New Delhi. विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने 27 जून को दिल्ली में संसद में नॉमिनेशन दाखिल किया। इस दौरान उनके साथ राहुल गांधी, अशोक गहलोत, टीएमसी के अभिषेक बनर्जी, अखिलेश यादव समेत विपक्ष के तमाम बड़े नेता भी मौजूद रहे। यशवंत सिन्हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की खुलकर आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने 2018 में ही बीजेपी छोड़ दी थी, मार्च 2021 में तृणमूल कांग्रेस जॉइन कर ली।
यशवंत का हमेशा से बगावती अंदाज रहा है। बात उस समय की है, जब वे युवा आईएएस अफसर थे और बिहार में ही पोस्टेड थे। 1964 में बिहार के मुख्यमंत्री रहे महामाया प्रसाद सिन्हा संथाल परगना के दौरे पर थे। तब संथाल परगना के कलेक्टर युवा यशवंत ही थे। CM के सामने किसी मंत्री ने यशवंत के साथ अभद्रता की। उन्होंने CM से कहा कि मैं इस तरह के बर्ताव का आदी नहीं हूं। CM ने कहा- कोई दूसरी नौकरी खोज लो। इतना सुनते ही यशवंत बोले- 'सर, आप IAS नहीं बन सकते, लेकिन मैं एक दिन मुख्यमंत्री बन सकता हूं।
यशवंत सिन्हा के बेबाक बोल
‘अगर मैं 10वीं पसंद तो भी दिक्कत नहीं’
नामांकन के बाद दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में मीडिया से बात करते हुए यशवंत ने कहा कि ऐसा कहा जा रहा है कि मैं विपक्ष की चौथी पसंद हूं। इससे मुझे कोई दिक्कत नहीं है। अगर मैं 10वां भी होता तो भी स्वीकार करता। यह एक बहुत बड़ी लड़ाई है, जिसमें मेरा छोटा सा भी योगदान जरूरी हो तो मैं तैयार रहूंगा। दो व्यक्तियों की लड़ाई नहीं है। राष्ट्रपति भवन में वही व्यक्ति जाए जो इस पद की जिम्मेदारी निभा सके। अगर कोई ऐसा व्यक्ति राष्ट्रपति पद पर बैठा जो सरकार के कब्जे में हो तो इस पद का कोई फायदा नहीं बचेगा। राष्ट्रपति केवल रबर स्टाम्प बनकर रह गए हैं।
‘नई बिल्डिंग बनाने से नहीं आएगी नई जान’
उन्होंने कहा कि जब मैं संसद में था, विपक्ष में होते हुए भी वित्त मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी में था. प्रणब दा, चिदंबरम जी और गुजरात के डेलिगेशन ने GST का विरोध किया गया था. इस दौरान पीएम मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री थे. आज पार्लियामेंट को पंगु कर दिया गया है. वहीं सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर उन्होंने कहा कि नई बिल्डिंग बनाने से पार्लियामेंट में नई जान नहीं आएगी, उसकी गरिमा नहीं बढ़ेगी.
‘नोटबंदी सबसे बड़ा स्कैम’
उन्होंने कहा कि मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि हम ही जीतेंगे, क्यों हम सच के साथ हैं। हम किसी ग़लत कदम का सहारा नहीं ले रहे हैं. इसके अलावा नोटबंदी पर बात करते हुए सिन्हा ने कहा कि 2016 में नोटबंदी हुई, आज कहीं चर्चा होती है? आज तो आरबीआई ने डाटा देना ही बंद कर दिया है. मुझे जानकारी नहीं है कितना कला धन वापस आ गया है. उन्होंने नोटबंदी को इतिहास का सबसे बड़ा स्कैम भी बताया.
‘बेटा राजधर्म का पालन करेगा’
यशवंत सिन्हा ने बेटे जयंत सिन्हा के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा का समर्थन नहीं मिलने को लेकर किसी धर्म संकट में नहीं हैं. वह राज धर्म का पालन करता है... मैं राष्ट्र धर्म का पालन करूंगा.
28 जून से अभियान की शुरुआत
यशवंत ने बताया कि वो 28 जून से अपने अभियान की शुरुआत करेंगे। उनका अभियान तमिलनाडु के चेन्नई से शुरू होने की संभावना है। वो पहले दक्षिण के राज्यों में समर्थन मांगेंगे, उसके बाद ही उत्तर के राज्यों में आएंगे। एनडीए के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने 24 जून को चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होना है।
कैबिनेट की जगह राज्यमंत्री बनाया तो छोड़ा पद
जेपी यानी जयप्रकाश नारायण से बेहद प्रभावित होकर यशवंत सिन्हा ने रिटायरमेंट से 12 साल पहले ही IAS की नौकरी छोड़ दी। कुछ महीनों बाद ही वो जनता दल में शामिल हो गए और चंद्रशेखर के करीबी हो गए। बोफोर्स घोटाले पर घमासान के बीच 1989 में वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने यशवंत को राज्यमंत्री बनाने का ऑफर दिया।
तब के कैबिनेट सचिव टीएन सेशन ने यशवंत को मंत्री बनाए जाने की चिट्ठी भी सौंप दी, लेकिन 10 सेकेंड के अंदर उन्होंने इस पद को ठुकरा दिया था। दरअसल, सिन्हा कैबिनेट मंत्री बनना चाहते थे। सिन्हा का तब कहना था कि उनकी सीनियरिटी और चुनाव प्रचार में काम को देखते हुए वीपी सिंह ने राज्यमंत्री का पद देकर उनके साथ अन्याय किया है।
वीपी सिंह की सरकार 343 दिन चली। इसके बाद नवंबर 1990 में जब चंद्रशेखर PM बने तो उन्होंने सिन्हा को वित्त मंत्री बना दिया। यह सरकार भी महज 223 दिन चली थी। सरकार गिरने के कुछ दिनों बाद यशवंत सिन्हा BJP में शामिल हो गए। अटल सरकार में वे वित्त मंत्री और विदेश मंत्री भी बने।
IAS अफसर से दिग्गज राजनेता तक का सफर
- सिन्हा 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े। 24 साल तक कई अहम पदों और विभागों में सेवाएं दीं।