DELHI: वाइसरॉय के लिए बनी थी शाही बग्घी, एक टॉस हुआ और भारत को राष्ट्रपति को मिल गई शाही सवारी

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Atul Tiwari
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DELHI: वाइसरॉय के लिए बनी थी शाही बग्घी, एक टॉस हुआ और भारत को राष्ट्रपति को मिल गई शाही सवारी

NEW DELHI. देश में राष्ट्रपति चुनाव की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। इसके लिए संसद और प्रदेशों की विधानसभाओं में 18 जुलाई को वोट डाले जाएंगे। एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है। हम आपको भारत के पूर्व राष्ट्रपतियों और उनसे जुड़े किस्से बता रहे हैं...





टॉस हुआ और मिल गई बग्घी





वाकया 1947 का है। देश विभाजन की प्रक्रिया के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच हर चीज का बंटवारा हो चुका था, लेकिन बात एक बग्घी पर आकर अटक गई। भारत का कहना था कि ये बग्घी उसके हिस्से में आनी चाहिए और पाकिस्तान इस पर अपना हक जता रहा था। आखिरकार इसका फैसला सिक्का उछालकर हुआ। जीत भारत की हुई और सोने की परत चढ़ी शानदार बग्घी आज भी हमारे राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ा रही है।





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ब्रिटिश राज में वाइसरॉय के लिए बनवाई गई थी शाही बग्घी



 



अंग्रेजों के राज में सोने की परत चढ़ी, घोड़ों से खींची जाने वाली ये शाही बग्घी भारत में ब्रिटिश वायसरॉय के लिए बनवाई थी। लेकिन 1984 के बाद राष्ट्रपति के लिए इस शाही बग्घी का इस्तेमाल लगभग खत्म हो गया था इसकी जगह राष्ट्रपति के लिए विशेष सिक्योरिटी कवर वाली कार ने ले ली। करीब दो दशक बाद 2014 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बग्घी के इस्तेमाल की परंपरा फिर से शुरू की। वे गणतंत्र दिवस के मौके पर नई दिल्ली में होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह में शामिल होने के लिए बग्घी में सवार होकर पहुंचे कार्यक्रम स्थल पहुंचे।





कार नहीं बग्घी में सवार होकर शपथ लेने पहुंचे थे कोविंद



 



उनके बाद 25 जुलाई 2017 के दिन राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के लिए रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन से संसद तक का सफर कार के बजाय ऐतिहासिक बग्घी में सवार होकर ही तय किया था। उस समय निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बग्घी में बाईं ओर बैठे थे, जबकि नए राष्ट्रपति कोविंद दाईं ओर बैठे थे। कोविंद के शपथ लेने के बाद बग्घी में दोनों की जगह बदल गई और लौटते समय प्रणब दाईं और कोविंद बाईं ओर बैठे थे।



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