान-2 क्यों हुआ नाकाम?
रिपोर्ट के मुताबिक, सोमनाथ ने अपनी किताब में चंद्रयान-2 की नाकामी का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि चंद्रयान-2 जल्दबाजी के कारण फेल हुआ था। मिशन से पहले किए जाने वाले सभी टेस्ट नहीं हुए थे।
चंद्रयान-2 के फेल होने की गलतियां छिपाई गईं
सोमनाथ ने कहा, चंद्रयान-2 के फेल होने की घोषणा के समय जो गलतियां हुई थीं, वे छिपाई गई थीं। लैंडिंग के समय कम्युनिकेशन सिस्टम फेल हो गया था, ऐसे में साफ था कि क्रैश लैंडिंग होगी, लेकिन पूर्व चीफ ने यह सच्चाई बताने के बजाय लैंडर के साथ संपर्क स्थापित नहीं किया जा सकता, इसकी घोषणा की थी।
सोमनाथ ने आगे कहा, मिशन के दौरान जो जैसा हो रहा है, उसे उसी तरह से बताना चाहिए था। सच लोगों के सामने आना चाहिए। इससे संस्थान में पारदर्शिता आती है। इसलिए किताब में चंद्रयान-2 की विफलता का जिक्र किया गया है।
किताब में दावा : मोदी के स्वागत दल से उनको दूर रखा गया
सोमनाथ ने अपनी किताब में यह भी दावा किया है कि जिस दिन चंद्रयान-2 चंद्रमा पर उतरने वाला था, उस दिन पीएम मोदी इसरो आए थे। मुझे उनके स्वागत दल के ग्रुप से भी दूर रखा गया था।
सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी से फेल हुआ चंद्रयान-2 मिशन
चंद्रयान-2 एक भारतीय मिशन था। इसे 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य चंद्रमा पर एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को भेजना था। इस मिशन में ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया था, लेकिन रोवर और लैंडर चंद्रमा पर सफल लैंडिंग नहीं कर पाए थे। इसरो के मुताबिक, एक सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण रोवर और लैंडर अपना रास्ता भटक गए थे और चांद की सतह पर जाकर टकरा गए थे।
इसरो प्रमुख ने सिवन की आलोचना के दावे को नकारा
मामला बढ़ता देख इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने अपनी आत्मकथा में के. सिवन की आलोचना के दावे को नकार दिया है। उनका कहना है कि आत्मकथा में किसी भी शख्स पर निशाना नहीं साधा गया है। यह पुस्तक युवाओं को जागरूक करने के लिए लिखी गई है। सोमनाथ ने कहा कि इस महत्वपूर्ण पद पर मौजूद शख्स को कई तरह की चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। उनमें से एक चुनौती है किसी संगठन में महत्वपूर्ण पद पाने की चुनौती। यह ऐसी चुनौती है, जिससे सभी को गुजरना पड़ता है। उस महत्वपूर्ण पद के लिए कई लोग योग्य हो सकते हैं। मैंने अपनी पुस्तक में इसी बात को कहने की कोशिश की है। मैंने किसी पर निशाना नहीं साधा है।
'आप वह कहें, जो वास्तव में हुआ'
सोमनाथ ने कहा, मेरा मानना है कि सबसे सही चीज यह है कि आप वह कहें, जो वास्तव में हुआ है। यह संस्थान में पारदर्शिता को बढ़ाएगा। यही कारण है कि मैंने विशेषकर उस घटना का उल्लेख किया है। पुस्तक लिखने का मुख्य उद्देश्य युवाओं को जागरूक करना है।