2 कहानियां: कश्मीरी रावत के शुक्रगुजार क्यों; IAF के वरुण ने कहां खुद को एवरेज बताया

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2 कहानियां: कश्मीरी रावत के शुक्रगुजार क्यों; IAF के वरुण ने कहां खुद को एवरेज बताया

हेलिकॉप्टर क्रैश में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत समेत 13 अफसरों की मौत से देश स्तब्ध है। सेना प्रमुख (Army Chief) रहे जनरल रावत ने कई ऐसे कामों को अंजाम दिया, जिन्होंने सेना का ही चेहरा नहीं बदला, बल्कि लोगों को भी नया रास्ता दिखाया। ऐसा ही कुछ कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में हुआ। 2010 के दौरान हिंसा से हालात बिगड़े तो पत्थरबाजी की घटनाएं बढ़ीं। मुख्यधारा से कटकर युवा पत्थरबाज बनने लगे। कट्टरपंथ (fundamentalism) की इसी हवा के बीच जनरल रावत ने बारामूला में ‘जवान और अवाम, अमन है मुकाम’ का नारा देकर युवाओं के लिए खास पहल की। इसका जबर्दस्त असर हुआ। आज मुख्यधारा में लौटने वालों में शामिल आबिद सलाम बारामूला नगर परिषद के सबसे युवा पार्षद (Councillor) और उपाध्यक्ष हैं।

फौज को करीब से जानने का मौका मिला

आबिद कहते हैं कि मुझे ना सिर्फ खुद में सुधार करने, बल्कि फौज को करीब से जानने और समझने का भी मौका मिला। बारामूला का ओल्ड टाउन पत्थरबाजी (Stone Pelting) का गढ़ माना जाता था। मुझे जनरल रावत ने नई जिंदगी दी। मैं उन्हीं की बदौलत जनप्रतिनिधि हूं। 

आबिद बताते हैं कि जब जनरल रावत बारामूला में बतौर जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) थे, तब मैं दसवीं में पढ़ता था। उन्होंने ‘जवान और अवाम, अमन है मुकाम’ का नारा देकर 2010 में तेजी से बिगड़ रहे माहौल को ठीक कर दिखाया। युवाओं को सही राह पर लाने के लिए एक कोचिंग सेंटर स्थापित किया, जहां 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को उनके सर्दियों के होम वर्क के साथ अन्य कोर्स भी कराए जाते थे। एक वक्त था हम फौज से नफरत करते थे। जनरल रावत के प्रयासों से हम अच्छे से जान पाए कि आखिर फौज क्या है और कैसे काम करती है।

जब घाटी में 2008 में अमरनाथ जमीन विवाद और 2010 में कुछ ऐसे हालात बने कि अलगाववादियों (Sepratists) ने मुजफ्फराबाद चलो का नारा दिया। यूथ को प्रदर्शनों का हिस्सा बनाकर कट्टरपंथी विचारधारा से रूबरू कराया जाता था। हमें लगता था कि हम पाकिस्तान पहुंच जाएंगे। युवा होने के नाते हमारे दिल में मुजफ्फराबाद देखने की चाह थी। बाद में जब जनरल रावत से हमने यह बात कही तो उन्होंने कोचिंग सेंटर के बच्चों को कमान पोस्ट पर स्थित अमन सेतु का टूर कराया।  

कभी नहीं लगा कि फौजी से बात कर रहे हैं

बारामूला के ही उमर काकरू बताते हैं कि जनरल रावत का बारामूला के लोगों के साथ अच्छा रिश्ता रहा है, खासकर यहां के युवाओं के साथ। वे हमेशा से युवाओं से चर्चा करते रहते थे और उनके सपनों के बारे में जानने की कोशिश करते थे कि आखिर युवा क्या चाहता है और उसमें फौज कैसे अपना योगदान दे सकती है।

उमर ने बताया कि कभी ऐसा लगता नहीं था कि हम एक फौजी से बात कर रहे हैं। 2011 में KPL के नाम से एक क्रिकेट प्रतियोगिता होती थी। हमने उनसे कहा कि हम भी जाना चाहते हैं तो उन्होंने कहा, खेलना ही तो है, अपनी टीम भी भेजो।

जो भी करें, बेहतर तरीके से करें

हेलिकॉप्टर हादसे में बचे एकमात्र अफसर ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं। शौर्य चक्र मिलने के बाद वरुण सिंह ने 18 सितंबर 2021 को हरियाणा के चंडीमंदिर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल को एक लेटर लिखा था। इसमें में छात्रों के नाम संदेश में वरुण सिंह ने कहा था कि औसत दर्जे (Average Level) का होने में कोई भी बुराई नहीं है। सभी छात्र 90% मार्क्स नहीं ला सकते। हां, यह जरूर है कि जो ऐसा कर पाते हैं, उनकी तारीफ होनी चाहिए। 

अगर आप औसत दर्जे के हैं तो यह बिल्कुल भी मत समझिए कि आप इसी के लिए बने हैं। आप स्कूल में औसत हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आप जीवन भर औसत ही रहेंगे। आप अपने मन की सुनिए कि आप क्या करना चाहते हैं। यह कला, संगीत, साहित्य या ग्राफिक डिजाइन कुछ भी हो सकता है। आप जो भी करें, उसे बेहतर ढंग से करें और अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए। मैं भी खुद एक एवरेज स्टूडेंट ही था और बहुत मशक्कत से  12वीं में मुझे फर्स्ट क्लास मार्क्स मिले थे। मुझे एविएशन पसंद था। आज ऐसा समय आया, जब उन्हें राष्ट्रपति शौर्य चक्र से सम्मानित कर रहे हैं।

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