मध्यप्रदेश में उम्र के फेर में फंसे बीजेपी के कई विधायक, 70 पार का फॉर्मूला लागू हुआ तो कटेंगे टिकट

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Arun Dixit
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मध्यप्रदेश में उम्र के फेर में फंसे बीजेपी के कई विधायक, 70 पार का फॉर्मूला लागू हुआ तो कटेंगे टिकट

BHOPAL. मिशन-2023 को फतह करने के लिए जुटी बीजेपी में इन दिनों एक फॉर्मूले को लेकर बहुत चर्चा है। ये फॉर्मूला है 70 पार को चुनाव के बाहर रखने का। यदि ये फॉर्मूला लागू हुआ तो प्रदेश के दर्जनभर से ज्यादा बीजेपी विधायक चुनावी रेस से बाहर हो जाएंगे। इनमें महाकौशल, मध्य भारत, मालवा-निमाड़, ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड के कई बड़े चेहरे शामिल हैं। यदि इनमें विंध्य के नेता भी शामिल कर लिए जाएं तो चुनावी मैदान से बाहर होने वाले मौजूदा विधायकों की संख्या 20 तक पहुंचती है।



महाकौशल से ये विधायक हैं 70 बरस के



अजय विश्नोई-पाटन, जबलपुर



जन्म तारीख-14 जून 1952



चुनाव के समय उम्र-70 साल 3 महीने



गौरीशंकर बिसेन-बालाघाट



जन्म तारीख-1 जनवरी 1952



चुनाव के समय उम्र-70 साल 7 महीने



प्रेमशंकर वर्मा-सिवनी मालवा



जन्म तारीख-18 जुलाई 1951



चुनाव के समय उम्र-71 साल 11 महीने



मध्य से ये विधायक 70 बरस के



सीतासरन शर्मा-नर्मदापुरम



जन्म तारीख-24 सितंबर 1950



चुनाव के समय उम्र-72 साल 11 महीने



राज्यवर्धन सिंह-नरसिंहगढ़



जन्म तारीख-8 अक्टूबर 1953



चुनाव के समय उम्र-69 साल 10 महीने



मालवा-निमाड़ से ये विधायक 70 बरस के



महेंद्र हार्डिया-इंदौर 5



जन्म तारीख-22 अगस्त 1953



चुनाव के समय उम्र-70 साल



पारस जैन-उज्जैन उत्तर



जन्म तारीख-20 जून 1950



चुनाव के समय उम्र-73 साल 2 महीने



देवीलाल धाकड़-गरोठ



जन्म तारीख-1 जनवरी 1953



चुनाव के समय उम्र-70 साल 8 महीने



ग्वालियर-चंबल के ये विधायक 70 बरस के



सीताराम-विजयपुर



जन्म तारीख-1950



चुनाव के समय उम्र-73 साल



सूबेदार सिंह राजौधा-जौरा



जन्म तारीख-21 अगस्त 1953



चुनाव के समय उम्र-70 साल



गोपीलाल जाटव-गुना



जन्म तारीख-15 अगस्त 1948



चुनाव के समय उम्र-74 साल 11 महीने



बुंदेलखंड के ये विधायक 70 बरस के



गोपाल भार्गव-रहली



जन्म तारीख-1 जुलाई 1952



चुनाव के समय उम्र-70 साल 11 महीने



उम्र पैमाना लेकिन परिवारवाद रहेगा हावी



70 साल को भले ही बीजेपी टिकट का मापदंड बना दे लेकिन लाख कहने के बाद भी परिवारवाद से किनारा करना मुमकिन नजर नहीं आता। जिन उम्रदराज नेताओं के टिकट कटेंगे उनके परिजन को टिकट मिल सकता है। गौरीशंकर बिसेन ने चुनाव लड़ने से साफ-साफ इनकार कर दिया है लेकिन उनकी बेटी मौसम उनकी जगह टिकट की दावेदार हैं। हालांकि बिसेन कहते हैं कि वे बेटी के लिए टिकट नहीं मांगेंगे।



इन नेताओं के परिजनों को भी मिल सकती है टिकट



रहली से गोपाल भार्गव चुनावी रेस से बाहर होंगे तो उनके पुत्र अभिषेक भार्गव उनकी सीट पर सबसे बड़े दावेदार हैं। गोपाल भार्गव कई बार अभिषेक की खुलेआम दावेदारी कर चुके हैं लेकिन अभी बीजेपी के एक घर से दो टिकट के फॉर्मूले के चलते अभिषेक को टिकट नहीं मिल पाई लेकिन अब गोपाल भार्गव खुद चुनाव से बाहर होकर अभिषेक के लिए टिकट का रास्ता साफ करेंगे।



कैलाश विजयवर्गीय ने भी यही रास्ता अपनाया है। वे खुद चुनावी राजनीति से दूर हुए तो उनके पुत्र आकाश विजयवर्गीय विधायक बन गए। अब कैलाश की राजनीति पर भी लोगों की नजर है कि वे प्रदेश की राजनीति करेंगे या फिर केंद्रीय राजनीति का हिस्सा रहेंगे। दूसरा सवाल ये भी है कि क्या कैलाश को चुनावी राजनीति का हिस्सा मिल पाएगा।



सीतासरन शर्मा भी 70 पार के दायरे में आ रहे हैं। पूर्व स्पीकर सीतासरन शर्मा के भार्ग गिरजाशंकर शर्मा को इस बार मौका मिल सकता है। गिरजाशंकर शर्मा पहले भी नर्मदापुरम से विधायक रह चुके हैं। इस सीट से दशकों से शर्मा परिवार से ही विधायक बनते आए हैं। कभी सीतासरन शर्मा तो कभी गिरिजाशंकर शर्मा को यहां से टिकट मिलती रही है।



सिंधिया बनेंगे टिकट कटने या बचने की वजह



ज्योतिरादित्य सिंधिया ऐसे नेता हैं जो किसी की टिकट कटने की वजह बन सकते हैं तो किसी की टिकट बचाने का कारण भी। तुलसीराम सिलावट की उम्र चुनाव के वक्त करीब 69 साल की हो रही है लेकिन उनकी टिकट कटेगी इसकी गुंजाइश नहीं है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है उनका सिंधिया के करीबी होना। दूसरा नाम यशोधरा राजे सिंधिया का है जो ज्योतिरादित्य की बुआ हैं। चुनाव के वक्त उनकी उम्र 69 साल 2 महीने हो रही है। यदि पार्टी ने परिवार से एक टिकट दिया तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना है और इसी मापदंड के आधार पर यशोधरा राजे का विधानसभा से टिकट काटा जा सकता है।


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