रांची. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को पांचवीं बार चारा घोटाले में दोषी करार दिया गया है। 15 फरवरी को रांची की सीबीआई (CBI) के स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया। चारा घोटाला 950 करोड़ रुपए का था। ये केस डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए के गबन से जुड़ा था। CBI की विशेष अदालत ने राजद (RJD) सुप्रीमो लालू यादव समेत 75 आरोपियों को दोषी करार दिया, 24 बरी हो गए। सजा का ऐलान 21 फरवरी को होगा। इससे पहले चारा घोटाले के 4 मामले (देवघर के एक, दुमका ट्रेजरी की दो अलग-अलग धारा और चाईबासा ट्रेजरी से संबंधित दो मामलों में) लालू दोषी करार दिए जा चुके हैं। अभी पहले के सभी मामलों में जमानत पर बाहर थे, लेकिन 15 फरवरी को आए कोर्ट के फैसले से उन्हें एक बार फिर जेल जाना होगा।
ये संभावनाएं: अगर लालू को 3 साल से ज्यादा की सजा होती है तो फिर जमानत नहीं मिल पाएगी। यदि 3 साल से कम सजा मिलती है तो जमानत की संभावना है। बचाव पक्ष के वकील संजीव कुमार ने बताया कि 36 दोषियों को (हरेक को) 3-3 साल की सजा हुई है।
36 people have been given a jail term of 3 years each by a CBI Special Court in Ranchi. Lalu Prasad Yadav has been convicted. The quantum of punishment to him is yet to be pronounced: Sanjay Kumar, defence lawyer in Doranda treasury case pic.twitter.com/mu6q22MZc4
— ANI (@ANI) February 15, 2022
डोरंडा ट्रेजरी घोटाला: यहां से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के मामले में पशुओं को फर्जी तरीके से स्कूटर पर ढोने की कहानी है। यह उस वक्त का देश का पहला मामला माना गया, जब बाइक और स्कूटर पर पशुओं को ढोया गया हो। मामला 1990-92 के बीच का है। CBI ने जांच में पाया कि अफसरों और नेताओं ने मिलकर फर्जीवाड़े का अनोखा फॉमूर्ला तैयार किया। 400 सांड़ों को हरियाणा और दिल्ली से कथित तौर पर स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया, ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसें पैदा की जा सकें। पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान 2,35, 250 रुपए में 50 सांड़, 14 लाख 04 हजार 825 रुपए में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदीं। इतना ही नहीं, विभाग ने इस दौरान क्रॉस ब्रीड बछिया और भैंस की खरीद पर 84 लाख 93 हजार 900 रुपए का भुगतान मुर्रा लाइव स्टॉक दिल्ली के दिवंगत प्रोपराइटर विजय मलिक को की थी। इसके अलावा भेड़ और बकरी की खरीद पर भी 27 लाख 48 हजार रुपए खर्च किए थे।
जिस गाड़ी नंबर को विभाग ने पशुओं को लाने के लिए रजिस्टर में दर्शाया था वह सभी स्कूटर और मोपेड के थे। CBI ने जांच में पाया है कि लाखों टन पशुचारा, भूसा, पुआल, पीली मकई, बादाम, खली, नमक आदि स्कूटर, मोटरसाइकिल और मोपेड पर ढोए गए। देश के सभी राज्यों के करीब 150 DTO और RTO से गाड़ी नंबर की जांच कराकर जांच टीम ने सबूत जुटाए।
बयान दर्ज कराने में लगे 15 साल: इस मामले में 575 गवाहों का बयान दर्ज कराने में CBI को 15 साल लग गए। 99 आरोपियों में 53 आरोपी आपूर्तिकर्ता हैं, जबकि 33 आरोपी पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी और कर्मचारी हैं। वहीं, 6 आरोपी तत्कालीन कोषागार पदाधिकारी हैं, जबकि मामले के 6 आरोपी ऐसे हैं, जिन्हें CBI आज तक नहीं खोज पाई।