विधानसभाओं का कार्यकाल घटाने के फॉर्मूले पर मंथन... 2024 नहीं 2029 तक हो सकते हैं एकसाथ चुनाव

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The Sootr
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विधानसभाओं का कार्यकाल घटाने के फॉर्मूले पर मंथन... 2024 नहीं 2029 तक हो सकते हैं एकसाथ चुनाव

NEW DELHI. विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव की आहट के साथ ही 22वें लॉ कमीशन में मंथन तेज हो गया है। हाल ही में हुई बैठक में वन नेशन-वन इलेक्शन पर चर्चा की गई। विधि आयोग का कहना है कि वह राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर या घटाकर सभी विधानसभा चुनावों एक साथ कराने के फॉर्मूले पर काम कर रहा है। अगर, सब ठीक रहा तो सभी राज्यों के चुनाव 2029 के लोकसभा चुनावों के साथ कराए जा सकते हैं। संभावना है कि लॉ कमीशन की रिपोर्ट कुछ ही समय में आ सकती है।

वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे बताए

आयोग ने 27 सितंबर को हुई बैठक में माना कि वन नेशन वन इलेक्शन के प्रभावी होने से बहुत सारा धन बचेगा। इसके लिए हमने चुनाव आयोग के साथ विस्तार से चर्चा की है, वहीं इलेक्शन कमीशन का मानना है कि यदि जरूरी समय दिया जाए, तो वह ऐसी चुनावी प्रक्रिया को लागू कर सकता है। जानकारी अनुसार, लॉ कमीशन अपनी सभी रिपोर्ट केंद्रीय कानून मंत्रालय को सौंपेगा। वहां से रिपोर्ट संबंधित मंत्रालयों को भेजी जाएगी, हालांकि वन नेशन-वन इलेक्शन पर कमीशन की रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए कोई समय सीमा नहीं दी गई है।

रिपोर्ट फाइनल होने से पहले कई बैठकें होंगी

22वें लॉ कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी का कहना है कि ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर अमल करने के लिए अभी और चर्चा जरूरी। इस मुद्दे पर काम अभी भी जारी है। रिपोर्ट फाइनल करने से पहले कुछ और बैठकें होंगी। आयोग का मानना है कि कुछ संवैधानिक संशोधन इस प्रोसेस को आसान और असरदार बना देंगे।

फायदा : अपने नेता को बुद्धिमानी से चुनेगी जनता

आयोग ने कहा कि कई तरह के शोध से पता चला है कि एक देश-एक चुनाव से यह फायदा होगा कि लोग अपने नेता को बुद्धिमानी से चुनेंगे क्योंकि दो चुनाव के बीच काफी समय मिलेगा। इसलिए लोग न केवल बड़ी संख्या में बाहर आएंगे, बल्कि बहुत समझदारी से मतदान करेंगे। फिलहाल आयोग का काम विधानसभा और लोकसभा चुनाव एकसाथ कराने के तरीके सुझाना है।

सरकार ने बनाई है 8 सदस्यों वाली कमेटी

केंद्र सरकार ने वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए 8 सदस्यीय कमेटी का कठन किया था। इसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं। दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में 23 सितंबर को हुई कमेटी की पहली बैठक में फैसला हुआ कि इस मुद्दे पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के विचार लिए जाएंगे। इस मुद्दे पर सुझाव देने के लिए लॉ कमीशन को भी बुलाया जाएगा।

अब तक कई सुझाव मिले

सरकार की तरफ से बनाई गई कई समितियों और कमीशन ने हंग पार्लियामेंट या हंग असेंबली की स्थिति से निपटने के लिए सुझाव दिए हैं। इन पैनलों ने प्रस्ताव दिया है कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की नियुक्ति या चयन उसी तरीके से किया जा सकता है जिस तरह से सदन के अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है। 21वें लॉ कमीशन ने भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने के लिए तीन विकल्प सुझाए थे, लेकिन कहा था कि कई बिंदुओं पर विचार किया जाना बाकी है। मौजूदा लॉ कमीशन ने इस विषय पर आगे काम करना शुरू कर दिया है।

क्या हैं इसके मायने?

भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन-वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे। इससे खर्च भी बचेगा, वहीं आयोग को फायदा भी होगा।


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