बेंगलुरु. हिजाब विवाद पर 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब बैन के फैसले को चुनौती देने वालीं याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है।
कर्नाटक हाईकोर्ट में उडुपी की लड़कियों ने याचिका दायर कर स्कूलों में हिजाब पहनने की इजाजत मांगी थी। कोर्ट ने छात्राओं की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि छात्र स्कूल यूनीफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकते।
3 जजों की बेंच ने सुनाया फैसला: छात्राओं ने स्कूल कॉलेजों में हिजाब पहनने पर बैन लगाने के कर्नाटक सरकार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। इस पर 9 फरवरी को चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच का गठन किया गया था। छात्राओं ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें क्लास के अंदर भी हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि यह उनकी आस्था का हिस्सा है।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में 25 फरवरी को सुनवाई पूरी कर ली थी और अपना फैसला भी सुरक्षित रखा था। फैसले को देखते हुए ऐहतियातन दक्षिण कन्नड़ के कलेक्टर ने आज (15 मार्च) सभी स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी का आदेश दिया है। इसके साथ ही धारा 144 भी लागू की गई है।
ये है विवाद की वजह: कर्नाटक सरकार ने राज्य में कर्नाटक एजुकेशन एक्ट-1983 की धारा 133 लागू की थी। इसके तहत सभी स्कूल-कॉलेज में यूनीफॉर्म अनिवार्य कर दी गई। ऐसे में सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में तय यूनीफॉर्म ही पहननी होगी। वहीं, प्राइवेट स्कूल भी अपनी यूनीफॉर्म चुन सकते हैं।
कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद की शुरुआत जनवरी 2022 में हुई। तब उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज पहुंच गईं। बताया गया कि कुछ दिन पहले ही कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मना किया था। इसके बावजूद छात्राएं हिजाब पहनकर पहुंचीं। उन्हें रोका गया तो दूसरे कॉलेजों में भी विवाद होने लगा। कर्नाटक के हिजाब विवाद की आग तकरीबन पूरे देश में फैली और प्रदर्शन हुए थे।