दिल्ली. दिल्ली (Delhi) के उपहार सिनेमा अग्निकांड (Uphar Cinema Fire Case) मामले में पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में कोर्ट ने दोषियों की सज़ा का ऐलान किया है। कोर्ट ने दोषी अंसल बंधुओं को सात साल की सजा (7 Year Imprisonment) सुनाई है। इसके साथ ही अंसल बंधुओं पर 2.25 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया है। सुनील अंसल और गोपाल अंसल (Sunil Ansal and Gopal Ansal) समेत अन्य दो दोषियों को पहले ही आईपीसी की धारा 409 (आपराधिक उल्लंघन), 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी ठहराया गया था। अब कोर्ट ने इस मामले में 2.25 करोड़ का जुर्माना लगाया है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने अंसल भाइयों समेत सभी आरोपियों को सात साल की सजा सुनाई है। इससे पहले कोर्ट ने सभी आरोपियों को सबूतों के साथ छेड़छाड़ (tampering with evidence) का दोषी पाया था।
क्या हुआ था उस दिन उपहार सिनेमा में
साल 1997 में 13 जून को राजधानी दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमाघर में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस भीषण अग्निकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। उपहार सिनेमा में 'बॉर्डर' फिल्म लगी थी। लोग फिल्म देख रहे थे उसी दौरान सिनेमाघर के ट्रांसफार्मर कक्ष में आग लग गई, जो तेजी से अन्य हिस्सों में फैली। घटना की जांच के दौरान पता चला था कि सिनेमाघर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे।
उपहार सिनेमाकांड की प्रमुख तारीके
13 जून 1997- उपहार सिनेमा में बार्डर फिल्म के प्रसारण के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई।
22 जुलाई 1997- पुलिस ने उपहार सिनेमा मालिक सुशील अंसल व उसके बेटे प्रणव अंसल को मुंबई से गिरफ्तार किया।
24 जुलाई 1997- मामले की जांच दिल्ली पुलिस से सीबीआइ को सौंपी गई।
15 नवंबर 1997- सीबीआइ ने सुशील अंसल, गोपाल अंसल सहित 16 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की।
10 मार्च 1999- सेशन कोर्ट में केस का ट्रायल शुरू हुआ।
27 फरवरी 2001- अदालत ने सभी आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या, लापरवाही व अन्य मामलों के तहत आरोप तय किए।
23 मई 2001- गवाहों की गवाही का दौर शुरू हुआ।
4 अप्रैल 2002- दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत को मामले का जल्द निपटारा करने का आदेश दिया।
27 जनवरी 2003- अदालत ने अंसल बंधुओं की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने उपहार सिनेमा को वापस उसे सौंपे जाने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि यह केस का अहम सबूत है और मामले के निपटारे तक सौंपा नहीं जाएगा।
24 अप्रैल 2003- हाईकोर्ट ने 18 करोड़ रुपये का मुआवजा पीड़ितों के परिवार वालों को दिए जाने का आदेश जारी किया।
4 सितंबर 2004- अदालत ने आरोपियों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की।
5 नवंबर 2005- बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही शुरू हुई।
2 अगस्त 2006- बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही पूरी।
9 अगस्त 2006- सेशन कोर्ट जज ममता सहगल ने उपहार सिनेमा का निरीक्षण किया।
14 फरवरी 2007- केस में अंतिम जिरह शुरू हुई।
21 अगस्त 2007- उपहार कांड पीड़ितों के संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले का जल्द निपटारा किए जाने की मांग की।
21 अगस्त 2007- सेशन कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।
20 नवंबर 2007- अदालत ने सुशील व गोपाल अंसल सहित 12 आरोपियों को दोषी करार दिया। सभी को दो साल कैद की सजा सुनाई।
4 जनवरी 2008- हाईकोर्ट से अंसल बंधुओं व दो अन्य को जमानत मिली।
11 सितंबर 2008- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की जमानत रद की और उन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया।
17 नवंबर 2008- दिल्ली हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।
19 दिसंबर 2008- हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को दो साल से घटाकर एक साल कर दिया और छह अन्य आरोपियों की सजा को बरकरार रखा।
30 जनवरी 2009- उपहार कांड पीड़ितों के संगठन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट अंसल बंधुओं को नोटिस जारी किया।
31 जनवरी 2009- सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में भी अभियुक्तों की सजा को बढ़ाए जाने की मांग की।
17 अप्रैल 2013- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं, उपहार कांड पीड़ितों व सीबीआइ की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
5 मार्च 2014- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को बरकरार रखा।
19 अगस्त 2014- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं पर 30-30 लाख का जुर्माना लगाकर उन्हें रिहा कर दिया।
17 दिसंबर, 2018- दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे
8 अक्टूबर 2021- कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
8 नवंबर 2021- पटियाला हाउस कोर्ट ने अंसल बंधुओं को सजा सुनाई