नई दिल्ली. आज यानी 29 जनवरी 1780 से भारत के पहले अखबार (Indian News Paper) बंगाल गजट (Bengal Gazette) की शुरुआत हुई थी। यह इंग्लिश अखबार था। इसे जेम्स ऑगस्टस हिक्की (James Augustus Hicky) ने शुरू किया था। हिक्की आयरिश थे। उस वक्त अखबार ने अपनी खबरों से अंग्रेजी हुकूमत के शीर्ष पर मौजूद कई ताकतवर लोगों को हिलाकर रख दिया था। अखबार ने इतना तहलका मचाया कि इसे बंद करने के आदेश हो गए।
गजब इंवेस्टीगेशन जर्नलिज्म किया था: बंगाल गजट ने उस वक्त भारत के गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings 1774-85) पर आरोप लगाया था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को घूस दी। बंगाल गजट अपनी प्रभावी पत्रकारिता के जरिए अंग्रेज सरकार की आंखों में चुभने लगा था। खासतौर पर वॉरेन हेस्टिंग्स पर ज्यादा असर पड़ रहा था। एक बार अखबार में एक अज्ञात राइटर ने यह लिख दिया कि सरकार हमारे भले के बारे में नहीं सोच सकती तो हम भी सरकार के लिए काम करने के लिए बाध्य नहीं हैं। तब ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Compony) ने दो साल बाद इस अखबार को बंद करने का फैसला सुना दिया।
हिक्की जेल से अखबार निकालते रहे: हेस्टिंग्स ने हिक्की पर केस दायर कर दिया। हिक्की को दोषी पाया गया और उन्हें जेल जाना पड़ा। जेल जाने के बाद भी हिक्की के हौसले पस्त नहीं हुए। वे 9 महीने तक जेल से ही अखबार निकालते रहे।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को एक विशेष आदेश के जरिए उनकी प्रिंटिंग प्रेस को ही सील करवाना पड़ा। 30 मार्च 1782 को बंगाल गजट पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया। कुछ हफ्ते बाद प्रिंटिंग प्रेस और पूरे पब्लिकेशन की सरकार ने नीलामी कर दी और इसे इंडियन गजट ने खरीद लिया।
हेस्टिंग्स पर महाभियोग चला: बंगाल गजट ने बंद होने से पहले हेस्टिंग्स और सुप्रीम कोर्ट के बीच मिलीभगत के इतने सबूत जारी कर दिए थे कि इंग्लैंड सरकार को इस मामले में दखल देना पड़ा। साथ ही संसद सदस्यों ने इस मामले में जांच बैठा दी। जांच पूरी होने के बाद हेस्टिंग्स और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, दोनों को ही महाभियोग (Impeachment) का सामना करना पड़ा।