SRINAGAR. जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में करीब 19 घंटे तक चले एनकाउंटर के बाद सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। सेना के जवानों ने उस घर को रॉकेट लॉन्चर से उड़ा दिया, जिसमें आतंकी छिपे हुए थे। शुक्रवार (17 नवंबर) मारे गए पांचों आतंकी लश्कर ए तैयबा (एलईटी) से जुड़े द रेजिस्टेंस फोर्स (टीआरएफ) के बताए जा रहे हैं। सेना के ऑपरेशन का यह दूसरा दिन था। एडीजीपी कश्मीर ने बताया, घटनास्थल से आपत्तिजनक सामग्रियां बरामद की गई हैं और अब ऑपरेशन अंतिम चरण में है। पूरे इलाके को सेनिटाइज किया जा रहा है। सेना के ड्रोन में आतंकियों के शव नजर आ रहे हैं।
सर्च ऑपरेशन में जवानों पर आतंकियों पर फायरिंग
16 नवंबर की शाम कुलगाम के सामनू इलाके सुरक्षाबलों को आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों ने फायरिंग कर दी। इसके बाद एनकाउंटर शुरू हुआ। ऑपरेशन में सेना की 34वीं राष्ट्रीय राइफल्स, 9 पैरा (एलीट स्पेशल फोर्स यूनिट), CRPF और राज्य पुलिस शामिल थी। एनकाउंटर करीब 19 घंटे तक चला।
सुबह होते ही शुरू हो गई फायरिंग
कश्मीर जोन पुलिस के मुताबिक, एनकाउंटर गुरुवार शाम साढ़े 4 बजे से शुरू हुआ था। देर रात अंधेरे की वजह से इसे रोक दिया गया, लेकिन सुबह होते ही एक बार फिर फायरिंग शुरू हो गई। आज सुबह एनकाउंटर में 5 आतंकी मारे गए। पांचों आतंकी जिस घर में छिपे हुए थे, क्रॉस फायरिंग के दौरान उसमें आग लग गई। आतंकियों की बॉडी ड्रोन कैमरा के जरिए देखी गई है।
आर्टिकल 370 हटने के बाद से नाम बदलकर ऑपरेट कर रहा लश्कर-ए-तैयबा
लश्कर-ए-तैयबा अब कश्मीर घाटी में द रेजिस्टेंस फोर्स के नाम से ऑपरेट कर रहा है। सुरक्षाबलों के अधिकारी बताते हैं कि 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद से लश्कर ने सोची समझी रणनीति के तहत ऐसा किया है। दो वजहों से लश्कर-ए-तैयबा ने नाम बदला है।
सितंबर में शहीद हुए थे 3 अफसर, 2 जवान
जम्मू-कश्मीर में 13 सितंबर को आतंकियों के साथ दो मुठभेड़ों में 3 अफसर और दो जवान शहीद हो गए थे। शहीद अफसरों में सेना के एक कर्नल, एक मेजर और पुलिस के एक DSP शामिल थे। आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर उस वक्त गोली चला दी, जब वे सर्च ऑपरेशन चला रहे थे। एक जवान की मौत राजौरी में हुई। इस दौरान दो आतंकी भी मारे गए। यहां सर्चिंग के दौरान मंगलवार को सेना के डॉग की भी मौत हो गई। उसने अपने हैंडलर की जान बचाने के लिए खुद की जिंदगी दांव पर लगा दी।