UTTARKASHI. उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल से 41 मजदूरों को निकले दो दिन हो चुके हैं। अब सवाल इस पर उठाए जा रहे हैं कि आखिर ऐसा हादसा क्यों हुआ। हादसे के पीछे यह मुख्य वजह सामने आई है। पहला जियोलॉजिकल सर्वे की विश्वसनीयता और दूसरा डीपीआर के विपरीत कंपनी द्वारा कराया गया निर्माणकार्य। बता दें कि निर्माण से पहले कराए गए सर्वेक्षण में यहां हार्डरॉक होने का दावा किया गया था। लेकिन जब निर्माण शुरु हुआ तो यह पता चला कि अंदर तो मिट्टी का पहाड़ है, जहां बीच-बीच में तलछटी के लाइम स्टोन वाली चट्टानें हैं।
जियोलॉजिकल सर्वे में किया था यह दावा
बता दें कि इस सुरंग का निर्माण साल 2018 में शुरु किया गया था। निर्माण से पहले ही सुरंग का जियोलॉजिकल सर्वे कराया गया था। जिसमें यह स्पष्ट बताया गया था कि जहां सुरंग बनाई जानी है, वहां कठोर चट्टानें हैं। जिनके बीच से सुरंग का निर्माण सुरक्षित साबित होगा।
सर्वे का दावा साबित हुआ खोखला
इधर निर्माण से जुड़े इंजीनियर प्रदीप नेगी और सेफ्टी मैनेजर राहुल तिवारी का कहना है कि डीपीआर में शामिल जियो रिपोर्ट में जो दावे किए गए वे निर्माण के दौरान नजर नहीं आए। सुरंग निर्माण के रास्ते में चट्टानों के बजाए भुरभुरी मिट्टी आ रही है। जो सबसे बड़ी चुनाती भी है। बार-बार मलबा गिरने लगता है। इस बार जो हुआ उसके पीछे भी यही एक कारण हो सकता है। सुरंग निर्माण सुरक्षित ढंग से कराया जा रहा है फिर भी इतना मलबा आने की उम्मीद नहीं थी।
नहीं बनाए एग्जिट प्वाइंट
विभिन्न वेब मीडिया संस्थानों में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सुरंग के डीपीआर में 3-4 एग्जिट प्वाइंट भी बनवाए जाने थे लेकिन सुरंग निर्माण के दौरान कंपनी ने एक भी एग्जिट प्वाइंट नहीं बनवाए। हालांकि इस मामले में कोई भी अधिकारी खुलकर नहीं बोल रहा है कि आखिर कंपनी ने डीपीआर में इतना बदलाव कैसे कर लिया।
सेफ्टी ऑडिट के बाद शुरु होगा काम
सुरंग के ढहने के बाद इसका सेफ्टी ऑडिट कराया जाएगा। जिसकी एनओसी मिलने के बाद काम शुरु होगा। बताया जा रहा है कि सेफ्टी ऑडिट कराने में भी अभी काफी समय लगेगा। पहाड़ से की गई हॉरिजॉन्टल ड्रिल का मलबा और वर्टिकल ड्रिल का मलबा सुरंग में ही पड़ा है। जिसे हटाने के बाद सेफ्टी ऑडिट कराया जा सकेगा।