भारत ने 4 दुर्लभ बीमारियों की दवाई बनाई, करोड़ों की जगह अब चंद लाख में मिलेगी, जानें कौन सी है दवाई

author-image
Chandresh Sharma
एडिट
New Update
भारत ने 4 दुर्लभ बीमारियों की दवाई बनाई, करोड़ों की जगह अब चंद लाख में मिलेगी, जानें कौन सी है दवाई

NEW DELHI. भारत ने चार दुर्लभ बीमारियों की दवा बनाकर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पहले इसकी कीमत करोड़ों में थी, लेकिन अब ये दवाई महज चंद लाख में उपलब्ध होगी। टाइरोसिनेमिया टाइप-ए। लीवर की एक दुर्लभ बीमारी। एक लाख की जनसंख्या में सिर्फ एक व्यक्ति को होने की आशंका, लेकिन यदि किसी को हो जाए तो इलाज उससे भी दुर्लभ। इसकी दवा कनाडा से मंगानी पड़ती है और जिसे लेने का सालाना खर्च 2.2 करोड़ रुपये आता है, लेकिन अब इसका इलाज भारत में ही बनी दवा से हो सकेगा, जिसपर सिर्फ 2.5 लाख रुपये का सालाना खर्च आएगा। इससे हर वर्ग के लोगों को राहत मिलेगी। इसके अलावा सिकल-सेल बीमारी का सिरप भी बनाया जा रहा है। सालभर पहले भारत ने 13 तरह की दुर्लभ बीमारी की दवाई बनाने पर काम शुरू किया था, जिसमें से चार बीमारी की दवाई बनाने में कामयाबी मिली है।

13 दुर्लभ बीमारियों की हुई पहचान

भारत में बनी यह दवा बाजार में आ चुकी है। इस तरह की कुल सात दुर्लभ बीमारियों के लिए चार दवाई भारत में बननी शुरू हो चुकी है और चार अन्य दवाएं अगले पांच-छह महीने में आ जाएगी। केंद्र सरकार ने 13 दुर्लभ बीमारियों की पहचान की है और उनका सस्ता इलाज सुलभ कराने का बीड़ा उठाया है। भारत में करीब 8.4 करोड़ से 10 करोड़ दुर्लभ बीमारी के मरीज हैं। रेयर डिजीज की 80% बीमारी जेनेटिक हैं, जो बचपन से बच्चों को जकड़ती हैं। भारत को साल भर में ही चार रेयर डिजीज की दवाइयों को बनाने में सफलता मिली है। इन दवाइयों को जन औषधि केंद्र में भी पहुंचाने की योजना है।

मोदी के निर्देश पर पिछले साल शुरू हुआ था काम

नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर पिछले साल जुलाई में दुर्लभ बीमारियों का सस्ता इलाज निकालने पर काम शुरू किया गया। विशेषज्ञों और डाक्टरों से गहन विचार-विमर्श के बाद 13 ऐसी दुर्लभ बीमारियों की पहचान की गई, जिनके मरीजों की संख्या अन्य दुर्लभ बीमारी वाले मरीजों से अधिक पाई जाती है।

इन चार दुर्लभ बीमारी की दवाई भारत ने बनाई

टायरोसेनिमिया टाइप 1 : सालाना खर्च पहले करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये, अब करीब ढाई लाख रुपये

Gaucher : ढाई करोड़ से साढ़े 6 करोड़ पहले खर्च, अब कीमत ढाई लाख रुपये

Wilson : 1.8 से 3.6 करोड़ सालाना खर्च आता था, अब कीमत साढ़े 3 लाख रुपये

Dravet : करीब 6 से 20 लाख की कीमत सालाना, अब 1 से 5 लाख रुपये

इन चार बीमारियों को लेकर जो दवाई बनाई गई है वो हैं

Nitisinone, Eliglusat (3 करोड़ से 2.5 लाख)

Trientine (2.2 करोड़ से अब 2.2 लाख)

Cannabidiol (7 से 34 लाख अब 1 से 5 लाख)

इन बीमारियों पर दवाई बनाने का काम जारी

Phenylketonutoria

Hyperammonemia

Cytic Fibrosis

Sickle Cell

कुछ महीनो में चार और दवाई आएगी

Sickle Cell Anemia: ये अनुवांशिक बीमारी है, बचपन में बच्चों को टैबलेट खाने में 5 साल तक दिक्कत होती है, इसलिए सिरप पर काम किया जा रहा है। इसका टैबलेट मौजूद है और अब कंपनी ने सिरप भी बना लिया है और अप्रूवल के लिए सबमिट किया है। 70 हजार की जगह 400 रुपये में सिरप अब 'मेड इन इंडिया' की वजह से मुमकिन होगा।

भारत की बड़ी सफलता 13 ऐसी दुर्लभ बीमारियां सस्ती मिलेंगी दवाइयां 4 दुर्लभ बीमारियों की दवाई India's big success 13 such rare diseases medicines will be available at affordable prices Medicines for 4 rare diseases