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Bengaluru. भारत ने अपने सूर्य मिशन की ओर एक और सफलता का कदम बढ़ा दिया है। इसरो ने ‘आदित्य L1’ स्पेसक्राफ्ट को सोमवार-मंगलवार (18-19 सितंबर) की रात करीब दो बजे ट्रांस-लैग्रेंजियन पॉइंट 1 में प्रवेश किया। इसके लिए यान के थ्रस्टर कुछ देर के लिए फायर किए गए। इससे इसकी गति बढ़ गई। एल-1 पॉइंट इंसर्टेशन यानी यान को पृथ्वी की कक्षा से लैग्रेंजियन पॉइंट 1 की तरफ भेजना। यहां से ‘आदित्य’ अपना 15 लाख किलोमीटर का सफर शुरू करेगा। ये 110 दिन बाद जनवरी 2024 में एल-1 पॉइंट पर पहुंचेगा। इसके बाद कई अहम जानकारियों से पर्दा उठने लगेगा।
2 सितंबर को किया था लॉन्च
आदित्य L1 को 2 सितंबर की सुबह 11.50 बजे रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया था। लॉन्चिंग के 63 मिनट 19 सेकंड बाद स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया था। इसके बाद 4 बार स्पेसक्राप्ट के थ्रस्टर फायर कर उसकी ऑर्बिट बढ़ाई गई थी।
आदित्य L1 ने वैज्ञानिक आंकड़े एकत्र करना किए शुरू
इससे पहले सोमवार (18 सितंबर) को इसरो ने अपनी ‘एक्स’ (पहले टि्वटर) पोस्ट में जानकारी दी थी कि आदित्य L1 ने वैज्ञानिक आंकड़े एकत्रित करना शुरू कर दिए हैं। स्पेसक्राफ्ट पर लगे सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर यानी स्टेप्स इंस्ट्रूमेंट को 10 सिंतबर को पृथ्वी से 50,000 किलोमीटर दूर सक्रिय किया था। आदित्य के डेटा की मदद से सूर्य पर उठने वाले तूफान और अंतरिक्ष के मौसम के बारे में अहम जानकारियां मिलेंगी।
3, 5, 10 और 15 सितंबर को बढ़ाई गई थी ऑर्बिट
- 3 सितंबर : पहली बार इसरो के वैज्ञानिकों ने आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई थी।
- उसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 245 किमी, जबकि सबसे ज्यादा दूरी 22459 किमी हो गई थी।
- 5 सितंबर : रात 2.45 बजे आदित्य L1 स्पेसक्रॉफ्ट की ऑर्बिट दूसरी बार बढ़ाई गई थी। उसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 282 किमी, जबकि सबसे ज्यादा दूरी 40,225 किमी हो गई।
- 10 सितंबर : इसरो ने रात करीब 2.30 बजे तीसरी बार आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई थी। उसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 296 Km, जबकि सबसे ज्यादा दूरी 71,767 Km हो गई।
- 15 सितंबर : रात करीब 2:15 बजे इसरो ने चौथी बार आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई थी। उसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 256 किमी, जबकि सबसे ज्यादा दूरी 1,21,973 किमी हो गई।
क्या है लैगरेंज पॉइंट-1 (L1)
लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाती है। ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी पॉइंट के चारों ओर चक्कर लगाना शुरू कर देता है। पहला एल-1 धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता। यहीं पर आदित्य को स्थापित किया जाएगा।