HYDARABAD. तेलंगाना में चुनाव परिणाम आने के बाद एक ही नाम सबकी जुबान पर है, वह है होने वाले सीएम रेवंत रेड्डी का नाम। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद कांग्रेस ने अनुमुला रेवंत रेड्डी पार्टी विधायक दल का नेता चुना था। आज हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम में रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वहीं भट्टी विक्रमार्क को डिप्टी सीएम बनाया गया है। तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, सांसद राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी भी शामिल हुए। चंद्रशेखर राव के 10 साल के कार्यकाल के दौरान रेड्डी ने काफी संघर्ष किया और आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं।
एबीवीपी से की थी शुरुआत
रेवंत रेड्डी महबूब नगर के रहने वाले हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए हैदराबाद में रेड्डी ने कॉलेज के दिनों में पेंटिंग बनाकर बेचने का काम किया था। किसे पता था कि कैनवास पर रंगों से आकृतियां उकेरने वाला यह युवा एक दिन राज्य की किस्मत की इबारत उकेरने में सक्षम बन जाएगा। कॉलेज के दिनों में ही रेवंत ने एबीवीपी ज्वाइन कर ली। बाद के दिनों में उन्होंने तेलगूदेशम पार्टी को अपना ठिकाना बना लिया।
निर्दलीय जीता था जिला परिषद का चुनाव
रेवंत रेड्डी तेलंगाना आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वालों में शामिल थे। 2006 में जिला परिषद के चुनाव में उन्हें उम्मीदवार बनाने का वादा टीडीपी की ओर से किया गया था। लेकिन जब उनका टिकट कट गया तो टीडीपी को छोड़कर उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीत लिया। हालांकि बाद में वे वापस टीडीपी में चले गए थे।
सदन के नेता भी बनाए गए
साल 2009 में रेवंत रेड्डी ने पहली मर्तबा विधानसभा चुनाव लड़ा। उस दौरान वे टीडीपी का जाना पहचाना चेहरा हो चुके थे। 2014 में उन्हें तेलंगाना विधानसभा में सदन का नेता नियुक्त किया गया। रेवंत रेड्डी अपनी वाकपटुता और भाषण देकर मंच लूट लेने के लिए जाने जाने लगे।
वोट के बदले घूस मामले में जाना पड़ा जेल
यह बात साल 2015 की थी जब विधान परिषद चुनाव में टीडीपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट करने के लिए मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंसन को 5 करोड़ की रिश्वत की पेशकश की गई। रेवंत रेड्डी घूस की पहली किश्त के बतौर 50 लाख रुपए लेकर स्टीफेंसन के घर गए हुए थे। तभी सीएम केसीआर के इशारे पर स्टीफेंसन ने इस घटना का वीडियो बना लिया था। इस वीडियो के सामने आते ही रेवंत रेड्डी को जेल जाना पड़ा।
केसीआर को हटाने की ठान ली थी
जेल से निकलने के बाद रेवंत रेड्डी ने ठान लिया था कि एक दिन वे केसीआर को सीएम की गद्दी से हटा देंगे। दरअसल जेल में रहने के दौरान ही रेड्डी की बेटी की शादी थी, अदालत ने उन्हें 12 घंटे की जमानत पर रिहा किया था। अदालत ने यह आदेश दिया था कि आप केवल बेटी का कन्यादान करेंगे और फोटो खिंचाकर लौट आएंगे।
चंद्रबाबू से अनबन के बाद पहुंचे कांग्रेस में
2017 में चंद्रबाबू नायडू से न पटने के कारण रेवंत ने टीडीपी को छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा। वे 2018 में विधानसभा चुनाव लड़े पर हार गए। इसके बाद वे 2019 में मल्काजगिरी से कांग्रेस सांसद बने। 2021 में उन्हें सूबे में पार्टी की कमान सौंप दी गई। इस फैसले के खिलाफ कई सीनियर कांग्रेस नेता खड़े हो गए। सेव कांग्रेस के नाम से कैंपेन भी चलाया गया। कुछ ने सोनिया गांधी के नाम इस्तीफा भी सौंप दिया था।
तेलंगाना चुनाव में रेड्डी को बनाया चेहरा
हाल में हुए तेलंगाना चुनाव की पूरी बागडोर रेवंत रेड्डी के हाथ में सौंपी गई। राहुल और प्रियंका जहां भी सभा लेने जाते, रेवंत रेड्डी उनके साथ होते। रेड्डी इसी बात पर जोर देते कि तेलंगाना का गठन कांग्रेस ने ही किया है। हालांकि रेड्डी ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें से वे एक सीट पर जीते और दूसरी सीट पर हारे। लेकिन कांग्रेस ने रेवंत रेड्डी को ही सीएम बनाने का फैसला किया है।
जयपाल रेड्डी की भतीजी पर आ गया था दिल
रेवंत रेड्डी तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी की भतीजी को एक शादी में देखकर दिल दे बैठे थे। उस दौरान रेड्डी और गीता 12वीं के छात्र थे। केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी की भतीजी को शादी में देखकर दिल दे बैठे थे। रेवंत ने गीता को प्रपोज किया और गीता ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। दोनों चोरी-छिपे एकदूसरे से मिलते रहे। पहले तो गीता का परिवार रेवंत के साथ रिश्ते के लिए तैयार नहीं था, लेकिन बाद में परिवार ने शादी के लिए सहमति दे दी। फिर साल 1992 में रेवंत और गीता की शादी हुई।