जिन राज्यों में इस साल या अगले साल चुनाव, वहीं भड़की सांप्रदायिकता की आग, जानें

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Atul Tiwari
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जिन राज्यों में इस साल या अगले साल चुनाव, वहीं भड़की सांप्रदायिकता की आग, जानें

New Delhi/Bhopal. इस साल (2022) की शुरुआत हुई तो देश कोरोना की दूसरी लहर को हराकर और तीसरी लहर को बेदम कर यूपी समेत 5 राज्यों की चुनावी तैयारियां में व्यस्त था। चुनाव भी हुए, नतीजे आए और अलग-अलग राज्यों में सरकारें बन गईं। अब इसे इत्तेफाक कहा जाए कि आने वाले समय में जिन राज्यों में ऐसे चुनावी मुकाबले होने हैं, वहां हवा में सांप्रदायिकता का जहर घुलता दिख रहा है। छोटी-छोटी घटनाएं बड़े तनाव की वजह बन रही हैं। जरा-जरा की बात पर भीड़ सड़कों पर उतर आती है। मीडिया और सोशल मीडिया में ऐसी घटनाओं का ही शोर है और हर रोज किसी नए इलाके से इस तरह की खबरें सामने आ रही हैं, फिर वो मध्य प्रदेश हो, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र हो या दिल्ली। यहां या तो विधानसभा चुनाव होने हैं या निगम चुनावों की जोर आजमाइश में पार्टियां लगी हुई हैं.



मध्य प्रदेश में अचानक सांप्रदायिक हिंसा बढ़ी



मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ में पिछले करीब एक साल से सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं। एमपी के मालवा क्षेत्र के तीन जिले उज्जैन, इंदौर और मंदसौर में पिछले डेढ़-दो साल में सांप्रदायिक हिंसा की छोटी बड़ी 12 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं।  



10 मई को खरगोन में रामनवमीं के मौके पर निकले जुलूस में डीजे बजाए जाने को लेकर हुए विवाद के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई। मामला इतना बढ़ा कि प्रदेश सरकार के आदेश पर आरोपियों के घर बुलडोजर से ढहा दिए गए। एमपी में हाल ही में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं। इंदौर में ही मुस्लिम बहुल बॉम्बे बाजार में मुस्लिम लिबास में दो लड़कियां एक आदमी के साथ थीं। पहचान पत्र देखने पर पता चला कि तीनों हिंदू हैं, जिसके बाद हंगामा हुआ तनाव की स्थिति बनी। अगस्त में यहां एक हिंदू लड़ने ने एक मुस्लिम लड़की के साथ भागकर शादी करने बाद वीडियो शेयर किया, तो बवाल मच गया।



अगस्त 2021 में ही हरदोई के एक मुस्लिम युवक को सिर्फ इसलिए पीट दिया गया, क्योंकि वो हिंदू बस्ती में चूड़ी बेच रहा था। 25 दिसंबर 2020 को उज्जैन के बेगम बाग इलाके में बीजेपी युवा मोर्चा की रैली पर कथित तौर पर पत्थर फेंकने के चलते हिंसा भड़की। 29 दिसंबर 2020 को इंदौर के चांदनखेड़ी और मंदसौर के डोराना गांव में वीएचपी नेताओं के द्वारा निकाली गई रैली के बाद हिंसा भड़की। ये रैली अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए दान हेतु जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी।



खरगोन में हुई हिंसा पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि देश के अलग-अलग राज्यों में रामनवमीं के त्योहार पर भड़के सांप्रदायिक दंगे पूरी तरह प्रायोजित थे और इनके पीछे एक पैटर्न (तय स्वरूप) काम कर रहा है। धार्मिक उन्माद को सत्तारूढ़ बीजेपी का सबसे बड़ा हथियार बताते हुए सिंह ने यह दावा भी किया कि कुछ मुस्लिम संगठन बीजेपी के साथ मिलकर सियासी खेल खेलते हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा के लिए धार्मिक उन्माद सबसे बड़ा हथियार है जिसका हिंदुओं और मुसलमानों को बांटने के लिए राजनीतिक दुरुपयोग किया जाता है।



एमपी में 2023 में विधानसभा चुनाव 



मध्य प्रदेश में 2023 के आखिर में विधानसभा चुनाव होने है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 15 साल तक सत्ता रहने के बावजूद सरकार गंवा दी। कमलनाथ के अगुवाई में कांग्रेस जीतकर सरकार बनाने में सफल रही थी, लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के बगावत के चलते बीजेपी सरकार गिराने में कामयाब रही। सिंधिया से साथ बगावत करने वाले कांग्रेस के विधायकों में ज्यादातर मालवा-निमाड़ से आने वाले विधायक ही थे। यहां हुए उपचुनाव में कांग्रेसी के बागी बीजेपी के टिकट पर दोबारा विधायक बने, जिसमें से कईयों को शिवराज सरकार ने सरकार में मंत्री पद से भी नवाजा। 



एमपी में अगले साल होने वाले चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर से कमलनाथ के अगुवाई में मैदान में उतरने की तैयारी में है तो शिवराज सरकार के तेवर इस बार बदले हुए हैं और यूपी की योगी सरकार के पैटर्न पर चल रही है।



राजस्थान में कई जगह तनाव



राजस्थान में पिछले एक महीने में ही 5 जिलों में सांप्रदायिक तनाव की ऐसी घटनाएं देखी गईं जो राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनीं। 2 अप्रैल को करौली में हिंदू नववर्ष के मौके पर बाइक रैली पर कथित पथराव के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़की, जमकर आगजनी और पथराव के बाद इलाके में कर्फ्यू लगा रहा। इसके बाद 18 अप्रैल को अलवर जिले में बुलडोजर से मंदिर तोड़ने की घटना हुई और 22 अप्रैल को उसका वीडियो सामने आया तो बवाल खड़ा हो गया। 2 मई को जोधपुर में ईद और परशुराम जयंती के मौके पर बवाल हुआ तो 10 मई को भीलवाड़ा में 20 साल के युवक की हत्या के बाद से सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनी हुई है। 11 मई को हनुमानगढ़ में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के स्थानीय नेता पर हमला हुआ, जिसके बाद वहां भी माहौल गर्माया।



राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राजस्थान का सियासी मिजाज ऐसा रहा है कि यहां हर 5 साल बाद सरकार बदलती है। यही वजह है कि बीजेपी कमर कसे हुए है। बीजेपी गहलोत के राज में हिंदुओं पर अत्याचार के आरोप लगा रही है। पार्टी के तमाम बड़े नेता इन घटनाओं को लेकर सड़क से सोशल मीडिया तक कांग्रेस पर हमलावर हैं। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन घटनाओं को बीजेपी के सियासी प्रयोग कहकर विपक्ष को ही कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।



महाराष्ट्र में अजान और हनुमान चालीसा



मुंबई में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने लाउडस्पीकर के बहाने अजान और हनुमान चालीसा बजाने का जो विवाद छेड़ा, उससे सियासत गर्माई। राज ठाकरे खुलकर हिंदुत्व कार्ड खेल रहे हैं, जिसमें बीजेपी उनके साथ पूरी तरह खड़ी नजर आ रही है। वहीं, निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने मातोश्री (सीएम उद्धव ठाकरे के आवास) के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने के पाठ करने का ऐलान किया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। ऐसे में सियासी तनाव बना हुआ है। कुछ महीने में मुंबई महानगर पालिका और ठाणे की कॉरपोरेशन के चुनाव होने हैं। मुंबई महानगर पालिका पर फिलहाल शिवसेना काबिज है। राज ठाकरे अब बीजेपी के साथ मिलकर महानगरपालिका की सत्ता कब्जाने की फिराक में हैं। 



गुजरात में मामूली घटना हिंसा में तब्दील



गुजरात की बात करें तो वहां 2022 के आखिर में ही विधानसभा चुनाव होने हैं। क्या आप सोच सकते हैं कि एक मामूली सड़क दुर्घटना भी सांप्रदायिक दंगे का रूप ले सकती है। गुजरात के वडोदरा शहर में 18 अप्रैल को सांप्रदायिक तनाव इतना फैल गया कि दोनों समुदायों के लोगों ने एक-दूसरे पर जमकर पथराव किए और एक धार्मिक स्थल, वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया। इस हिंसा में 8-10 लोग घायल हुए हैं। गुजरात में बीजेपी पिछले 27 सालों से सत्ता में है और छठी बार सरकार में वापसी की कवायद में जुटी है। ऐसे में गुजरात में अचानक सांप्रदायिक हिंसा ने दो समुदायों के बीच तनाव बना दिया है। 



दिल्ली में सांप्रदायिक तनाव बना हुआ है



दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती पर निकले जुलूस पर पथराव से सांप्रदायिक तनाव बन गया और दो समुदाय आमने-सामने आ गए। जहांगीरपुरी इलाके में माहौल बिगाड़ने के लिए दोनों समुदाय के लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। बीजेपी ने नवरात्रि के दौरान मांस की दुकाने बंद कराने का अभियान चलाया। दक्षिण दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के मेयर ने नवरात्रि के समय मीट शॉप बंद रखने को कहा है। दक्षिण दिल्ली नगर निगम के मेयर मुकेश सूर्यन ने कमिश्नर ज्ञानेश भारती को एक पत्र लिखकर कहा कि नवरात्रि के समय मीट की दुकानें खोलने की जरूरत नहीं है। 11 अप्रैल तक मीट शॉप को बंद रखने की अपील की थी। 



जहांगीरपुरी से शाहीन बाग तक



दिल्ली में भी नगर निगम के चुनाव जल्द होने हैं, जहां पर 15 साल से बीजेपी काबिज है। दिल्ली में जहांगीरपुरी इलाके से शुरू हुई बुलडोजर की कार्यवाई शाहीन बाग तक पहुंच गई। शाहीन बाग मुस्लिम बहुल इलाका है। दिल्ली के मुस्लिम इलाकों में अतिक्रमण हटाने को लेकर तनाव बना हुआ है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने एमसीडी को चिट्ठी लिखकर मुस्लिम बहुल इलाके शहीन बाग, ओखला समेत तमाम जगह से अतिक्रमण हटाने की अपील की थी, जिस पर काफी तनाव बना हुआ है। दिल्ली के मुगलों के नाम पर जो बस्तियां हैं, बीजेपी उनका नाम बदलने की मुहिम चला रही है। इससे दिल्ली में तनाव बना हुआ है। 



कर्नाटक में हिजाब विवाद



कर्नाटक में अगले साल मई में विधानसभा चुनाव हैं। यहां बीजेपी सत्ता में है। राज्य में उसका मुकाबला कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर से है। पिछले कुछ दिनों से राज्य में ध्रुवीकरण की सियासत जोर पकड़ रही है। मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने का विरोध करने के बहाने सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत हुई। फिर हलाल, अजान और मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार तक बात पहुंच गई। यही नहीं, हुबली में एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद हिंसा भड़क गई। उपद्रवियों ने पुलिस की गाड़ियों, एक अस्पताल और एक धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाया। इसमें कुछ पुलिस अधिकारी भी जख्मी हो गए थे। हुबली शहर में धारा-144 लगानी पड़ी और करीब 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया और कुछ FIR दर्ज की गईं।



हिमाचल में खालिस्तानी समर्थक सक्रिय



हिमाचल प्रदेश में 2022 के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। अब अचानक खालिस्तान का मुद्दा गर्मा गया। हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस साल मार्च में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मारे गए आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले के झंडे वाले वाहनों के राज्य में प्रवेश पर बैन लगा दिया था। ऐसे में आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस बौखलाया हुआ है। चुनावी सरगर्मियों के बीच विधानसभा के बाहर खालिस्तान के समर्थन में झंडे लगाए गए तो गुरपतवंत सिंह पन्नू ने हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर को धमकी दे डाली। हालांकि, इससे पहले जून 2021 में भी प्रसिद्ध नैना देवी मंदिर के पास एक सड़क के किनारे लगे मील पत्थर पर लिखा गया- 'खालिस्तान की सीमा यहां से शुरू होती है।'  


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